शोध कार्यों में नई तकनीकों का प्रयोग जरूरी पादप कार्यिकी को नई तकनीकि के बारे में बताया–डॉ.गुरु

गबर सिंह भंडारी

श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक) में पादप कार्यिकी क्रिया विज्ञान और फाइटोकैमिस्ट्री में उन्नति विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस मौके पर बतौर मुख्य वक्ता के जीवी पंत विश्वविद्यालय के पादप कार्यिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एसके गुरू और एफआरआई संस्थान देहरादून के साइंटिस्ट डा. विनित कुमार एवं हैप्रेक विभाग के निदेशक प्रो. एमसी नौटियाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर डा. सुधीर कुमार गुरू ने प्रजेंटेशन के माध्यम से भविष्य में पादप कार्यिकी क्षेत्र में होने शोध कार्यो और नई तकनीकों के बारे में बताया। उन्होने बताया कि वर्तमान में जीनोमिक्स, प्रोटिओमिक्स और फेनोमिक्स में होने वाले शोध कार्यों के बारे में बताया। साथ ही छात्रों को नई-नई तकनीकों का प्रयोग कर शोध कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महानतम पादप कार्यिकी की खोजों और इसके बुनियादी सिद्धांतों और अपने शोध का निष्कर्ष कैसे निकाला जाए, इस पर भी चर्चा की। इस मौके पर एफआरआई संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक डा. विनित कुमार ने रसायन विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होने औषधीय पौधो से होने वाले लाभों के बारे में बताया। कहा कि शोध कार्य जनहित तक पहुंचे इसके लिए कार्य करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम की समन्वयक डा. बबीता पाटनी ने कहा कि हैप्रेक विभाग किसानों के औषधीय पादपों के खेती और सरंक्षण के जागरूक करने का काम कर रहा है। कहा कि आज उसी का परिणाम है कि किसानों में औषधीय पादपों को लेकर जागरूकता देखने को मिल रही है और हैप्रेक के शोध कार्यों के चलते नित सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल कर रहें है। कार्यक्रम में हैप्रेक के निदेशक प्रो. एमसी नौटियाल ने अतिथियों का स्वागत किया और एसोसिएट प्रोफेसर डा. विजयकांत पुरोहित ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में मंच का संचालन कार्यक्रम समन्वयक डा. बबिता पाटनी ने किया। इस मौके पर आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. आरसी सुन्दरीयाल, डा. आरएस नेगी, डा. पूजा सकलानी, डा. विजयलक्ष्मी, डा. वैशाली, डा. जेएस चौहान, डा. अंकित, डा. सुदीप सेमवाल, डा. राजीव रंजन, जयदेव चौहान सहित आदि मौजूद थे।