राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सफल कार्यान्वयन और भारत की शैक्षणिक परिदृश्य पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई।

गबर सिंह भंडारी

श्रीनगर गढ़वाल। शिक्षा नीति (एनईपी) के सफल कार्यान्वयन और निकट भविष्य में भारत के शैक्षिक परिदृश्य पर इसके प्रभाव पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए प्रेस सूचना ब्यूरो के अधिकारियों के साथ सोमवार को आईआईटी रूड़की में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रो. ललित कुमार अवस्थी निदेशक एनआईटी, उत्तराखंड, प्रो. कमल किशोर पंत निदेशक आईआईटी रूड़की और रवि चिलुकोटी, क्षेत्रीय निदेशक, कौशल विकास और उद्यमिता, उत्तराखंड ने भाग लिया।
बैठक के दौरान प्रोफेसर अवस्थी ने इस बात पर बहुमूल्य दृष्टिकोण जोड़ा कि एनईपी ने एनआईटी उत्तराखंड में शैक्षणिक परिदृश्य और नीतियों को कैसे प्रभावित किया है। उन्होंने बहु-विषयक दृष्टिकोण को अपनाने और छात्रों के बीच नवाचार और अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा देने में संस्थान की पहल पर चर्चा की। उन्होंने ने एनईपी के मूल सिद्धांतों के अनुरूप समावेशन और सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता पर भी प्रकाश डाला।
प्रोफेसर अवस्थी ने कहा “09 फ़रवरी 2022 को एनआईटी उत्तराखंड के निदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के बाद मैंने चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन पर काम करना शुरू कर दिया था और सीनेट से मंजूरी मिलने के बाद, इसे २८ फ़रवरी 2022 को संस्थान में लागू कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के नजरिए से देखें तो स्थानीय भाषा में शिक्षा, समाज से जुड़ना, उद्योग जगत से जुड़ना, डिजिटल सशक्तिकरण और ऑनलाइन शिक्षा; रैंकिंग और मान्यता; नवाचार और उद्यमिता; कौशल विकास और रोजगार; गुणवत्तापूर्ण, बहुविषयक और समग्र शिक्षा; शोध करना; गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों की क्षमता निर्माण एनईपी की प्रमुख विशेषताएं हैं। उन्होंने आगे कहा कि एनआईटी उत्तराखंड जैसे उभरते संस्थान के लिए, अन्य समृद्ध सहकर्मी संस्थानों की तुलना में इन सभी विचारों को कार्यों में बदलना एक अवसर और चुनौती दोनों है, फिर भी उत्कृष्टता हासिल करने और राष्ट्रीय शैक्षिक योजनाओं का अनुपालन पूरी जिम्मेदारी और जवाबदेही के साथ के करने की प्रतिबद्धता के बलबूते पर संस्थान ने हर स्तर पर महत्वपूर्ण प्रगति की है।
प्रोफेसर अवस्थी ने संस्थान में एनईपी के कार्यान्वयन की प्रगति पर पीआईबी अधिकारियों के साथ जानकारी साझा करते हुए कहा कहा “09 फ़रवरी 2022 को एनआईटी उत्तराखंड के निदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के बाद मैंने चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन पर काम करना शुरू कर दिया था और सीनेट से मंजूरी मिलने के बाद, इसे 28 फ़रवरी 2022 को संस्थान में लागू कर दिया गया था ।” उन्होंने आगे कहा कि एनईपी 2020 को अपनाने के बाद से अब तक
1. एनआईटी उत्तराखंड द्वारा 469 अकादमिक बैंक क्रेडिट (एबीसी) खाते बनाए गए हैं जिनमें छात्रों द्वारा अर्जित क्रेडिट की जानकारी शामिल है। यह छात्रों को कॉलेजों या विश्वविद्यालयों में प्रवेश करने और छोड़ने के लिए कई विकल्प देने में सक्षम होगा।
2. 19 पूर्ण पाठ्य पीएचडी थीसिस को शोधगंगा पोर्टल पर और 1809 डिग्रियां और 2837 मार्कशीट को डिजी लॉकर प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया गया है। इस प्रमुख कार्यक्रम के द्वारा एनआईटीयूके एक ओर जहां भारत को कागज रहित बनाने में योगदान दे रहा है वहीं दूसरी ओर यह “छात्रों को सार्वजनिक क्लाउड पर सुरक्षित दस्तावेज़ पहुंच मंच” प्रदान कर रहा है।
3. मल्टीपल एंट्री मल्टीपल एग्जिटके माध्यम से एनआईटी उत्तराखंड ने डिप्लोमा/डिग्री पूरा करने कि बाध्यता को समाप्त करने और बीच में बाहर निकलने की दशा में छात्रों को कोई नुकसान न हो यह सुनिश्चित करने की कोशिश है साथ ही सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में सुधार के साथ ड्रॉपआउट दर को कम करने की दिशा में समाधान प्रदान किया है।
4. इंजीनियरिंग की प्रत्येक शाखा में यूजी और पीजी दोनों स्तरों के लिए माइनर और मेजर डिग्री का प्रावधान किया गया है जो नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप सभी के लिए बहु-विषयक और लचीली शिक्षा का आह्वान करता है और एक साथ दो डिग्री प्रदान करके छात्रों के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करने मदद करता है।
5. शिक्षा को बहु-विषयक और समग्र बनाने के लिए एनआईटी उत्तराखंड के छात्रों को स्वयं/एमओओसी पाठ्यक्रम के साथ साथ उन संस्थानों/विश्वविद्यालयों से लिबरल आर्ट्स, प्रबंधन और मानविकी के पाठ्यक्रम लेने की अनुमति है जिनके साथ एनआईटी उत्तराखंड का एमओयू है।
6. सभी विभागों ने एनईपी 2020 के अनुसार पाठ्यक्रम को संशोधित किया गया है और किसी भी ब्रांच छात्र को उसकी रूचि के अनुसार आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और डेटा स्ट्रक्चर जैसे पाठ्यक्रमों काअध्ययन करने की अनुमति प्रदान की गयी है।
7. इन कार्यो के अलावा एनआईटी उत्तराखंड पाठ्यक्रम सामग्री को कम करके और विश्लेषणात्मक और तार्किक सोच, प्रायोगिक शिक्षा, परियोजना आधारित शिक्षा और रचनात्मकता जैसे 21 वीं सदी के कौशल पर ध्यान केंद्रित करके छात्रों के समग्र विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके लिए बी.टेक.और एम.टेक छात्रों के लिए पाठ्यक्रम में इंटर्नशिप शुरू की गई है। बी.टेक/एम.टेक छात्रों के लिए विभागों द्वारा विशेष मॉड्यूल (वी-श्रेणी पाठ्यक्रम-विभिन्न एफडीपी/एसटीसी/एसटीटीपी/कार्यशाला (1 या 2 क्रेडिट के साथ 5 दिवसीय पाठ्यक्रम) कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
प्रोफेसर अवस्थी ने पीआईबी अधिकारियों को एनआईटी में “अंडरस्टैंडिंग एनईपी 2020” विषय पर आयोजित पत्रकार वार्ता का हवाला देते हुए कहा कि “एनआईटी संस्थान के भीतर एनईपी 2020 के कार्यान्वयन के साथ साथ विभिन्न मीडिया और संचार प्लेटफार्मों के माध्यम से आम लोगों को एनईपी 2020 की प्रमुख विशेषताओं से परिचित कराने में भी संलग्न है।
अंत में प्रोफेसर अवस्थी ने आईआईटी रूड़की सहित शिक्षा,उद्योग और सरकार से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों से एमओयू पर हस्ताक्षर करके हाथ मिलाने और संसाधनों को एकत्रित करने के महत्व पर जोर दिया और कहा “मजबूत सहयोग को बढ़ावा देकर, हम सामूहिक रूप से एक समावेशी और जीवंत शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र बना सकते हैं जो छात्रों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने और उन्हें 21वीं सदी के वैश्विक परिदृश्य में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करने में मददगार साबित होगा।
इस दौरान प्रो.अवस्थी और रवि चिलुकोटी ने अपने परिसर में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए आईआईटी रूड़की के निदेशक का आभार व्यक्त किया। उन्होंने मीडिया को संबोधित करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के सफल कार्यान्वयन और निकट भविष्य में भारत के शैक्षणिक परिदृश्य पर इसके प्रभाव पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करने में आईआईटी, रूड़की के सक्रिय प्रयासों की सराहना की ।