दीपाली फाउंडेशन” निशुल्क बाल संस्कार केंद्र में नौनिहाल संस्कार और नैतिक मूल्यों के साथ-साथ शैक्षिक ज्ञान प्राप्त कर रहे है,

देहरादून -“दीपाली फाउंडेशन” निशुल्क बाल संस्कार केंद्र में नौनिहाल संस्कार और नैतिक मूल्यों के साथ-साथ शैक्षिक ज्ञान प्राप्त कर रहे है,

दीपाली फाउंडेशन न्यास की अध्यक्ष प्रीती शुक्ला ने बाल संस्कार केंद्र के उद्देश्यों के बारे में बताया कि आज के बच्चों की दुनियां इंटरनेट तक ही सीमित है। ऐसे में बच्चों का मनोरंजन, खेल, पढ़ाई सब कुछ मोबाइल पर ही होता है। वे आम घरों से जुड़ी सामान्य बातें नहीं जानते एवं उनका बौद्धिक स्तर बहुत अधिक विकसित नहीं हो पाता। बच्चों में संस्कार, राष्ट्रवाद एवं उनकी बौद्धिक क्षमता को बताना और सिखाना ही संस्था का उद्देश्य है। दीपाली फाउंडेशन द्वारा बाल संस्कार केंद्रों में साप्ताहिक कार्यक्रम तय किए गए हैं जिसके तहत सोमवार से शनिवार तक शाम को २घंटे लगने वाली कक्षा में सोमवार को हिंदी का शुद्ध लेख, इंग्लिश डिक्टेशन, मंगलवार को चित्रकला, बुधवार को क्राफ्ट, गुरुवार को योग, शुक्रवार को श्लोक व राम रक्षा सूत्र एवं शनिवार को शतरंज की कक्षा लगती है।

संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपाली शुक्ला ने, निमिषा आनंद जी ने बताया कि आजकल जिस उम्र के नौनिहाल मोबाइल में कार्टून और गेम खेल कर अपना समय गुजारते हैं, वहीं देहरादून में उसी उम्र में कुछ बच्चे संस्कृत के श्लोक, रामचरितमानस की चौपाइयां और दोहे न सिर्फ बोलते और सुनाते हैं, बल्कि उनका भावार्थ भी समझाते हैं। बच्चों के इस बौद्धिक विकास के पीछे दीपाली बाल संस्कार केंद्र का बहुत बड़ा योगदान है।

उन्होंने कहा कि आज के दौर में हजारों रुपये बतौर फीस वसूलने वाले प्ले स्कूल भी बच्चों के अंदर संस्कार विकसित नहीं कर पा रहे। वहीं, देहरादून, कुमाऊं मंडल,आगरा में दीपाली फाउंडेशन द्वारा संचालित दीपाली बाल संस्कार केंद्र बच्चों को ना सिर्फ निशुल्क शिक्षा उपलब्ध करा रहा है, बल्कि उनके अंदर संस्कार भी विकसित कर रहा है। इस संस्कार केंद्र में प्रतिदिन २ घंटे की पाठशाला में बच्चों के अंदर संस्कार के बीज बोए जाते हैं एवं हिंदू रीति-रिवाजों, परंपराओं, त्यौहार और योगासनों का महत्व भी बताया जाता है। बच्चों को समय-समय पर वीर अमर बलिदानियों की कहानी सुना कर उनके अंदर राष्ट्रवाद की ज्योति जलाई जाती है।