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1. अब हर वर्ष 23 सितंबर को मनाया जाएगा ‘आयुर्वेद दिवस’

नई दिल्ली, 13 मई (पीआईबी):भारत सरकार ने आयुर्वेद को वैश्विक मंच पर एक स्थायी पहचान दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब से हर वर्ष 23 सितंबर को ‘आयुर्वेद दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। यह निर्णय 23 मार्च 2025 को जारी राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से लागू किया गया है।

2. धनतेरस की जगह अब ‘शरद विषुव’ पर मनाया जाएगा आयुर्वेद दिवस

अब तक आयुर्वेद दिवस को धनतेरस के दिन मनाया जाता था, जिसकी तिथि चंद्र कैलेंडर पर आधारित होने के कारण हर वर्ष बदलती रहती थी। इसके कारण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों के आयोजन में बाधा उत्पन्न होती थी।
23 सितंबर, जो शरद विषुव (Autumnal Equinox) का दिन होता है, को अब एक स्थिर और प्रतीकात्मक दिन के रूप में चुना गया है।

3. शरद विषुव: संतुलन और आयुर्वेद का साझा दर्शन

23 सितंबर को दिन और रात का समय लगभग बराबर होता है, जो प्रकृति में संतुलन का प्रतीक है।
आयुर्वेद का मूल सिद्धांत भी यही है — शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखना।
इस खगोलीय घटना का प्राकृतिक संतुलन आयुर्वेद के दर्शन से पूरी तरह मेल खाता है।

4. विशेषज्ञ समिति ने की तारीख़ तय करने की सिफारिश

आयुष मंत्रालय द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने चार संभावित तिथियों पर विचार किया। गहन विचार-विमर्श के बाद 23 सितंबर को “सर्वश्रेष्ठ प्रतीकात्मक और व्यावहारिक विकल्प” माना गया।
इस निर्णय को मंत्रालय ने वैश्विक दृश्यता और तार्किकता बढ़ाने के कदम के रूप में देखा है।

5. अगले दशक में बदलती धनतेरस की तिथि बनी चुनौती

आयुष मंत्रालय के अनुसार, अगले दस वर्षों में धनतेरस की तारीख 15 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच बदलती रहेगी। इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजन स्थिर रूप से आयोजित करना मुश्किल हो जाता।
इसी असंगति को खत्म करने के लिए यह स्थायी निर्णय लिया गया है।

6. वैश्विक स्वास्थ्य दृष्टिकोण में आयुर्वेद की भूमिका होगी और सशक्त

मंत्रालय ने कहा कि 23 सितंबर की स्थायी तिथि से आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य नैरेटिव में सम्मिलित करने में मदद मिलेगी।
यह आयुर्वेद को एक वैज्ञानिक, साक्ष्य-आधारित और समग्र चिकित्सा पद्धति के रूप में वैश्विक मंच पर स्थापित करने का प्रयास है।

7. नागरिकों और संगठनों से 23 सितंबर को उत्सव मनाने की अपील

आयुष मंत्रालय ने देशवासियों, चिकित्सा पेशेवरों, शैक्षणिक संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से अपील की है कि वे 23 सितंबर को हर वर्ष आयुर्वेद दिवस मनाएं और इसे व्यापक रूप से अपनाएं।
यह बदलाव आयुर्वेद के निवारक और सतत स्वास्थ्य समाधान के रूप में मूल्य को और अधिक व्यापक रूप से प्रचारित करने का अवसर प्रदान करता है।

 

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