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16वें वित्त आयोग ने की उत्तराखण्ड में पंचायतों, निकायों और राजनीतिक दलों से व्यापक चर्चा
— तीर्थाटन, पर्यटन, आपदा और पलायन जैसे मुद्दों पर रखे गए ठोस सुझाव; वित्तीय सहायता बढ़ाने की उठी मांग

देहरादून (ब्यूरो)। 16वें वित्त आयोग की उत्तराखण्ड यात्रा का आज का दिन राज्य की वित्तीय ज़रूरतों, स्थानीय निकायों की चुनौतियों और राजनीतिक दृष्टिकोण के गंभीर विमर्श में बीता। आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में आयोग के सदस्यों ने नगर निकायों, त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों और विभिन्न राजनीतिक दलों से विस्तृत विचार-विमर्श किया।

बैठक में आयोग की सदस्य श्रीमती एनी जॉर्ज मैथ्यू, श्री मनोज पांडा, श्री सौम्या कांतिघोष, सचिव श्री ऋत्विक पांडे, संयुक्त सचिव श्री केके मिश्रा तथा संयुक्त निदेशक सुश्री पी. अमरूथावर्षिनी शामिल रहे।

नगर निकायों ने उठाई तीर्थाटन और सफाई से जुड़ी जरूरतें

बैठक के पहले सत्र में आठ नगर निकायों के प्रमुखों ने भाग लिया और अपने-अपने क्षेत्रों की आवश्यकताओं से आयोग को अवगत कराया।

  • देहरादून के मेयर श्री सौरभ थपलियाल ने कहा कि राजधानी होने के साथ-साथ देहरादून शिक्षा और पर्यटन का केंद्र है, इसलिए यहां पार्किंग, स्वच्छता और सीवरेज जैसी सुविधाओं के लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत है।

  • रुद्रपुर के मेयर विकास शर्मा ने कहा कि सिडकुल की वजह से प्रतिदिन 50 हजार की फ्लोटिंग आबादी आती है, जिससे प्रतिदिन करीब ढाई लाख टन कूड़े का निस्तारण चुनौती बन गया है।

  • अल्मोड़ा के मेयर अजय वर्मा ने अपने शहर को हैरिटेज सिटी के रूप में विकसित करने हेतु विशेष सहयोग की मांग की।

  • हरिद्वार की मेयर किरण जैसल ने तीर्थाटन की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त बजट की मांग रखी।

  • मसूरी पालिका अध्यक्ष मीरा सकलानी ने पर्वतीय शहरों के लिए ग्रीन बोनस की मांग के साथ पार्किंग की सुविधाएं विकसित करने की आवश्यकता बताई।

  • पौड़ी अध्यक्ष हिमानी नेगी ने सीवर लाइन बिछाने की आवश्यकता जताई।

  • बागेश्वर अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण लागत अधिक होने के कारण अतिरिक्त बजट देने की मांग की।

  • अगस्तमुनि के अध्यक्ष राजेंद्र गोस्वामी ने भी पार्किंग सुविधाओं को प्राथमिकता देने की बात कही।

बैठक में सचिव श्री नितेश झा और नगर आयुक्त श्रीमती नमामि बंसल भी उपस्थित रहे।

पंचायती प्रतिनिधियों ने मांगा क्षेत्रफल आधारित बजट

बैठक के दूसरे सत्र में पंचायत प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

  • देहरादून जिला पंचायत प्रशासक मधु चौहान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई और स्वच्छता के लिए बजट बढ़ाया जाना जरूरी है।

  • पिथौरागढ़ जिला पंचायत प्रशासक दीपिका बोरा ने आपदा प्रबंधन के लिए आकस्मिक बजट की आवश्यकता बताई।

  • जयहरीखाल ब्लॉक प्रशासक दीपक भंडारी ने कम आबादी वाली ग्राम पंचायतों को भी न्यूनतम पर्याप्त बजट देने की बात रखी।

  • सचिव पंचायती राज श्री चंद्रेश कुमार ने बताया कि राज्य की 89% ग्राम पंचायतों की आबादी 500 से कम है, जिनके पास सालाना 5 लाख रुपये से कम का बजट होता है। उन्होंने इस व्यवस्था में सुधार और अधिक वित्तीय आवंटन की मांग रखी।

राजनीतिक दलों ने भी दिए महत्वपूर्ण सुझाव

बैठक के तीसरे सत्र में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने राज्य की वित्तीय स्थिति और आवश्यकताओं पर अपने-अपने सुझाव रखे।

  • भाजपा विधायक विनोद चमोली ने उत्तराखण्ड की प्रति व्यक्ति आय और सतत विकास लक्ष्य में राज्य के प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए टेलीमेडिसिन और महिला आधारित कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की बात कही।

  • कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि हिमालय की भूगर्भीय अवस्था को देखते हुए आपदाओं से निपटने हेतु राज्य को विशेष सहायता की जरूरत है।

  • सीपीआई (एम) राज्य सचिव राजेंद्र पुरोहित ने मनरेगा की मजदूरी दरें बढ़ाने, आंगनबाड़ी व भोजन माताओं को सशक्त बनाने की मांग की।

  • आप के उपाध्यक्ष विशाल चौधरी ने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देते हुए विशेष वित्तीय सहायता देने की बात कही।

  • बसपा के राज्य सचिव मदनलाल भी बैठक में उपस्थित रहे और राज्य के पिछड़े क्षेत्रों की चिंताओं को उठाया।

इस अवसर पर सचिव श्री दिलीप जावलकर, अपर सचिव डॉ विजय कुमार जोगदंडे, और श्री हिमांशु खुराना सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

उत्तराखण्ड जैसे विशेष परिस्थितियों वाले पर्वतीय राज्य में विकास की राहें कई बाधाओं से घिरी हैं। स्थानीय निकायों की मांगें, पंचायतों की वित्तीय स्थिति और राजनीतिक दलों के सुझाव इस ओर स्पष्ट संकेत देते हैं कि केंद्र को राज्य के लिए विशेष वित्तीय रणनीति बनानी होगी। 16वें वित्त आयोग के इस गहन संवाद से राज्य को नई योजनाओं और व्यावहारिक वित्तीय सहायता की राह मिलने की उम्मीद बढ़ी है।

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