गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल
श्रीनगर गढ़वाल :- जीवन में किसी भी कार्य को लग्न, मेहनत और सच्चे समर्पण के साथ करने से निश्चित ही सफलता मिलती है।यह उक्ति राजकीय इन्टर काॅलेज सुमाडी विकास खंड खिर्सू में कार्य रत हिन्दी अध्यापक के पद पर कार्यरत अखिलेश चन्द्र चमोला पर चरितार्थ होती है।जो कि अपने अध्यापन कार्य के साथ साथ भावी पीढ़ी में भारतीय संस्कृति के बीज रोपित करने के लिए प्रेरणा दायिनी साहित्य के सृजन करने का कार्य भी करते रहते हैं। चमोला का मानना है कि छात्र छात्राओं का पढाई के साथ साथ अपने देश के महापुरुषों से परिचित होना बहुत जरुरी है। महापुरुषों के आदर्श गुणों को जीवन में अपनाकर ही जीवन में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है।बताते चलें कि आज साहित्य जगत में प्रेरणा दायिनी साहित्य सृजन करने पर चमोला की गिनती राष्ट्रीय स्तर पर प्रेरणा दायिनी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर के रूप में की जाती है। इनके द्वारा लिखित पुस्तकें नैतिक बोध कथायें,महापुरुषों के अनमोल बिचार, शैक्षिक नवाचार, भारतीय संस्कृति तथा नैतिक ऊर्जा के आयाम, महत्वपूर्ण पुस्तकों की श्रेणी में गिनी जाती है।इस तरह के उत्कृष्ट साहित्य के सृजन पर जहां एक ओर प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा भारत ने इन्हें राष्ट्रीय संयोजक के मानद पद पर विभूषित किया,वहीं विश्व हिन्दी रचनाकार मन्च पंजीकृत न्यास ने इन्हें उत्तराखण्ड से संयोजक मण्डल में बतौर सदस्य मनोनीत किया।बिदित हों विश्व हिन्दी रचनाकार मन्च ऐसा मन्च है जो कि विश्व स्तर पर हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए संकल्प बद्ध होकर कार्य करता है।इस मन्च का उद्देश्य बेहतर साहित्य सृजन करने वालों प्रोत्साहित करते हुए मन्च देकर उन्हें निशुल्क सम्मानित करना है।राघवेंद्र ठाकुर इस संस्था के संस्थापक और अध्यक्ष के रूप में दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।इस तरह के प्रतिष्ठित मन्च से संयोजक मण्डल में शामिल होना बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाता है।इस खबर से साहित्य प्रेमियों व समाज सेवियों में खुशी की लहर देखने को मिल रही है।सबका मानना है कि श्री चमोला के चयन से हिन्दी साहित्य के प्रचार प्रसार को बल मिलेगा।इस उपलब्धि पर श्री चमोला से सम्पर्क करने पर उन्होंने बताया कि हिन्दी अध्यापक होने के नाते हिन्दी रचनाकार मन्च की जिम्मेदारी मिलना मेरे लिए गौरव का विषय है।मै अपने दायित्व का निर्वहन समुचित रुप से करुंगा।