ऐतिहासिक यात्रा और स्थायी साझेदारी
साइप्रस के राष्ट्रपति श्री निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने 15 से 16 जून, 2025 तक भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की साइप्रस की आधिकारिक यात्रा के दौरान उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी की यह यात्रा पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की पहली यात्रा है। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है और दोनों देशों के बीच गहरी और स्थायी मित्रता की पुष्टि करती है। श्री मोदी की यह यात्रा न केवल एक साझा इतिहास का जश्न है, बल्कि एक संयुक्त रणनीतिक दृष्टि और आपसी विश्वास तथा सम्मान में निहित एक दूरगामी साझेदारी का जश्न है।
दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की, जो साइप्रस और भारत के बीच बढ़ते व्यापक सहयोग को दर्शाती है। उन्होंने आर्थिक, तकनीकी और जन-जन के बीच संबंधों में हाल की प्रगति का स्वागत किया।
अपने मूल्यों, हितों, अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और दूरदर्शिता के बढ़ते तालमेल को स्वीकार करते हुए, दोनों पक्षों ने प्रमुख क्षेत्रों में इस साझेदारी को और आगे बढ़ाने के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। साइप्रस और भारत ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति, समृद्धि और स्थिरता में योगदान देने वाले विश्वसनीय और अपरिहार्य भागीदारों के रूप में अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।
वे निम्नलिखित संयुक्त घोषणा पर सहमत हुए:
साझा मूल्य और वैश्विक प्रतिबद्धताएं
दोनों नेताओं ने शांति, लोकतंत्र, कानून के शासन, प्रभावी बहुपक्षवाद और सतत विकास के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार नियम–आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की, जिसमें नेविगेशन की स्वतंत्रता और संप्रभु समुद्री अधिकारों के संबंध में समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) पर विशेष जोर दिया गया। नेताओं ने सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए अपने अटूट समर्थन की पुष्टि की।
नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र और राष्ट्रमंडल सहित अंतरराष्ट्रीय संगठनों के भीतर समन्वय को मजबूत करने की अपनी मंशा व्यक्त की और 2024 एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपिया) राष्ट्रमंडल महासागर घोषणा को लागू करने पर मिलकर काम करने के बारे में सहमति व्यक्त की, जिसमें महासागर शासन को वैश्विक स्थिरता और सशक्तता के एक स्तंभ के रूप में उजागर किया गया। इस संदर्भ में, राष्ट्रमंडल महासागर संबंधी देशों के मंत्रियों की पहली बैठक अप्रैल 2024 में साइप्रस में आयोजित की गई थी, जिसमें राष्ट्रमंडल सदस्य देशों में स्थायी महासागर शासन को आगे बढ़ाने और क्षमता को मजबूत करने के लिए ब्लू चार्टर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना भी की गई थी।
दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर चर्चा की, जिसमें इसे और अधिक प्रभावी, कुशल और समकालीन भू–राजनीतिक चुनौतियों का प्रतिनिधित्व करने वाले तरीके शामिल हैं। दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतर–सरकारी वार्ता के क्रम में आगे बढ़ने के लिए समर्थन व्यक्त किया, और पाठ–आधारित वार्ता की ओर बढ़ने के लिए निरंतर प्रयास करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। साइप्रस ने विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार को लेकर प्रतिनिधि चरित्र को बढ़ाने के लिए अपना समर्थन दोहराया।
दोनों पक्ष बहुपक्षीय मंचों पर एक–दूसरे की उम्मीदवारी का समर्थन करने सहित संयुक्त राष्ट्र में घनिष्ठ सहयोग और एक–दूसरे का समर्थन करने पर सहमत हुए।
राजनीतिक वार्ता
दोनों पक्ष नियमित तौर पर राजनीतिक वार्ता आयोजित करने और विभिन्न क्षेत्रों में समन्वय को सुव्यवस्थित करने तथा सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए साइप्रस के विदेश मंत्रालय और भारत के विदेश मंत्रालय के बीच मौजूदा द्विपक्षीय प्रणालियों का इस्तेमाल करने पर सहमत हुए। उपरोक्त सक्षम मंत्रालय दोनों देशों के सक्षम अधिकारियों के साथ घनिष्ठ समन्वय में तैयार की जाने वाली कार्य योजना में शामिल सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े कार्यान्वयन का अवलोकन और निगरानी करेंगे।
संप्रभुता और शांति के लिए समर्थन
साइप्रस और भारत ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित प्रयासों को फिर से शुरू करने के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता व्यक्त की, ताकि संयुक्त राष्ट्र के सहमत ढांचे और प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार, राजनीतिक समानता के साथ द्वि–क्षेत्रीय, द्वि–सामुदायिक संघ के आधार पर साइप्रस से संबंधित समस्याओं का व्यापक और स्थायी समाधान प्राप्त किया जा सके।
भारत ने साइप्रस की स्वतंत्रता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और एकता के लिए अपने अटूट और निरंतर समर्थन को दोहराया। इस संबंध में, दोनों पक्षों ने सार्थक वार्ता को कार्यान्वित करने के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सुरक्षा, रक्षा और संकट के समय सहयोग
साइप्रस और भारत ने अंतरराष्ट्रीय और सीमापार आतंकवाद सहित सभी रूपों और प्रतिरूपों में आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की मुक्त स्वर में निंदा की, और शांति एवं स्थिरता को कमजोर करने वाले हाइब्रिड खतरों का मुकाबला करने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
साइप्रस ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति एकजुटता और अटूट समर्थन व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने हाल ही में भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमलों में नागरिकों की नृशंस हत्या की कड़ी निंदा की। उन्होंने आतंकवाद के प्रति अपने शून्य-सहिष्णुता के दृष्टिकोण को दोहराया, किसी भी परिस्थिति में ऐसे कृत्यों के लिए किसी भी औचित्य को अस्वीकार किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
नेताओं ने सभी देशों से दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करने का आग्रह किया और सभी रूपों में सीमा पार आतंकवाद की निंदा की। उन्होंने आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क को बाधित करने, सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने, आतंकवादी ढांचे को खत्म करने और आतंकवाद के अपराधियों को तुरंत न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया। सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक व्यापक, समन्वित और निरंतर दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उन्होंने सहयोगात्मक, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रणाली के साथ काम करने के महत्व पर जोर दिया।
दोनों नेताओं ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए बहुपक्षीय प्रयासों को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और संयुक्त राष्ट्र के ढांचे के भीतर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को शीघ्र अंतिम रूप देने और अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने 1267 यूएनएससी प्रतिबंध समिति के तहत आतंकवादियों सहित सभी संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ द्वारा नामित आतंकवादियों और आतंकवादी संस्थाओं, संबंधित प्रॉक्सी समूहों, सुविधाकर्ताओं और प्रायोजकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के माध्यम से आतंकवादी वित्तपोषण चैनलों को बाधित करने के लिए सक्रिय उपाय जारी रखने के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई।
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा परिवेश में उभरती चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, नेताओं ने रणनीतिक स्वायत्तता, रक्षा संबंधी तत्परता और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के महत्व पर बल दिया।
वे साइबर सुरक्षा और उभरती प्रौद्योगिकियों पर विशेष ध्यान देने के साथ अपने संबंधित रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग के माध्यम से अपने रक्षा और सुरक्षा को लेकर सहयोग को और भी अधिक मजबूत करने पर सहमत हुए।
भारत और साइप्रस दोनों को नौसेना की सशक्त परंपराओं वाले समुद्री राष्ट्रों के रूप में मान्यता देते हुए, नेताओं ने समुद्री क्षेत्र को शामिल करने के लिए सहयोग का विस्तार करने पर भी चर्चा की। वे भारतीय नौसैनिक जहाजों द्वारा अधिक नियमित बंदरगाह की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु प्रोत्साहित करेंगे और समुद्री क्षेत्र संबंधी जागरूकता और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए संयुक्त समुद्री प्रशिक्षण और अभ्यास के अवसरों का पता लगाएंगे।
उस भावना में, और मौजूदा वैश्विक संकटों के मद्देनजर, दोनों पक्षों ने आपातकालीन तैयारी और संकट के प्रति समन्वित कार्रवाई में सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता जताई। पिछले सफल प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, नेताओं ने निकासी और खोज और बचाव (एसएआर) कार्यों में समन्वय को संस्थागत बनाने पर सहमति व्यक्त की।
कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय सहयोग
साइप्रस और भारत क्षेत्रों के बीच पुल के रूप में काम करने की रणनीतिक दृष्टि साझा करते हैं। दोनों नेताओं ने भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के महत्व को एक परिवर्तनकारी, बहु–नोडल पहल के रूप में दर्शाया जो शांति, आर्थिक एकीकरण और सतत विकास को बढ़ावा देता है। आईएमईसी को रचनात्मक क्षेत्रीय सहयोग के उत्प्रेरक के रूप में देखते हुए, उन्होंने पूर्वी भूमध्य सागर और व्यापक मध्य-पूर्व में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता को दोहराया और भारतीय प्रायद्वीप से व्यापक मध्य-पूर्व से यूरोप तक गहन जुड़ाव और अंतर्संबंध के विभिन्न उपायों को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया।
यूरोप में प्रवेश द्वार के रूप में साइप्रस की भूमिका और, इस संदर्भ में, ट्रांसशिपमेंट, भंडारण, वितरण और रसद के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में सेवा करने की इसकी संभावना को पहचानते हुए, उन्होंने साइप्रस में भारतीय शिपिंग कंपनियों की उपस्थिति स्थापित करने की संभावना का स्वागत किया, आर्थिक और रसद संबंधों को और मजबूत करने के साधन के रूप में साइप्रस–आधारित और भारतीय समुद्री सेवा प्रदाताओं को शामिल करते हुए संयुक्त उद्यमों के माध्यम से समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने को प्रोत्साहित किया।
यूरोपीय संघ–भारत की रणनीतिक भागीदारी
2026 की शुरुआत में साइप्रस द्वारा यूरोपीय संघ की परिषद की अध्यक्षता किए जाने की संभावना को देखते हुए, दोनों नेताओं ने यूरोपीय संघ–भारत संबंधों को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। उन्होंने कॉलेज ऑफ कमिश्नर की भारत की महत्वपूर्ण यात्रा को याद किया और पहली भारत–यूरोपीय संघ रणनीतिक वार्ता के शुभारंभ और व्यापार, रक्षा और सुरक्षा, समुद्री, संपर्क, स्वच्छ और हरित ऊर्जा और अंतरिक्ष सहित यात्रा के दौरान पहचाने गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में पहले से ही हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।
साइप्रस ने अध्यक्षता के दौरान यूरोपीय संघ और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया। दोनों पक्षों ने इसकी महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक क्षमता को पहचानते हुए इस वर्ष के अंत तक यूरोपीय संघ–भारत मुक्त व्यापार समझौते के समापन का समर्थन करने की तत्परता व्यक्त की। उन्होंने यूरोपीय संघ–भारत व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद के माध्यम से मौजूदा कार्यों के लिए भी अपना समर्थन व्यक्त किया और इस प्रमुख वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने के लिए 2025 के रणनीतिक रोडमैप से परे एक दूरदर्शी एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।
व्यापार, नवाचार, प्रौद्योगिकी और आर्थिक अवसर
साइप्रस और भारत के बीच बढ़ती रणनीतिक पूरकता को पहचानते हुए, नेताओं ने व्यापार, निवेश और विज्ञान, नवाचार और अनुसंधान में सहयोग बढ़ाकर आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई।
सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए, दोनों नेताओं ने कहा कि वे भारत आने वाले साइप्रस के उच्च–स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करेंगे, जिसमें व्यापार प्रतिनिधि शामिल होंगे, साथ ही निवेश के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए साइप्रस–भारत व्यापार मंच का आयोजन भी किया जाएगा। दोनों नेताओं ने रणनीतिक आर्थिक साझेदारी को आगे बढ़ाने पर साइप्रस–भारत व्यापार गोलमेज सम्मेलन को भी संबोधित किया।
दोनों नेताओं ने अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी में सहयोग को बढ़ावा देने, स्टार्टअप, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने और संबंधित समझौता ज्ञापन को समाप्त करने के उद्देश्य से कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और अनुसंधान जैसे प्रमुख क्षेत्रों में नवाचार के आदान–प्रदान का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की।
आवागमन, पर्यटन और जन-जन के बीच संबंध
दोनों नेताओं ने जन-जन के बीच संबंधों को आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक संपदा और गुणक के रूप में मान्यता दी। दोनों पक्ष 2025 के अंत तक मोबिलिटी पायलट प्रोग्राम व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिए काम करेंगे।
दोनों पक्षों ने सांस्कृतिक मूल्य तथा जन-जन के बीच संबंधों के माध्यम से आपसी समझ को बढ़ावा देने पर जोर दिया। वे पर्यटन को बढ़ाने और साइप्रस और भारत के बीच सीधे हवाई संपर्क की स्थापना के अवसरों का पता लगाने के साथ–साथ साझा भागीदारों के माध्यम से हवाई मार्गों को बढ़ाने के लिए सहमत हुए, ताकि यात्रा को आसान बनाया जा सके और द्विपक्षीय आदान–प्रदान को बढ़ावा दिया जा सके।
भविष्य: 2025-2029 कार्य योजना
यह संयुक्त घोषणापत्र साइप्रस और भारत के बीच रणनीतिक संबंधों की पुष्टि करता है। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग में चल रही प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और विश्वास व्यक्त किया कि यह साझेदारी आगे भी जारी रहेगी, तथा अपने क्षेत्रों और उससे परे शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देगी।
नेताओं ने साइप्रस के विदेश मंत्रालय और भारत के विदेश मंत्रालय की देखरेख में अगले पांच वर्षों के लिए साइप्रस और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को दिशा देने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने पर सहमति व्यक्त की। PIB Delhi