अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला “गंगा आयुर-कॉन” मेडीशिनल प्लांट ऑफ गंगा रिवर बेसिन एण्ड एट्स थिरैप्यूटिक इम्पोर्टेंस इन ऑफ इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडीसिंन विषय पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन

 

उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, देहरादून के तीनों परिसरों (गुरुकुल, ऋषिकुल एवं मुख्य परिसर) के रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना, दव्यगुण एवं अगदतंत्र विभाग के संयोजन में आज विशाल अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला “गंगा आयुर-कॉन” मेडीशिनल प्लांट ऑफ गंगा रिवर बेसिन एण्ड एट्स थिरैप्यूटिक इम्पोर्टेंस इन ऑफ इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडीसिंन विषय पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय सभागार गुरुकुल कांगड़ी डीम्ड यूनिवर्सिटी, हरिद्वार में किया गया। आज उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर सुनील जोशी कुलपति उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में प्रारंभ किया गया। आज के सत्र में मुख्य अतिथि आयुष एवं आयुष शिक्षा विभाग के सचिव डॉ पंकज कुमार पाण्डेय रहे । कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में रानीपुर विधायक आदेश चौहान जी, प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री कुलपति गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय डीम्ड यूनिवर्सिटी, प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, प्रो० पी०के० प्रजापति निदेशक, भारतीय भैषज संहिता आयोग, अरुण त्रिपाठी निदेशक आयुर्वेद , प्रोफेसर प्रदीप भारद्वाज कुलाधिपति हिमालयी यूनिवर्सिटी, डॉ राजेश अधाना , प्रभारी कुलसचिव, प्रोफेसर पंकज शर्मा, कैंपस डायरेक्टर, प्रोफेसर विनोद प्रकाश उपाध्याय, आदि रहे। डॉ पंकज पांडे जी ने कहा कि आयुर्वेद की स्वीकार्याता दिनों दिन कोविड काल के बाद बड़ी है। हम सभी ने इस दौरान शरीर की बॉडी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कोई ना कोई इम्यूनोमोड्यूलेटर्स आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन किया है । आज के परिपेक्ष में बस आवश्यकता है आयुर्वेद में एविडेंस बेस्ड मेडिसिन अप्रोच को अपनाने की। प्रो०सुनील जोशी ने कहा इस कॉन्फ्रेंस में मां गंगा रिवर वेसिन औषधीय पौधों के औषधिय महत्व पर 200 से अधिक शोध पत्र पढ़े जाएंगे। इस अवसर पर गंगा संपदा सोविनियर का विमोचन भी किया गया। डा० जोशी ने बताया कि गंगा रिवर बेसिन के मेडिसिनल प्लांट्स के औषधि महत्त्व पर उपलब्ध साइंटिफिक लिटरेचर रिसर्च वर्क का संग्रह कर इनसाइक्लोपीडिया का प्रकाशन भी किया जा रहा है। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद शास्त्री ने कहा कि गंगा हमारे जीवन का आधार है। गंगा जल की शुद्धता पवित्रता बनाए रखने में हम सब की एक बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने कहा मां गंगा के पौराणिक वैदिक औषधि महत्व पर विस्तृत व्याख्यान दिया। विधायक श्री आदेश चौहान ने कि आज खेती के लिए प्रयोग किए जा रहे पेस्टिसाइड एवं केमिकल हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं, समाज में कैंसर एवं विभिन्न रोगों का मूल कारण इन केमिकल का अत्यधिक दुष्प्रभाव है, केमिकल जलधारा गंगा में मिलकर गंगा को भी प्रदूषण को बना रहे अत: आज जैवकीय खेती अपनाने की आवश्यकता है। सत्र के अंत में प्रोफ़ेसर पंकज शर्मा ने आए हुए सभी सज्जनों को मुख्य अतिथियों का , रिसर्च स्कॉलर एवं विषय विशेषज्ञों का धन्यवाद व्यक्त किया। आज के कार्यक्रम में सम्पूर्ण देश से विषय विशेषज्ञ, रिसर्च स्कॉलर यूजी पीजी, आयुर्वेद छात्र-छात्राओं ने भारी संख्या में प्रतिभाग किया। धनंजय श्रीवास्तव के संयोजन में बाहर विदेशों से आए आयुर्वेद भाग लिया। वर्चुअल मोड में भी डॉक्टर नवीन जोशी जी, डा०राजीव‌ कुरेले के संयोजन में देश-विदेश में प्रतिभागियों को जोड़ा गया। उद्घाटन सत्र का कुशल संचालन प्रोफेसर बालकृष्ण पवार ने किया। आज तीन सेमिनार हॉल में कॉन्फ्रेंस में 50 से अधिक रिसर्च पेपर गंगा के द्रव्यगुणों एवं औषधि महत्व पर साइंटिफिक , प्रस्तुतीकरण किये गये। प्रोफेसर डीसी सिंह परिसर निदेशक ऋषि कुल, तीनो परिसर के शिक्षकों प्रो० खेम चंद शर्मा,
प्रो० मीना रानी आहूजा, ओ०पी०सिंह, प्रो० प्रेमचंद शास्त्री, सुरेश चौबे, प्रोफेसर रमेश चंद तिवारी, डा० राजीव करेले, डॉक्टर शैलेंद्र प्रधान डॉक्टर संजय गुप्ता, डॉक्टर शुचि मित्रा, डॉ मनीषा दीक्षित, अमित तमाडडी, डा०नंद किशोर दाधीच, डॉ डीके सेमवाल, डा०आशुतोश चौहान, डॉ सतीश कुमार सिंह डॉ वीरेंद्र टम्टा डॉ० विवेक वर्मा, डा0 किरन वशिष्ठ, डा० मंयक भटकोटि, डा० यादवेन्द्र यादव, डा० वेद भूषण शर्मा, डा० अदिति पांडे , डा०पारूल, डा०भावना मित्तल, डा०विपिन पाण्डेय, डा०विपिन अरोरा, डा० दीपशिखा, डा० नेहा जोशी आदि शिक्षकों , पीजी स्कोलर डा०शिवानी , डा० पूनम, डा० संगीता,डा० हर्षित, डा०पारस अग्रवाल, आदि एवं अधिकारियों, सक्रियता से भाग लिया।