पूर्वोत्तर भारत बनेगा देश की नई विकासधारा का केंद्र: जयंत चौधरी
राइजिंग नॉर्थईस्ट इन्वेस्टर समिट में बोले केंद्रीय मंत्री, कहा – अब देश का किनारा नहीं, शक्ति का स्रोत है पूर्वोत्तर
नई दिल्ली/गुवाहाटी, 24 मई। पीआईबी। केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी ने शनिवार को राइजिंग नॉर्थईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 में भाग लेते हुए पूर्वोत्तर को भारत की नई विकास यात्रा का केंद्र करार दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “पूर्वोत्तर अब भारत का किनारा नहीं, बल्कि भविष्य का केन्द्रीय बिंदु है।”
गुवाहाटी में आयोजित इस ऐतिहासिक सम्मेलन में देश-विदेश के निवेशकों, नीति निर्माताओं, नवाचारकर्ताओं और सामुदायिक नेतृत्वकर्ताओं की बड़ी भागीदारी देखी गई। मंत्री श्री चौधरी ने “शिक्षा से उद्यमिता: पूर्वोत्तर की सबसे उज्ज्वल क्षमता को उजागर करना” विषय पर अपने संबोधन में कहा कि यह क्षेत्र अब उद्यमशीलता, तकनीकी दक्षता और युवाशक्ति का केंद्र बन चुका है।
मिज़ोरम की साक्षरता, असम की चाय, और सिल्क से सशक्तिकरण की कहानियाँ बनीं मिसाल
उन्होंने मिज़ोरम की 100% साक्षरता दर और असम के उद्यमियों के उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि पूर्वोत्तर भारत के लिए प्रेरणास्त्रोत है। असम के भाभेन्द्र मोहन बोरगोहेन द्वारा 500 चाय उत्पादकों के साथ गठित एफपीओ और मेरिना लाहिड़ी की 300 महिला किसानों के साथ सिल्क उत्पादन इकाई को उन्होंने आत्मनिर्भरता का बेहतरीन उदाहरण बताया।
एआई स्किलिंग से भविष्य को संवारने की योजना
मंत्री ने एसओएआर (Skill Development for AI Readiness) कार्यक्रम की जानकारी दी, जिसे शिक्षा मंत्रालय और एनसीवीईटी के सहयोग से तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नेतृत्व करना है और इसके लिए पूर्वोत्तर युवाओं को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा।
“शेष भारत को अब पूर्वोत्तर से सीखना चाहिए”
अपने जोशीले भाषण में उन्होंने कहा—
“असम के चाय बागानों से लेकर शिलांग के डिजिटल क्रिएटर्स तक, पूर्वोत्तर अब बदलाव की प्रतीक्षा नहीं कर रहा है — वह स्वयं बदलाव गढ़ रहा है।”
श्री चौधरी ने जोर दिया कि ‘पूर्वोत्तर की अष्ट लक्ष्मी’ (पूर्वोत्तर के आठ राज्य) अब सिर्फ सांस्कृतिक प्रतीक नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के विकास इंजन हैं। उन्होंने संरचनात्मक सुधार, स्टार्टअप संस्कृति, महिलाओं की भागीदारी और तकनीकी शिक्षा को सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में बताया।
उद्यमिता मंडप में झलकी ‘कौशल भारत’ की चमक
समिट के अवसर पर कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) द्वारा लगाए गए विशेष ‘उद्यमिता से आत्मनिर्भरता’ मंडप में पूर्वोत्तर राज्यों से आए भारतीय उद्यमिता संस्थान (IIE) के प्रशिक्षित आठ युवा उद्यमियों ने अपनी नवाचारपूर्ण परियोजनाएं प्रस्तुत कीं।
इनमें कृषि प्रसंस्करण, बायो टूरिज्म, सिल्क टेक्सटाइल्स और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्र शामिल रहे। मंत्री ने उन्हें “नए भारत के असली विकासकर्ता” बताया।
महिलाओं की भागीदारी से दिखा बदलाव का चेहरा
वर्ष 2015 से अब तक कौशल विकास मंत्रालय ने 3 लाख से अधिक युवाओं को सशक्त किया है, जिसमें 49,000 से अधिक को प्रशिक्षुता और उद्यमिता सहायता दी गई। 75% से अधिक लाभार्थी महिलाएं रही हैं, जो इस बात का संकेत हैं कि “नई अर्थव्यवस्था की रीढ़ महिलाएं होंगी।”
अगला स्टार्टअप हब बनेगा पूर्वोत्तर
सम्मेलन में पर्यटन, लॉजिस्टिक्स, ग्रीन एंटरप्राइज और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित सत्रों में विशेषज्ञों ने पूर्वोत्तर को देश का अगला स्टार्टअप हब बनाने पर जोर दिया। निवेशकों ने भी इस क्षेत्र की क्षमता पर विश्वास जताते हुए बड़ी परियोजनाओं में निवेश की इच्छा जताई।
निष्कर्ष: पूर्वोत्तर से निकलेगी विकास की नई गाथा
श्री जयंत चौधरी ने अपने वक्तव्य का समापन इन शब्दों के साथ किया—
“अब समय है कि हम सिर्फ पायलट योजनाओं से आगे बढ़कर स्थायी परिवर्तन की ओर बढ़ें। पूर्वोत्तर की ऊर्जा भारत को वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में ले जा रही है।”
विशेष टिप्पणी:
पूर्वोत्तर भारत वर्षों से विकास की मुख्यधारा से थोड़ा कटे रहने के बावजूद अपनी संस्कृति, साक्षरता, संसाधनों और युवाशक्ति के दम पर अब देश को दिशा देने को तैयार है। यदि यह रफ्तार बनी रही तो आने वाले वर्षों में असम, मिज़ोरम, त्रिपुरा और नागालैंड जैसे राज्य ‘नए भारत’ के विकास पथ के अग्रणी बनेंगे।
फोटो सौजन्य: PIB India