सेना को स्थानीय पशुपालकों से होगी पोल्ट्री आपूर्ति, चमोली से हुई ऐतिहासिक पहल की शुरुआत
— सीमावर्ती गांवों को मिलेगा बाजार, आत्मनिर्भर भारत की ओर उत्तराखंड का मजबूत कदम
देहरादून/चमोली (ब्यूरो)। उत्तराखंड सरकार द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों के किसानों और पशुपालकों की आजीविका सुदृढ़ करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल की शुरुआत हुई है। अब भारतीय सेना को उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों से स्थानीय उत्पादों की आपूर्ति की जाएगी। इसकी पहली खेप बुधवार को चमोली जनपद से भारतीय सेना की माणा और मलारी अग्रिम चौकियों के लिए रवाना की गई।
जिलाधिकारी ने झंडी दिखाकर की रवाना
चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने जोशीमठ से इन आपूर्ति वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस खेप में स्थानीय पशुपालकों श्री गुलशन सिंह राणा और श्री सौरभ नेगी द्वारा उत्पादित पोल्ट्री शामिल रही, जिसे सेना की अग्रिम चौकियों तक भेजा गया।
पशुपालन विभाग की अनूठी पहल
पशुपालन विभाग द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत प्रदेश में सेना की अग्रिम चौकियों पर स्थानीय स्तर पर उत्पादित भेड़, बकरी और पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। फिलहाल पहले चरण में पोल्ट्री की आपूर्ति शुरू की गई है, लेकिन आने वाले समय में भेड़ और बकरी जैसे अन्य पशुधन उत्पादों को भी इस आपूर्ति शृंखला में जोड़ा जाएगा।
स्थानीय बाजार और स्थायी आमदनी का माध्यम
इस पहल का उद्देश्य न केवल उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों के पशुपालकों को स्थानीय स्तर पर ही एक सुदृढ़ और स्थायी बाजार उपलब्ध कराना है। इससे जहां उन्हें अपने उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा, वहीं समयबद्ध भुगतान की भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। यह प्रयास इन क्षेत्रों में आर्थिक स्थिरता और ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने सराहा कदम
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में उत्तराखंड का सशक्त योगदान है। उन्होंने कहा, “सीमावर्ती गांवों के पशुपालकों को अब स्थायी और सुनिश्चित बाजार मिलेगा। यह वाइब्रेंट विलेज योजना को नई दिशा देगा और पलायन की समस्या को रोकने में सहायक सिद्ध होगा।”
आईटीबीपी से एमओयू बन चुका है मिसाल
इससे पूर्व पशुपालन विभाग द्वारा भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के साथ भी एमओयू किया गया था, जिसके तहत पशुपालकों को स्थानीय बाजार उपलब्ध हुआ। अब इसी तर्ज पर सेना के साथ भी आपूर्ति की शुरुआत की जा रही है। इससे न केवल स्थानीय उत्पादों की खपत बढ़ेगी, बल्कि सीमांत गांवों के युवाओं को रोजगार की तलाश में शहरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा।
वाइब्रेंट ग्रामों को मिलेगा नया जीवन
यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों को सशक्त करने के उद्देश्य को भी गति देती है। सेना को स्थानीय उत्पादों की आपूर्ति की यह प्रणाली सीमांत गांवों की आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगी और वहां के जीवनस्तर को ऊंचा उठाने में सहायक होगी।
पर्वतीय सीमाओं से सुदृढ़ होती आपूर्ति शृंखला न केवल राष्ट्र की रक्षा में सहयोग करेगी, बल्कि स्थानीय जीवन में भी नई ऊर्जा और स्थायित्व का संचार करेगी। उत्तराखंड सरकार का यह प्रयास भविष्य के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है।