प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। राजकीय मेडिकल कॉलेज के ऑडोटोरियम में शनिवार को एक दिवसीय डर्मेटोपैथोलॉजी पर सीएमई का आयोजन होगा। जिसमें देश व प्रदेश भर के विभिन्न अस्पतालों से विषय विशेषज्ञ ने डर्मेटोपैथोलॉजी में किये गये शोध कार्यो पर चर्चा करते हुए उन्हें त्वचा रोगों और उनके निदान के लिए बेहतर से बेहतर कार्य मरीज हित में करने का आह्वान किया गया। सीएमई में पीजी छात्रों ने पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से भी डर्मेटोपैथोलॉजी पर अपने शोध कार्य दर्शाये गये। पोस्टर एंव प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में
डॉ.अलका गुप्ता,पीजी छात्र ने प्रथम स्थान,डॉ.मोहम्मद आशिफ सिद्दक्की,पीजी छात्र ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं कार्यक्रम के संरक्षक डॉ.सीएमएस रावत ने पैथोलॉजी विभाग द्वारा उक्त कार्यक्रम किये जाने पैथोलॉजी विभाग विभागाध्यक्ष व उनकी टीम को बधाई दी व कहा कि ऐसे ऐकेडमिक कार्यक्रम मेडिकल कॉलेज में होने से चिकित्सालय मे आने वाले लोगों की चिकित्सा सेवा में लाभ मिलेगा। प्राचार्य ने कहा कि ऐसी सीएमई से चिकित्सा शिक्षा के विशेषज्ञ चिकित्सको के साथ ही चिकित्सा सेवा अपडेट रहती है। इससे नये ज्ञान व कौशल मे गुणात्मक सुधार होता है,जो मरीजों के हित है। इसके साथ बीमारी का सही पता होने के साथ सटीक इलाज संभव होता है। प्रो.रावत ने कहा कि सीएमई के आयोजन से अन्य पीजी छात्रों के शोध कार्यो में बढ़ावा मिलता है और गुणवत्तापरक शोध कार्य होता है। किसी भी एकेडमिशियन के लिए रिसर्च अभिन्न हिस्सा है व सतत सीखना व विद्यार्थी रहना हमेशा आशीर्वाद है। हमे जीवनपर्यन्त सतत सीखने व अनुसंधान करने की भूख रहनी चाहिए। इससे हम समाज को बहुत कुछ दे सकते है।चिकित्सा अधीक्षक डॉ.अजेय विक्रम सिंह ने कहा कि चिकित्सा सेवा में इस तरह की सीएमई का महत्वपूर्ण रोल होता है और इस तरह के आयोजन से चिकित्सक और रोगविज्ञानी रोगी देखभाल के लिए मिलकर काम करते हैं। इस मौके पर आर्गेनाइजिग चेयरमैन एवं पैथोलॉजी विभाग एचओडी प्रो.गजाला रिजवी ने कार्यक्रम में पहुंचे सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया। उन्होंने अपने प्रजेंटेशन मे त्वचा बायोप्सी का उचित मूल्यांकन हमें रोग के सही निदान तक पहुंचने में मदद करता है इस पर विस्तार से शोधपरक जानकारी कार्यक्रम में दी। कहा कि आज के समय में डर्मेटोपैथोलॉजी का महत्व काफी बढ़ गया है। त्वचा रोगविज्ञान उतना सीधा नहीं है जितना लगता है। त्वचाविज्ञान के क्षेत्र में उचित नैदानिक निर्णय लेने में सटीक नैदानिक जानकारी और रोग संबंधी व्याख्या महत्वपूर्ण है। डॉ.प्रतिक्षा ने “क्लीनिशियन की नजर मे डरमेटोपैथोलाजी”,डॉ.नादिया ने “बेसिक पैटर्न आफ डरमेटोलाजी”,डॉ.शीनम ने “इनटरफेस डरमेटाईटिस”, व डॉ.सचान बट्ट ने “एनिगमेटिक केस मे डर्मेटोपैथोलॉजी” पर विस्तार से चर्चा की। प्रतिभागियों के लिए कई वैज्ञानिक सत्र और व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल थे। संचालन डॉ.सृजन श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ.विनिता रावत,ब्लड़ बैंक प्रभारी डॉ.सतीश कुमार,डॉ.दीपा हटवाल,डॉ.शीला चौधरी,डॉ.सचान भट्ट,डॉ.पवन भट्ट,डॉ.वरूण प्रसाद,डॉ.निरंजन गुंजन कुमार,डॉ.रिचा,डॉ.अनिल द्विवेदी,गुरू राम राय मेडिकल कॉलेज,देहरादून से डॉ.शीनम आजाद,प्रोफेसर, पैथोलॉजी विभाग,हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सस्,जौलीग्राण्ट से डॉ.नादिया शिराजी,डॉ.अभिनव जूनवाल,डॉ.स्वाति पुण्डीर सहित विभिन्न मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों से पहुंचे विषय विशेषज्ञ व पीजी छात्र-छात्राओ द्वारा सक्रिय भागीदारी के साथ प्रतिभाग किया गया।