उत्तराखण्ड को राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड से सर्वोत्तम राज्य का पुरस्कार

उत्तराखण्ड का यह पुरस्कार न केवल राज्य के विकास की दिशा में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह प्रदेश की मेहनत, नवाचार और तकनीकी सोच का प्रतीक भी है। इससे राज्य के मत्स्य पालन क्षेत्र में एक नया उत्साह और जोश आएगा, और उम्मीद की जाती है कि राज्य का मत्स्य पालन उद्योग देशभर में अपनी अलग पहचान बनाएगा।
-हरीशंकर 
नई दिल्ली-उत्तराखण्ड में मत्स्य पालन के क्षेत्र में किए गए अभिनव प्रयोगों के लिए राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड हैदराबाद की ओर से उत्तराखण्ड को हिमायली और उत्तर पूर्व के राज्यों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार प्रदान किया गया है।
आज विश्व मत्स्य पालन दिवस पर नई दिल्ली में आयोजित समारोह में केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन, डेयरी, पंचायतीराज राज्यमंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह द्वारा उत्तराखण्ड के सचिव पशुपालन, मत्स्य विभाग डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम को यह पुरस्कार सौंपा गया।
उत्तराखण्ड मत्स्य पालन विभाग ट्राउट फार्मिंग के लिए राज्य में 1400 से अधिक ट्राउट रेसवेज का निर्माण कर चुका है, साथ ही मत्स्य सम्पदा योजना के तहत ऊधमसिंह नगर में राज्य स्तरीय एक्वापार्क और एक होल सेल मार्केट का भी निर्माण किया जा चुका है। यही नहीं विभाग ने स्थानीय मत्स्य पालकों के समूहों और आईटीबीपी के बीच भी मछली आपूर्ति के लिए अनुबंध किया है। इन प्रयोगों से उत्तराखण्ड में मछली पालकों की आय बढ़ने की उम्मीद है। इन्हीं प्रयोगों के चलते बोर्ड ने उत्तराखण्ड को इस पुरस्कार के लिए चुनाव है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुरस्कार पर विभाग और मत्स्य पालकों को बधाई देते हुए कहा कि सरकार किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसके परिणाम अब नजर आने लगे हैं।

उत्तराखण्ड में मत्स्य पालन के क्षेत्र में किए गए अभिनव प्रयोगों के लिए पुरस्कार

उत्तराखण्ड को राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, हैदराबाद द्वारा हिमायली और उत्तर पूर्वी राज्यों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह पुरस्कार राज्य सरकार के प्रयासों को मान्यता देने के रूप में दिया गया है, जो उसने मत्स्य पालन के क्षेत्र में किए गए अभिनव प्रयोगों के लिए किए हैं। इस सम्मान को प्राप्त करने के बाद उत्तराखण्ड ने अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं को और भी सशक्त किया है, जिससे राज्य के मत्स्य पालकों की आय में वृद्धि की संभावना है।

यह पुरस्कार विश्व मत्स्य पालन दिवस के मौके पर नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया। केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन, डेयरी और पंचायतीराज राज्यमंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह द्वारा उत्तराखण्ड के सचिव पशुपालन और मत्स्य विभाग, डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम को यह पुरस्कार सौंपा गया। यह एक ऐतिहासिक अवसर था, जब राज्य की मेहनत और योजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया।

उत्तराखण्ड के मत्स्य पालन क्षेत्र में अभिनव प्रयोग

उत्तराखण्ड ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में कई अभिनव और प्रभावशाली प्रयोग किए हैं, जिनका राज्य की आर्थ‍िक स्थिति और मछली पालन करने वाले समुदाय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। राज्य सरकार ने ट्राउट फार्मिंग के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो राज्य के कृषि-आधारित समाज को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक साबित हो रहे हैं।

  1. 1400 ट्राउट रेसवेज का निर्माण: राज्य में ट्राउट मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए 1400 से अधिक ट्राउट रेसवेज बनाए गए हैं। इन रेसवेजों का निर्माण उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में किया गया है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जलवायु और जलवायु परिस्थितियां ट्राउट मछली पालन के लिए उपयुक्त हैं। इससे राज्य के विभिन्न हिस्सों में मछली पालन में नए अवसर पैदा हुए हैं, और स्थानीय समुदाय को रोजगार भी मिल रहा है।
  2. राज्य स्तरीय एक्वापार्क और होल सेल मार्केट का निर्माण: उत्तराखण्ड के ऊधमसिंह नगर में राज्य स्तरीय एक्वापार्क और होल सेल मार्केट का निर्माण किया गया है। यह कदम राज्य के मत्स्य पालन उद्योग को एक नई दिशा देने के लिए उठाया गया है, जिससे मछली उत्पादन और विपणन में सुधार होगा। एक्वापार्क मछली पालन के तकनीकी पहलुओं पर शोध और विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है, जबकि होल सेल मार्केट मछली उत्पादकों को उचित मूल्य पर अपने उत्पाद बेचने का अवसर प्रदान करेगा।
  3. आईटीबीपी के साथ अनुबंध: राज्य ने आईटीबीपी (इंडो-तिब्बतियन बॉर्डर पुलिस) के साथ मछली आपूर्ति के लिए एक अनुबंध भी किया है। इसके तहत राज्य के स्थानीय मछली पालकों के समूहों को आईटीबीपी के कैंपों और प्रतिष्ठानों में मछली आपूर्ति करने का अवसर मिलेगा। यह पहल राज्य के मछली पालन करने वालों के लिए एक स्थिर और बड़ा बाजार प्रदान करेगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सकती है।
  4. स्थानीय मछली पालकों के समूहों का सशक्तिकरण: राज्य सरकार ने स्थानीय मछली पालकों के समूहों को सशक्त बनाने की दिशा में भी काम किया है। समूहों के माध्यम से मछली पालन की गतिविधियों को एक व्यवस्थित रूप से चलाया जा रहा है, जिससे किसानों को तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और विपणन का समर्थन मिल रहा है।

मुख्यमंत्री का संदेश और बधाई

इस पुरस्कार पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के मत्स्य पालन विभाग और मछली पालकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है, और इसके सकारात्मक परिणाम अब नजर आने लगे हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह पुरस्कार प्रदेश के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और इससे राज्य के मत्स्य पालन क्षेत्र को और बढ़ावा मिलेगा।

पुरस्कार का महत्व और भविष्य की दिशा

उत्तराखण्ड को यह पुरस्कार राज्य सरकार द्वारा किए गए सशक्त प्रयासों की प्रतीक है। यह प्रमाणित करता है कि राज्य ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में सही दिशा में काम किया है और उसकी योजनाएं सफल हो रही हैं। इस पुरस्कार से राज्य की छवि और भी मजबूती से उभरेगी और अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करेगी।

आने वाले समय में उत्तराखण्ड राज्य अपनी मत्स्य पालन योजनाओं को और सुदृढ़ करेगा। सरकार की योजना है कि इस क्षेत्र में और भी नए प्रयोग किए जाएं, जिससे मछली पालन को और ज्यादा लाभकारी बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त, राज्य में मछली पालन को और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाएगा।