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 संस्कृत पुनर्जागरण की ओर ऐतिहासिक कदम!
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में संस्कृत भारती द्वारा आयोजित 1008 संस्कृत संभाषण शिविरों के समापन समारोह में भाग लिया। बोले – “संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं, भारत की आत्मा है।”
पीएम मोदी के नेतृत्व में संस्कृत को मिल रहा है नया जीवन।
 17 हजार से अधिक लोगों ने सीखा संस्कृत बोलना
 500 करोड़ की ‘ज्ञान भारतम मिशन’ योजना से पांडुलिपियों का संरक्षण
 26 देशों में 4500 केंद्रों के साथ वैश्विक पहुंच

नई दिल्ली। संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में निरंतर कार्य कर रही संस्था संस्कृत भारती द्वारा आयोजित 1008 संस्कृत संभाषण शिविरों का भव्य समापन समारोह शनिवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शिरकत की। इस अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित अन्य गणमान्य अतिथि भी मौजूद रहे।

अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत भारती का यह प्रयास अद्वितीय और प्रेरणास्पद है। उन्होंने कहा कि “संस्कृत दुनिया की सबसे वैज्ञानिक भाषाओं में से एक है। यह भाषा भारत की आस्था, परंपरा, और ज्ञान की आधारशिला रही है। अब समय आ गया है कि हम इसके ह्रास की पीड़ा को याद करने के बजाय इसके उत्थान के लिए कार्य करें।”

शाह ने बताया कि संस्कृत भारती 1981 से संस्कृत में मौजूद ज्ञान के भंडार को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रही है। अब तक संस्था एक करोड़ से अधिक लोगों को संस्कृत बोलना सिखा चुकी है और एक लाख से अधिक संस्कृत प्रशिक्षकों को तैयार कर चुकी है। वर्तमान में देशभर में ऐसे छह हजार परिवार हैं जो घर में केवल संस्कृत में संवाद करते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी संस्था ने 26 देशों में अपने 4500 केंद्र स्थापित किए हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संस्कृत के पुनरुत्थान के लिए एक अनुकूल वातावरण बना है। उन्होंने ‘ज्ञान भारतम मिशन’ का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने पांडुलिपियों के संरक्षण हेतु 500 करोड़ रुपये के कोष की व्यवस्था की है। अब तक 52 लाख से अधिक पांडुलिपियों का दस्तावेजीकरण, साढ़े तीन लाख पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण हो चुका है और namami.gov.in पर 1.37 लाख पांडुलिपियां उपलब्ध कराई जा चुकी हैं।

शाह ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृत को मुख्यधारा में शामिल किए जाने को सरकार की दूरदर्शिता का प्रमाण बताया। उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृत जितनी समृद्ध होगी, देश की हर भाषा और बोली को उतनी ही मजबूती मिलेगी

कार्यक्रम के दौरान शाह ने यह भी बताया कि 10 दिन चले शिविरों में 17 हजार से अधिक लोगों ने संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण लिया, जिससे न केवल उनकी रुचि बढ़ी बल्कि संस्कृत के प्रति सम्मान भी जागृत हुआ।

अंत में अमित शाह ने संस्कृत भारती के समर्पित कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यदि संस्कृत को जनभाषा के रूप में पुनः स्थापित करना है, तो ऐसे प्रयासों को जन आंदोलन में बदलना होगा।

By admin