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खेलो इंडिया बीच गेम्स 2025: दीव से निकली लहर, मणिपुर और नागालैंड की खेल प्रतिभा की गूंज राष्ट्रीय फलक पर

दीव, 24 मई 2025 – भारत में बीच खेलों को लोकप्रियता और पहचान दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए खेलो इंडिया बीच गेम्स (KIBG) 2025 का भव्य समापन आज दीव के INS खुखरी मेमोरियल पर संपन्न हुआ। इस मौके पर केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आयोजन की सफलता पर दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव (DNHDD) प्रशासन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

“खेल अब समुद्र की लहरों के संग दौड़ रहे हैं” – डॉ. मांडविया

डॉ. मांडविया ने कहा, “यह आयोजन न केवल खेल भावना का उत्सव है, बल्कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के उस दृष्टिकोण की भी पुष्टि है जिसमें दीव को भारत में बीच खेलों का मुख्य केंद्र बनाने की बात कही गई है।” उन्होंने मेजबान प्रदेश को न केवल भौगोलिक विशेषताओं के लिए, बल्कि उत्कृष्ट आयोजन क्षमता के लिए भी बधाई दी।

उन्होंने प्रतियोगिता में मणिपुर के पहले स्थान, महाराष्ट्र के दूसरे तथा नागालैंड के तीसरे स्थान पर आने को “पूर्वोत्तर भारत की प्रतिभा का उदय” करार दिया। उन्होंने विशेष रूप से नागालैंड को पहली बार किसी खेलो इंडिया स्पर्धा में टॉप-3 में जगह बनाने पर बधाई दी।

“पूर्वोत्तर भारत सिर्फ सांस्कृतिक धरोहर नहीं, खेल प्रतिभा का ज्वालामुखी है जो अब फूट पड़ा है” — डॉ. मनसुख मांडविया

रक्षा खडसे ने कहा – ‘पूर्वोत्तर की लहरें अब समुद्र पार करेंगी’

समापन समारोह की मुख्य अतिथि और खेल राज्य मंत्री श्रीमती रक्षा निखिल खडसे ने कहा, “KIBG 2025 ने एक नए युग की शुरुआत की है। यह सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जिसने तटीय और जल क्रीड़ाओं को मुख्यधारा में लाकर खड़ा किया है।”

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि पूर्वोत्तर राज्यों मणिपुर, नागालैंड और असम ने शानदार प्रदर्शन करके यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि सही मंच और संसाधन दिए जाएं, तो ये राज्य अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का परचम लहरा सकते हैं।

प्रतिभा, परंपरा और प्रदर्शन का संगम

811 एथलीट, 31 राज्य, 6 प्रतिस्पर्धी खेल

19 से 24 मई के बीच आयोजित इस प्रथम संस्करण में कुल 811 एथलीटों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में छह प्रतिस्पर्धी खेल —

  • पेंचक सिलाट
  • सेपक टकरॉ
  • बीच सॉकर
  • बीच वॉलीबॉल
  • ओपन वॉटर स्विमिंग
  • कबड्डी

शामिल थे, जबकि दो पारंपरिक भारतीय खेल —

  • मल्लखंभ
  • रस्साकशी

को प्रदर्शन खेलों के रूप में शामिल किया गया।

पेंचक सिलाट में मणिपुर का दबदबा

खेलों में पेंचक सिलाट मणिपुर के खिलाड़ियों के लिए सबसे चमकदार मंच साबित हुआ, जहाँ उन्होंने साहस और तकनीकी कुशलता का बेजोड़ प्रदर्शन किया।

खेल से आगे, संस्कृति और समरसता की ओर

डॉ. मांडविया ने समापन भाषण में एक महत्वपूर्ण बात कही:

“खेलों में कोई हारता नहीं – या तो आप जीतते हैं या सीखते हैं।”

इस कथन में KIBG 2025 की भावना समाहित है। यह आयोजन न केवल पदक और स्कोर की लड़ाई थी, बल्कि राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय विविधता और समावेशी विकास का भी मंच था। पूर्वोत्तर से लेकर पश्चिमी भारत तक, हर प्रतिभागी प्रदेश ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इस आयोजन को अखिल भारतीय रंग दिया।

KIBG के दूरगामी प्रभाव

1. बीच खेलों की मुख्यधारा में वापसी

अब तक भारत में तटीय खेलों को अनदेखा किया जाता रहा है। लेकिन KIBG 2025 ने यह सिद्ध कर दिया कि बीच सॉकर, वॉलीबॉल और ओपन वॉटर तैराकी जैसी गतिविधियाँ भी युवाओं में व्यापक उत्साह जगा सकती हैं।

2. पूर्वोत्तर की प्रतिभा को मंच

मणिपुर, नागालैंड और असम के प्रदर्शन ने स्पष्ट कर दिया कि इस क्षेत्र में विश्व स्तरीय एथलीट तैयार करने की अपार क्षमता है। केंद्र सरकार का विशेष फोकस इन राज्यों में खेल अवसंरचना और प्रशिक्षण केंद्रों को मजबूत करने पर रहेगा।

3. महिला भागीदारी और समावेशिता

प्रतियोगिता में महिला एथलीटों की भागीदारी उल्लेखनीय रही। विशेषकर ओपन वॉटर स्विमिंग और पेंचक सिलाट में महिला खिलाड़ियों ने सराहनीय प्रदर्शन किया।

आगे की राह: समुद्र से वैश्विक मंच तक

खेलो इंडिया बीच गेम्स अब केवल एक आयोजन नहीं रह गया है, बल्कि यह “ट्रेनिंग टू ट्रायम्फ” की यात्रा की आधारशिला है। आने वाले वर्षों में इस आयोजन को न केवल सालाना रूप दिया जाएगा, बल्कि इसका विस्तार अंतरराष्ट्रीय भागीदारी तक करने की योजना है।

डॉ. मांडविया के शब्दों में –

“दीव अब सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, भारत के खेल मानचित्र का उज्ज्वल तारा है।”

KIBG 2025 ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि खेल अब मैदानों तक सीमित नहीं, वे अब रेत, लहरों और समुंदर के किनारों पर भी खिल रहे हैं। भारत की विविधता अब उसकी खेल संस्कृति में भी परिलक्षित हो रही है। मणिपुर और नागालैंड की युवा ऊर्जा से लेकर दीव की आयोजन क्षमता तक, यह आयोजन ‘नया भारत, नया खेल युग’ का उद्घोष बन चुका है।

 

By admin