हेमवंती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा संकाय में उच्च शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा की उपादेयता विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन*

*प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। शिक्षा विभाग हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल ( केन्द्रीय) विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा संकाय 18 मार्च 2024 को उच्च शिक्षा मेें भारतीय ज्ञान परम्परा की उपादेयता विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया l कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय प्रो.रमा मैखुरी डीन शिक्षा संकाय द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत कर किया गया एवं उन्होंने यह भी कहां की भारतीय संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा का ज्ञान परम आवश्यक है। वेबिनार के मुख्य संरक्षक,कुलपति प्रो.अनुपूर्णा नौटियाल के द्वारा सम्बोधन किया गया जिसमें उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन एवं भारतीय ज्ञान परंपरा ‘वसुधैव कुटुम्बकम् विचाराधारा पर ही आधारित है। जिसमें नैतिक,आध्यात्मिक,सामाजिक,सांस्कृतिक मूल्यों के साथ मनुष्य का सर्वागीण विकास का लक्ष्य है, साथ ही उन्होंने शिक्षा विभाग को भी इस वेबिनार को आयोजित करने के लिए बधाई दी।

कुलपति के पश्चात् प्रतिकुलपति प्रो.आर.सी.भट्ट ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा मे वेद पुराण उपनिषदों का अत्यधिक महत्ता है,जिसको आधुनिक शिक्षा पद्धति मे जोड़ने की अत्यन्त आवश्यकता है व वेदों में विद्या को मनुष्यता की श्रेष्ठता का आधार स्वीकार किया गया था। वेबीनार के मुख्य अतिथि माननीय कुलपति गुजरात विश्वविद्यालय प्रो.नीरजा ए.गुप्ता ने सबको शुभकामनाएं एवं अपना आशीर्वाद प्रेषित किया। विशिष्ट अतिथि सी.बी.शर्मा निर्देशक स्कूल आफ एजुकेशन इग्नू द्वारा कहा गया कि एन.सी.ई.आर.टी.की किताबों में भारतीय ज्ञान को स्थान देने पर जोर दिया साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय ज्ञान को जानने कि भी आवश्यकता है l प्रो.कुमार रत्नम निर्देशक उच्च शिक्षा मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा कहा गया कि प्रत्येक विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परंपरा विभाग की स्थापना करने की आवश्यकता है। कुलपति माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल प्रो.के.जी.सुरेश ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को स्थापित करने में लिए शोध कार्य के विद्यार्थियो के लिए उनके पाठ्यक्रम में जोड़ने की आवश्यकता है, इसके पश्चात कुलपति एन.एल.यू.जयपुर प्रोफेसर निष्ठा जसवाल ने भारतीय ज्ञान परंपरा को विधि संहिता के साथ जोड़कर शिक्षा से जोड़ने की बात की। साथ ही विभाग अध्यक्ष शिक्षा विभाग प्रोफेसर सुनीता गोदियाल जी के द्वारा कहा गया कि भारतीय ज्ञान परंपरा द्वारा भारतीय संस्कृति को जीवंत रखा जा सकता है जिसके लिए सभी विश्वविद्यालय को भारतीय ज्ञान परंपरा को शिक्षा से जोड़ने की आवश्यकता है और शिक्षा विभाग आने वाले भविष्य में इसके लिए रणनीति बनाकर कार्य करेगा।
वेबीनार के संयोजक डॉ.अमरजीत सिंह परिहार ने कहा कि भारतीय ज्ञान को जनमानस तक पहुंचाने के लिए शिक्षा से जोड़ना आवश्यक है जिसके लिए युवा पीढी के शैक्षिक लक्ष्यों जो जानना आवश्यक है। वेबिनार का संचालन डॉ.अनु राही एव्ं डॉ.पुनीत वालिया द्वारा किया गया।
डॉ.सिद्धार्थ लोहनी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया l राष्ट्रीय वेबिनार मे पूर्व कुलपति बड़ौदरा प्रो.आर.सी.कोठारी, प्रो.राजकुमार पूर्व कुलपति चंडीगढ़, प्रो.अनिल नौटियाल,प्रो.गीता खंडूरी,प्रो.सीमा धवन,डॉ.रमेश राणा,डॉ.देवेंद्र सिंह,डॉ.शंकर सिंह,डॉ.सपना सेन,डॉ.सुमनलता तिरुवा,डॉ.नागेंद्र यादव सहित 250 प्रतिभागी उपस्थित रहे और 450 प्रतिभागियों द्वारा वेबिनार हेतु पंजीकरण किया गया।