फल-फूल रहा खनन माफिया, स्थानीय लोग परेशान*

*प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। श्रीनगर क्षेत्रान्तर्गत न्यू कमलेश्वर मौहल्ला के समीप अलकनंदा नदी में पिछले कई दिनों से अवैध खनन स्थानीय लोगों के लिए नासूर बना हुआ है। लोगों के बार बार अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद भी खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिससे लोगों ने खनन माफियाओं व प्रशासन के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। स्थिति इस कदर बनी हुई है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से खनन माफियाओं के रसूख के आगे सिस्टम बौना नजर आ रहा है। श्रीनगर के अलकनंदा नदी में न्यू कमलेश्वर मौहल्ला ठीक सामने खनन माफियाओं के तिलिस्म को तोड़ पाना पुलिस प्रशासन सहित शासन प्रशासन के लिए लगातार बड़ी चुनौती बना हुआ है। खनन माफियाओं के रसूख के आगे सिस्टम बौना नजर आ रहा है। पिछले कई दिनों से यहां अवैध खनन स्थानीय मौहल्ला वासियों के लिए नासूर बना हुआ है। लोग विरोध करते हैं, अधिकारियों से शिकायत भी करते हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से कभी भी ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। श्रीनगर क्षेत्र के अलकनंदा नदी में अवैध खनन का धंधा फल-फूल रहा है। इस अवैध खनन से लोगों के भवनों को भी खतरा पैदा हो रहा है। विदित हो कि वर्ष 2013 में आये विनाशकारी आपदा से श्रीनगर गढ़वाल का यही क्षेत्र आपदा की भेंट चढ़ गया था, बावजूद हर दिन सुबह रेत व पत्थर खनन कर रहे डंपरों से लोगों के भवनों,सडकों के टूटने व खनन की मिट्टी से हो रहे प्रदूषण लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरी रात डंपर, यूटिलिटी सोने नहीं देते। डंपरों के आवागमन से उड़ती धूल व रेत से जीना दूभर तो हो ही गया है,साथ ही खनन से नदी के बहाव का रुख भी उनके मकानों की ओर हो गया है। जिससे बरसात में नदी बढ़ने से मकानों को बहुत खतरा पैदा हो गया है। आसपास रहने वाले लोगों में डॉ.ताजबर कण्डारी, गिरीश उनियाल, आशाराम पूरी, शिवदत्त नैथानी आदि का कहना है कि रात का अंधेरा होते ही खनन माफिया सक्रिय हो जाते हैं। प्रशासन की मिलीभगत से जेसीबी व पोकलैंड मशीनों से पूरे दिनभर नदी में जगह पत्थर व रेत खोदाई कर शासन के मानकों के मुताबिक खनन किए जाने की दुहाई दी जाती है। नदी को न्यू कमलेश्वर मौहल्ला की तरफ से खोखला किया जा रहा है। जिसका स्थानीय लोगों ने पूरजोर विरोध कर आंदोलन की चेतावनी दी है।