प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में “विकसित भारत 2047 : जलवायु, सु- शासन तथा स्थिरता का दायरा और संभावनाएं” विषय पर आज एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम भारत सरकार के चल रहे अभियान “विकसित भारत 2047: युवाओं की आवाज” के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था, जिसमें विकसित भारत के संकल्प को तीन बिंदुओं में विभाजित किया गया है पहला बिंदु है संकल्प यात्रा दूसरा है अमृत काल विमर्श और तीसरा है युवाओं की आवाज।
चर्चा का फोकस युवाओं के विचारों और आकांक्षाओं और वर्ष 2047 के लिए जिस भारत की वे कल्पना करना चाहते हैं उसे प्राप्त करना, युवा केंद्रित क्षेत्र की पहचान करना और भारत के भविष्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की कल्पना करना था।
चर्चा की शुरुआत रिसर्च स्कॉलर विदुषी डोभाल नैथानी द्वारा रखे गए कॉन्सेप्ट नोट से हुई। उन्होंने भारत 2047 के दृष्टिकोण को आकार देने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और अभियान के पीछे सरकार के लक्ष्यों और दीर्घकालिक उद्देश्यों पर चर्चा की।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मानविकी संकायाध्यक्ष प्रोफेसर हिमांशु बौड़ाई ने की, उन्होंने युवाओं को नये भारत का आधार स्तंभ बताया तथा कहा कि जिस दिन आप खुद से सोचने लगते हैं परिवर्तन होना शुरू हो जाता है इसलिए प्रकृति को बचाने के विषय में भी आपको खुद ही सोचना होगा। सतत विकास के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह विकास आर्थिक व पर्यावरण का मिश्रण है तथा इसे निर्मित करने में युवाओं में सकारात्मक दृष्टिकोण की जरुरत होगी। प्रो.बौड़ाई ने समग्र नैतिक विकास और भविष्य के लिए एक आदर्श समाज की स्थापना पर ध्यान केंद्रित किया।
इसके पश्चात कार्यक्रम में राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एम.एम.सेमवाल ने नीतिगत विषयों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोई भी नीति तभी सफल होती है जब उससे जुड़े लोगों की सहभागिता होती है। उन्होंने कहा कि भविष्य को भी ध्यान में रखकर नीतियों का निर्माण करना होगा जिसमें शहरीकरण की नीति और जल नीति पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। प्रोफेसर एम.एम.सेमवाल ने युवाओं को बेहतर भारत के लिए जागरूक और संवेदनशील नागरिक के रूप में राजनीति में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रो.सेमवाल ने कहां की विकास के साथ-साथ “हैप्पीनेस इंडेक्स” को भी जोड़ना जरूरी है। उन्होंने दीर्घकालिक विकास में हिमालय-केंद्रित नीतियों को भी शामिल करने पर जोर दिया। प्रोफेसर सेमवाल ने कहा कि उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों की स्पष्ट समझ, विकास नीतियों में युवाओं की भागीदारी के लिए महत्वपूर्ण कदम होगी। उन्होंने हालिया सड़क दुर्घटनाओं रिपोर्टों का भी हवाला दिया और युवाओं के विकास के लिए सुरक्षित वातावरण के महत्व पर प्रकाश डाला।
इसके पश्चात कार्यक्रम के संयोजक डॉ.राकेश नेगी ने कहा कि 2047 आने में अभी 26 साल है और हमें अभी बहुत कार्य करने की आवश्यकता है। हमारे देश को और हमारे लोगों को स्वालंबन की नीति अपनाने की जरूरत है ताकि हम अन्य देशों पर निर्भर ना रहे। डॉ.नेगी ने विकास और आर्थिक विकास के बीच मौजूद सीधे संबंध के बारे में बात की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवाओं को उन लक्ष्यों की कल्पना करनी चाहिए और उन पर काम करना चाहिए जो भारत की आजादी के 100 साल पूरे होने तक गरीबी, भूख को खत्म कर दें और जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करें।
सहायक प्रोफेसर डॉ.नरेश कुमार ने छात्रों को संबोधित किया और चर्चा की कि वास्तव में विकसित होने का क्या मतलब है। उन्होंने शमन और अनुकूलन नीति उपायों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को जलवायु परिवर्तन के न्यूनीकरणवादी आख्यान के प्रति आगाह किया और उन्हें बेहतर भविष्य के निर्माण के प्रयास में व्यक्तिगत जिम्मेदारियों और राजनीतिक इच्छाशक्ति से न चूकने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने पीएम मोदी द्वारा पेश किए गए LiFE दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला और यह भविष्य के लिए कैसे मदद करेगा। डॉ.नरेश द्वारा कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की आवश्यकता और सीओपी-28 से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डाला गया। रिसर्च स्कॉलर्स एवं छात्रों ने भी विकसित भारत के लिए अपने विचार और सुझाव रखे। सागर जोशी ने यह कहा कि परिवर्तन स्वयं से शुरू होता है और जलवायु परिवर्तन को कम करने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए दृष्टिकोण भी ऐसा ही होना चाहिए। देवेंद्र सिंह ने ऑटोमोबाइल और परिवहन के क्षेत्रों में सरकार के प्रयासों की सराहना की और कहा कि बीएस-VI अपनाने, एनईपी जैसे क्षेत्रों में दीर्घकालिक दूरदर्शी नीतियां भविष्य में अपना प्रभाव दिखाने में काफी मदद करेंगी। रितिक कुमार ने सुझाव दिया कि महिला सशक्तिकरण और निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी के बिना, हम वास्तव में विकसित राष्ट्र की कल्पना नहीं कर सकते। शुभम कुमार ने देश भर में सही डिजिटल साक्षरता के माध्यम से डिजिटल विभाजन को पाटने और प्रौद्योगिकी की पूरी क्षमता का उपयोग करने के बारे में बात की। शैलजा ने हिमालयी पारिस्थितिकी और हिमनदी झीलों के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। एमए के छात्र सौरभ रावत ने आज युवाओं की चिंता के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के रूप में बेरोजगारी और कौशल अंतर की चिंताओं पर प्रकाश डाला। नेहा ने बेहतर और टिकाऊ भविष्य के लिए दिन-प्रतिदिन की जीवनशैली की आदतों को बदलने के महत्व के बारे में बात की। रूपेश नेगी ने जलवायु परिवर्तन के महत्व के बारे में बात की और बताया कि कैसे हर किसी को व्यक्तिगत जिम्मेदारियां निभानी चाहिए ताकि वे राष्ट्रीय विकास में अपना योगदान दे सकें।
परिचर्चा में डॉ.हेमलता, शोधार्थी अरविन्द रावत,सतीश कुमार, अभिषेक बेंजवाल,आयुषी थलवाल एवं विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी भी उपस्थित थे।