अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला “गंगा आयुर-कॉन-२२” मेडीशिनल प्लांट ऑफ गंगा रिवर बेसिन एण्ड एट्स थिरैप्यूटिक इम्पोर्टेंस इन ऑफ इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडीसिन विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न

देहरादून,उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, देहरादून कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी जी के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों (गुरुकुल, ऋषिकुल एवं मुख्य परिसर) के रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना, दव्यगुण एवं अगदतंत्र विभाग के संयोजन में आज विशाल अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला “गंगा आयुर-कॉन-२२” मेडीशिनल प्लांट ऑफ गंगा रिवर बेसिन एण्ड एट्स थिरैप्यूटिक इम्पोर्टेंस इन ऑफ इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडीसिन विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। आज प्रातः विभिन्न हॉल में आयोजित टेक्निकल सत्र में दिल्ली से पधारे डॉ० सुम्मेर तोमर चौधरी ब्रह्म प्रकाश चारक संस्थान दिल्ली, एसकेडी कॉलेज मुजफ्फरनगर के रस शास्त्र के प्रोफेसर देवेंद्र जोशी, पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के हेड डॉ अनुराग वाष्णेय, प्रो० अनीता शर्मा, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर, अगद तंत्र हेड, प्रोफेसर पी.के. प्रजापति, रसशास्त्र विभागाध्यक्ष ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेदा दिल्ली, डॉ शोभा भट्ट आई.एम.एस. बी.एच.यू., प्रो० राकेश भूटानी, डॉ० सुमित, प्रो०संजय गुप्ता, डा० विवेक कुमार, प्रो० कुमुद उपाध्याय, कुमायूं यूनिवर्सिटी, प्रो०पार्थ राय आई.आई.टी. रुड़की, डॉ स्मिता झांबरे(विष्ट), प्रो०स्वस्थवृत्त, उत्तरांचल आयुर्वैदिक कॉलेज, प्रोफ़ेसर मधुकर शेवाळे, वाइस प्रिंसिपल उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज, डॉ दुष्यंत सिंह एसोसिएट प्रोफेसर, डॉक्टर अंजली उपाध्याय, आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेदा, डॉक्टर रोहित आदि की नोट स्पीकरो/विषय विशेषज्ञो द्वारा गंगा रिवर बेसिन मैं पाए जाने वालेऔषधीय पौधों के चिकित्सकीय महत्व पर वैज्ञानिक व्याख्यान दिये । कार्यक्रम के सायंकाल के वैज्ञानिक सत्र में रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान प्रो० विनोद प्रकाश उपाध्याय ने सौंदर्य प्रसाधन आयुर्वेदिक क्रीम के निर्माण का लाइव डेमो उपस्थित प्रतिभागियों को प्रदर्शित किया तथा १५औषधियों की लिस्ट जिसमें किचन में होने वाले औषधि पौधे, 15 विशाल आयुवर्धक रसायन गुणों से युक्त वृक्ष आदि के चिकित्सकीय महत्व पर प्रकाश डाला। तथा अरोमा थेरेपी के अप्लाइड एस्पेक्ट पूरा वर्णन किया। 2 दिवस से चल रही अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में 200 से अधिक शोधपत्रों तीन कॉन्फ्रेंस हॉल में पढ़ा गया एवं पोस्टर प्रेजेंटेशन, विभिन्न क्विज आदि प्रदर्शित हुए। इस दौरान विभिन्न पोस्टर प्रतियोगिता एवं रिसर्च पेपर प्रेजेंटेशन में प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर आए छात्र छात्राओं को पुरस्कार एवं स्मृति चिन्ह भी वितरित किया गया। सायंकाल समापन सत्र में की अध्यक्षता उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति मा० प्रो० सुनील जोशी जी ने की। इस सत्र में आयुर्वेद के वरिष्ठ विद्वत जन प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, प्रोफेसर नरेंद्र पाल वर्मा, प्रो०रवि वर्मा का सम्मान किया गया। तथा पूरे कॉन्फ्रेंस को सक्रियता से व्यवस्थित रूप में ऑर्गेनाइज करने के लिए आयोजन समिति के सदस्यों एवं यूजी पीजी शोधार्थी वॉलिंटियर तथा कार्यक्रम में सहयोग करने वाले विभिन्न आयुर्वेदिक कॉलेजों के प्रिंसिपल, प्रबंधन सदस्यों एवं फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों का सम्मान किया गया एवं प्रशस्ति पत्र मोमेंटो प्रदान किए गए। इस सत्र में विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव डॉ राजेश अधना, भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ० जे०के० नौटियाल, मदरहुड यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र शर्मा, आयुर्वेद विभाग उत्तराखंड के डायरेक्टर प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी, आयुर्वेद विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर अनूप गक्कड़, प्रोफेसर डीसी सिंह ऋषि गुरुकुल परिसर निदेशक- प्रोफेसर पंकज शर्मा , प्रो०प्रेमचंद शास्त्री आदि उपस्थित रहे। समापन सत्र में गुरुकुल परिसर निदेशक प्रोफेसर पंकज शर्मा ने इस कार्यक्रम की अपार सफलता के लिए आए हुए सभी देश के 15 राज्यों से देवभूमि उत्तराखंड में पधारे सभी प्रतिभागियों , विषय एक्सपोर्ट, विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया । तथा कार्यक्रम में लगे आयोजन समिति के सभी सदस्यों वरिष्ठ शिक्षकों गुरुकुल, ऋषिकुल,मुख्य परिसर के कर्मचारियों एवं शिक्षक गणों चिकित्सकों तथा कार्यालय स्टाफ का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया। तीनो परिसर के शिक्षकों प्रो० खेम चंद शर्मा,
प्रो० मीना रानी आहूजा, प्रो० बालकृष्ण पवार, प्रो०ओ०पी०सिंह, डॉ नरेश चौधरी, प्रोफेसर गिरिराज गर्ग, प्रो०सुरेश चौबे, प्रो०रमेश चंद तिवारी, प्रो०अजय गुप्ता, प्रोफेसर उत्तम शर्मा, प्रोफ़ेसर माधवी गोस्वामी,प्रो०सुमन मिश्रा, डा०एसपी वशिष्ठ, देवेश शुक्ला, डॉ०शैलेंद्र प्रधान डॉ० संजय गुप्ता, डॉ उषा शर्मा, डॉक्टर शुचि मित्रा, डॉ मनीषा दीक्षित, डा०नवीन जोशी, डॉक्टर महेश चंद्र, डा० ऋषि आर्य,डा० जसप्रीत, मन्नत मारवाह, डा० प्रियरंजन, रंजन तिवारी, डॉ० नितेश आनंद डा०अरुण शर्मा, डा०नंद किशोर दाधीच, डा० ज्ञानेंद्र शुक्ला, डॉ एस पी सिंह, डॉ डीके सेमवाल, डा०आशुतोश चौहान, डॉ सतीश कुमार सिंह डॉ वीरेंद्र टम्टा डॉ० विवेक वर्मा, डा0 किरन वशिष्ठ, डा० मंयक भटकोटि, डॉक्टर शीतल बर्मा डा० यादवेन्द्र यादव, डा० वेद भूषण शर्मा, डा० अदिति पांडे , डा०पारूल, डा०भावना मित्तल, डॉ अनीता झुनझुनवाला, डा०विपिनकुमार पाण्डेय, डा०विपिन अरोरा, प्रोफेसर अवधेश मिश्रा डा० दीपशिखा, डा० नेहा जोशी आदि शिक्षकों , यूजी/पीजी स्कोलर डा०नन्दिनी शाह, डा०सोनिया,डा० शुभम राय, डा०सोनम, डा०तनुजा, डा०शशि, डा०प्रियंका, डा० नेहा, डा०प्रतीका, डा० त्रिभुवन,डा०मोहित,डा०सुभाष, डा०आदित्य आदि एवं विश्वविद्यालय अधिकारियों /स्टाफ चंद्र मोहन पैन्यूली, हरीश चंद्र गुप्ता, राहुल तिवारी, संदीप, बंदना, ध्रुव प्रजापति, अरुण कुमार, जौहर सिंह दानू, मनीष, मोहित, विनोद, अनूप,जगदीश कैंतूरा अनिल, होशियार सिंह, अमन,पवन आदि ने सक्रियता से भाग लिया।