प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में माइक्रोबायोलॉजी विभाग में सीएमई का आयोजन किया गया। जिसमें सेप्सिस : रोग की त्वरित डायग्नोसिस व एन्टी माइक्रोबियल थेरेपी की आवश्यकता पर विषय विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी गई। कहा कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है, और इसे एक मूक महामारी के रूप में मान्यता दी गई है। अधिक से अधिक एंटीबायोटिक्स अप्रभावी होते जा रहे हैं और इस घटना के कारण संक्रामक रोगों का इलाज करना मुश्किल हो रहा है। जिससे अधिक मौते हो रही है।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत, मुख्य वक्ता डा. देवजानी डे,व विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी डा विनिता रावत द्वारा किया गया । रोगाणुरोधी एजेंट दुनिया भर में सबसे व्यापक रूप से और अक्सर अविवेकपूर्ण तरीके से उपयोग की जाने वाली चिकित्सीय दवाओं हैं। रोगाणुरोधी चिकित्सा निर्धारित करते समय महत्वपूर्ण विचारों में संक्रमण का सटीक डायग्नोसिस प्राप्त करना शामिल है। रोगाणुरोधी दवाओं की आवश्यकता को कम की जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, मानव स्वास्थ्य क्षेत्र में, बेहतर स्वच्छता, स्वच्छ पानी तक पहुंच और हाथ की सही स्वच्छता से संक्रमण की संभावना और रोगाणुरोधी दवाओं की आवश्यकता कम हो सकती है। इसी तरह, बेहतर जैव सुरक्षा, समय पर टीकाकरण, विकल्पों का उपयोग और उचित अपशिष्ट प्रबंधन से खाद्य-पशु उत्पादन प्रणालियों में संक्रामक रोगों को रोका जा सकता है। कार्यक्रम में पहुंची मुख्य वक्ता डॉ. देवजानी डे द्वारा त्वरित डायग्नोसिस, एंटीबायोटिक्स दवाओं के प्रयोग करने के सही तरीके एवं सेप्सिस के मैनेजमेंट के बारे में जानकारी दी। माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ. विनीता रावत ने अस्पताल के पिछले एक साल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में किये गये जांचों का डाटा प्रस्तुत किये। डॉ. पूजा शर्मा ने ब्लड़ कलेक्शन, स्टोरेज व ट्रान्सपोरटेशन संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी दी। इस मौके पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रविन्द्र सिंह बिष्ट सहित समस्त विभागों के संकाय सदस्य व पीजी एवं एसआर, जेआर उपस्थित रहे।