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केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने नेपाल के काठमांडू में प्रथम सागरमाथा संवाद में ‘वैश्विक कार्रवाई हेतु पांच सूत्रीय आह्वान’ प्रस्तुत किया
, PIB दिल्ली, 16 मई 2025

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने नेपाल के काठमांडू में आयोजित प्रथम सागरमाथा संवाद के उद्घाटन सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए नाजुक पर्वतीय इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए ‘वैश्विक कार्रवाई हेतु पांच सूत्रीय आह्वान’ की रूपरेखा प्रस्तुत की। यह शिखर सम्मेलन “जलवायु परिवर्तन, पर्वत और मानवता का भविष्य” थीम के तहत आयोजित किया गया, जिसमें विश्वभर के कई मंत्रियों और जलवायु विशेषज्ञों ने भाग लिया।

भारत की प्रतिबद्धता और हिमालयी संरक्षण

श्री यादव ने अपने संबोधन में भारत की जलवायु कार्रवाई के प्रति दृढ़ता और हिमालय तथा अन्य पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्रों की सुरक्षा में सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा:

“सागरमाथा, जिसका अर्थ है ‘आकाश का शीर्ष’, हमारे ग्रह की जीवन रेखा हैं, जिनकी रक्षा हमारी ज़िम्मेदारी है। भारत, अपने विशाल हिमालयी क्षेत्र के साथ, अपने पर्वतीय पड़ोसियों के साथ साझा पारिस्थितिक और सांस्कृतिक बंधन में बंधा है।”

जलवायु संकट और असमानता पर प्रकाश

मंत्री ने बताया कि दक्षिण एशिया वैश्विक आबादी का लगभग 25% हिस्सा है, लेकिन ऐतिहासिक वैश्विक CO2 उत्सर्जन में इसकी हिस्सेदारी मात्र 4% है। उन्होंने जलवायु संकट के असमान प्रभावों को उजागर करते हुए कहा कि विकासशील देशों पर बोझ अधिक है जबकि विकसित देश अपने जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण के वादों को पूरा करने में पीछे हैं।

हिमालयी जीव-जंतु संरक्षण हेतु अंतरराष्ट्रीय बिग कैट्स एलायंस का आह्वान

श्री यादव ने हिम तेंदुआ, बाघ और तेंदुए जैसी महत्वपूर्ण प्रजातियों के संरक्षण के लिए सभी हिमालयी देशों को अंतरराष्ट्रीय बिग कैट्स एलायंस के तहत सहयोग का आव्हान किया। उन्होंने बताया:

“यह गठबंधन संरक्षण विशेषज्ञता बढ़ाने, पहलों के लिए वित्त पोषण और ज्ञान भंडार बनाने का लक्ष्य रखता है।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई हिम तेंदुआ परियोजना का भी उल्लेख किया, जिसमें भारत ने 2019 से 2023 के बीच 718 हिम तेंदुए की गणना की, जो वैश्विक आबादी का 10-15% है।

वैश्विक कार्रवाई हेतु पांच सूत्रीय आह्वान

  1. उन्नत वैज्ञानिक सहयोग — क्रायोस्फियर परिवर्तन, जल विज्ञान चक्र, जैव विविधता की निगरानी हेतु अनुसंधान सहयोग बढ़ाना।
  2. जलवायु लचीलापन निर्माण — जलवायु अनुकूलन उपायों में निवेश, ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) के लिए चेतावनी प्रणाली और लचीले बुनियादी ढांचे का विकास।
  3. पर्वतीय समुदायों को सशक्त बनाना — नीति निर्माण में स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना, हरित आजीविका और टिकाऊ पर्यटन के लाभ पहुंचाना।
  4. हरित वित्त उपलब्ध कराना — पर्वतीय देशों को जलवायु अनुकूलन और शमन रणनीतियों के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन मुहैया कराना।
  5. पर्वतीय परिप्रेक्ष्य को मान्यता देना — पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र की विशिष्ट कमजोरियों और योगदान को वैश्विक जलवायु वार्ताओं एवं सतत विकास एजेंडों में शामिल करना।

भारत-नेपाल और हिमालयी देशों के बीच साझेदारी

श्री यादव ने कहा कि भारत नेपाल और अन्य पर्वतीय देशों के साथ मिलकर अपनी साझा पारिस्थितिक विरासत की रक्षा के लिए तत्पर है। उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को दोहराते हुए कहा:

“हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे पवित्र पर्वत आशा और स्थिरता की किरण बनकर हमेशा खड़े रहें।”

उद्घाटन समारोह में प्रमुख भागीदार

इस संवाद में नेपाल के प्रधानमंत्री श्री के.पी. शर्मा ओली, विदेश मंत्री डॉ. आरज़ू राणा देउबा, चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के उपाध्यक्ष श्री शियाओ जी, और सीओपी29 के अध्यक्ष एवं अज़रबैजान के पारिस्थितिकी मंत्री श्री मुख्तार बाबायेव समेत कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

संक्षेप में, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने हिमालयी क्षेत्रों के संरक्षण के लिए वैश्विक सहयोग की महत्वपूर्ण रूपरेखा पेश की, जो पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा और जलवायु संकट से निपटने में वैश्विक स्तर पर एकजुटता का प्रतीक है।

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