मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वित्त आयोग के समक्ष रखा उत्तराखंड का पक्ष, ‘ईको सर्विस’ और ‘लोकेशनल डिसएडवांटेज’ के लिए मांगी विशेष क्षतिपूर्ति
— डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने राज्य के आर्थिक अनुशासन और विकास की दिशा की सराहना की
देहरादून (ब्यूरो)। उत्तराखंड की स्थापना के 25वें वर्ष में जब राज्य रजत जयंती मना रहा है, तब 16वें वित्त आयोग की टीम के साथ सचिवालय में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की वित्तीय स्थिति, विशेष भौगोलिक आवश्यकताओं और विकास से जुड़ी प्राथमिकताओं को मजबूती से प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने वित्त आयोग अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया एवं उनकी टीम का स्वागत करते हुए कहा कि आयोग का यह दौरा उत्तराखंड के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
‘Environmental Federalism’ के अनुरूप क्षतिपूर्ति की मांग
मुख्यमंत्री ने ‘ईको सर्विस लागत’ (प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा हेतु राज्य द्वारा वहन की जाने वाली लागत) को देखते हुए आयोग से विशेष क्षतिपूर्ति की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि वन आच्छादन (forest cover) को कर हस्तांतरण फार्मूले में 20 प्रतिशत भार दिया जाए। उन्होंने वनों के संरक्षण के लिए विशेष अनुदान देने पर भी विचार करने का अनुरोध किया।
“उत्तराखंड प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा कर पूरे देश को पारिस्थितिकी संतुलन का लाभ देता है। इस ‘ईको सर्विस’ का आर्थिक मूल्यांकन जरूरी है।”
— पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड
राज्य के वित्तीय अनुशासन और विकास पर बल
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो दशकों में उत्तराखंड ने आधारभूत ढांचे से लेकर सामाजिक विकास तक हर क्षेत्र में तेज़ी से प्रगति की है। वित्तीय अनुशासन के चलते राज्य का बजट अब ₹1 लाख करोड़ को पार कर गया है।
उन्होंने बताया कि:
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एसडीजी इंडेक्स (2023-24) में उत्तराखंड अग्रणी राज्यों में है।
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बेरोजगारी दर में रिकॉर्ड 4.4% की गिरावट दर्ज की गई है।
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प्रति व्यक्ति आय में 11.33% की वृद्धि हुई है, जो राष्ट्रीय औसत से ऊपर है।
‘लोकेशनल डिसएडवांटेज’ के समाधान की मांग
मुख्यमंत्री ने 2010 में समाप्त हुए ‘इंडस्ट्रियल कन्सेशनल पैकेज’ का उल्लेख करते हुए कहा कि उसके बाद राज्य को पर्वतीय क्षेत्रों में औद्योगिक निवेश लाने में कठिनाई हो रही है। निजी क्षेत्र की भागीदारी सीमित है, विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में। अतः इन पर्वतीय अंचलों के लिए विशेष वित्तीय प्रावधान जरूरी हैं।
आपदा प्रबंधन और जल संरक्षण पर विशेष ध्यान
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड एक आपदा-संवेदनशील राज्य है, जहां पुनर्वास और राहत कार्यों के लिए निरंतर सहयोग की आवश्यकता रहती है। उन्होंने दो अभिनव योजनाओं का ज़िक्र किया:
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सारा (SARAA): जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की पहल।
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भागीरथ ऐप: जन सहभागिता से जल संरक्षण को बढ़ावा देने वाला डिजिटल माध्यम।
राजस्व वितरण में ‘फिस्कल डिसिप्लिन’ भी शामिल हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘राजकोषीय अनुशासन’ (Fiscal Discipline) को भी कर हस्तांतरण फार्मूले में शामिल किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि ‘Revenue Deficit Grant’ के स्थान पर ‘Revenue Need Grant’ को लागू किया जाए, जिससे राज्य की वास्तविक जरूरतों को लक्ष्य बनाकर सहायता मिले।
वित्त आयोग अध्यक्ष की प्रतिक्रिया
डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने उत्तराखंड के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि राज्य ने हर क्षेत्र में प्रभावशाली प्रगति की है। उन्होंने राज्य की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि और बेरोजगारी में कमी को उल्लेखनीय बताया।
“पर्वतीय राज्यों की भौगोलिक चुनौतियों को ध्यान में रखकर आयोग व्यापक विमर्श कर रहा है। उत्तराखंड की प्रस्तुतियां बेहद तथ्यपरक और संतुलित हैं।”
— डॉ. अरविंद पनगढ़िया, अध्यक्ष, 16वां वित्त आयोग
31 अक्टूबर 2025 तक रिपोर्ट सौंपेगा आयोग
उन्होंने जानकारी दी कि आयोग केंद्र सरकार को 31 अक्तूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगा, जिसमें राज्यों की मांगों और आवश्यकताओं के अनुसार नीति अनुशंसाएं सम्मिलित होंगी।
बैठक में उच्चाधिकारियों की सहभागिता
इस अवसर पर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, वित्त सचिव दिलीप जावलकर, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, एल. फैनई, आर. मीनाक्षी सुंदरम, अन्य सचिव व अपर सचिवगण उपस्थित रहे। सचिव वित्त ने राज्य की चुनौतियों और वित्तीय अपेक्षाओं पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।
मुख्यमंत्री धामी की यह प्रस्तुति उत्तराखंड के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से मील का पत्थर साबित हो सकती है। ‘ईको सर्विस’, पर्वतीय विषमताएं और आपदा जोखिम जैसे मुद्दों पर 16वें वित्त आयोग का ध्यान आकर्षित कर राज्य ने नीति निर्माण के केंद्र में स्वयं को सफलतापूर्वक स्थापित किया है।