पंच केदारों के विश्व विख्यात मदमहेश्वर व तुंगनाथ धामों के कपाट खोलने की तिथि वैशाखी पर्व पर होगी घोषित

 

प्रदीप कुमार

ऊखीमठ/श्रीनगर गढ़वाल। पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान मदमहेश्वर तथा तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धामों के कपाट खोलने तथा चल विग्रह उत्सव डोलियों के शीतकालीन गद्दी स्थलों से हिमालय रवाना होने की तिथि कल वैशाखी पर्व पर शीतकालीन गद्दी स्थलों में पंचाग गणना के अनुसार घोषित की जायेगी। जानकारी देते हुए मन्दिर समिति कार्याधिकारी आर.सी.तिवारी ने बताया कि पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोलने तथा चल विग्रह उत्सव डोली के ऊखीमठ से कैलाश रवाना होने की तिथि कल वैशाखी पर्व पर शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में पंचाग गणना के अनुसार विद्वान आचार्यों,मन्दिर समिति के पदाधिकारियों,अधिकारियों तथा हक-हकूधारियो की मौजूदगी में घोषित की जायेगी। वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि बताया कि कपाट खोलने तथा चल विग्रह उत्सव डोली के ऊखीमठ से धाम रवाना होने की तिथि घोषित करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। भगवान केदारनाथ व द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में शीतकाल में 19 हजार 407 तीर्थ यात्रियों ने पूजा-अर्चना व जलाभिषेक कर मनौती मांगी तथा विश्व समृद्धि व क्षेत्र के खुशहाली की कामना की। जानकारी देते हुए मन्दिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि ओकारेश्वर मन्दिर में शीतकालीन यात्रा के दौरान 9818 पुरुषों, 6986 महिलाओं, 2484 नौनिहालों व 119 विदेशी सैलानियों ने दर्शन किये। वही दूसरी ओर जानकारी देते हुए तुंगनाथ धाम के प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी ने बताया कि पंच केदारो में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट खोलने तथा चल विग्रह उत्सव डोली के मक्कूमठ से कैलाश रवाना होने की तिथि कल वैशाखी पर्व पर शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में पंचाग गणना के अनुसार विद्वान आचार्यों,मन्दिर समिति के अधिकारियों व हक-हकूधारियो की मौजूदगी में घोषित की जायेगी। कालीमठ मन्दिर समिति प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि चैत्र नवरात्रो में प्रतिदिन सैकड़ों तीर्थ यात्री सिद्धपीठ कालीमठ पहुंच कर भगवती महाकाली,महालक्ष्मी व महासरस्वती की पूजा-अर्चना कर मनौती मांग रहे हैं तथा प्रति दिन सैकड़ों भक्तों की आवाजाही होने से कालीमठ घाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है।