पौलीहाउस योजना से एक लाख किसान होंगे लाभान्वित

 

गबर सिंह भंडारी

श्रीनगर गढ़वाल – डा०राजेंद्र कुकसाल उद्यान विशेषज्ञ पॉली हाउस या संरक्षित खेती एक ऐसी तकनीक है के विषय में आज जानकारी दे रहे हैं। जिसके माध्यम से वाहरी वातावरण के प्रतिकूल होने पर भी इसके अंदर फसलों / बेमौसमी नर्सरी एवं सब्जी व फूलों को आसानी से उगाया जा सकता है । यह तकनीक प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों में एक असरकारक सिद्ध हुई है।
सब्जी व फूलों की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तराखंड सरकार, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के सहयोग से 100 वर्ग मीटर तक के 17648 पालीहाउस स्थापित करने जा रही है।
इस योजना के अन्तर्गत किसानों को पौलीहाउस बनाने पर सरकार लागत का 70% तक का अनुदान देगी 30% की धनराशि किसान को स्वयं वहन करनी होगी।
एक लाख किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से प्रारंभ की जारही इस योजना पर 304 करोड रुपये की धनराशि खर्च होनी है। निश्चित रूप से सरकार की इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए।
इस योजना से कृषकों को तभी पूरा लाभ पहुंचेगा जब मानकों के अनुसार पौलीहाउसों का निर्माण हो साथ ही चयनित कृषकों को सही प्रशिक्षण दिया जाय।
ऐसा नहीं है कि राज्य में पहली बार इस तरह की पहल की गई हो। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में 17.50 लाख वर्ग मीटर में पाली हाउस लगे हैं।
विगत वर्षों में राज्य के युवाओं को रोजगार देने एवं कृषकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री संरक्षित उद्यान विकास योजना एवं मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत उद्यान विभाग प्रत्येक जनपद में 80 से 90% अनुदान पर पालीहाउस लगवा रहा है।
मुख्य मंत्री संरक्षित उद्यान विकास योजना में 1219 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से 100 वर्ग मीटर पौलीहाउस के निर्माण पर 121900 ( एक लाख इक्कीस हजार नौ सौ ) रुपए की लागत आती है जिसमें कृषक को 12190 रुपए का भुगतान करना होता है।
मुख्यमंत्री संरक्षित उद्यान विकास योजना के अंतर्गत 100 वर्ग मीटर याने 15 mt लम्बाई x 7 mt चौड़ाई x 4.5 mt ऊंचाई (बीच से)
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 50 वर्ग मीटर याने 30 फीट लम्बाई x 11फीट चौड़ाई x 9 फीट ऊंचाई के पौलीहाउसों का निर्माण किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री संरक्षित उद्यान विकास योजना के अंतर्गत निर्माण होने वाले पौलीहाउस के आगंणन जो उद्यान विभाग द्वारा अनुमोदित एवं प्रसारित किया गया है का विवरण –
1. ग्राउटिंग कम से कम 2x1x3 फिट, C. C. 1:3:6
2. पौलीथीन 200 माइक्रोन की uv stabilized i s q मार्का की लगी होनी चाहिए।
3. 50% सैड नैट पौली हाउस के क्षेत्र फल के हिसाब से।
4. प्रत्येक वैन्टिलेटर पर कीट अवरोधी जाली लगी होनी चाहिए।
5. प्लास्टिक की टंकी के साथ ड्रिप फिटिंग सहित।
6. दो वेंटीलेटर दो दरवाजे।
7. गरम क्षेत्रों में ऊपर की ओर वेन्टिलेसन अवश्य लगायेंगे।
8. विभागीय अनुबंध के अनुसार यदि पौलीथीन स्वत: फटने, ओला वर्फ या तेज आंधी से क्षति ग्रस्त होने,बोल्ट, नट ,पाइप, फ्रेम आदि के टूटने उखड़ने या जंग लगने पर फर्म निर्माण अवधि से तीन बर्षो तक जिम्मेदार होगी।
योजनाओं के अन्तर्गत लगे पौलीहाउसों की हकीकत-
पौली हाउस हेतु चयन में कोई भी पारदर्शी प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती।
पौली हाउस के मानकों से कृषकों को अवगत नहीं कराया जा रहा है तथा पौलीहाउस निम्न स्तर के बनाये जा रहे हैं।
पौलीहाउस योजनानुसार जिस माप के बनने चाहिए नहीं बने हैं।
ग्राउटिंग ठीक से नहीं की गई है।
पौलीथीन सीट निम्न स्तर की है तथा 200 माइक्रोन की जगह मात्र 160-170 माइक्रोन की ही लगाई गई हैं।
वैन्टीलेटर पर जाली नहीं लगी है।
पौलीहाउस का फ्रेम मानकों के अनुरूप नहीं है।
कहीं कहीं सैड नैट पौली हाउस के क्षेत्र फल के अनुसार नहीं दिया गया है।
सिन्टेक्स टैंक व ड्रिप इरिगेशन सिस्टम्स नहीं लगाया गया है।
पौली हाउस निर्माण से पहले ही कृषकों से English में लिखे स्टाम पेपर पर पौलीहाउस का निर्माण मानकों के अनुरूप होगया है का शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करा दिए जाते हैं।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में भी उद्यान विभाग द्वारा योजनाओं में लगे पौलीहाउस निर्माण में भ्रष्टाचार होने की पुष्टि हुई है।
पौली हाउसों की हकीकत कृषकों की जुबानी-
जसपाल नेगी पौड़ी-
पौलीहाउस लगाना था 100 वर्ग मीटर लगा गये 80 वर्ग मीटर। नट वोल्ट अभी से गिरने लगे हैं। पौलीथीन सीट निम्न स्तर की है।
दिनेश खर्कवाल पौड़ी
इन्होंने तो जिन शपथ पत्रों पर कृषकों के सहमति के हस्ताक्षर करवाते वो जानबूझकर अंग्रेजी भाषा में टाईट करवाये ताकि ग्रामीण कृषक पढ़ न सके हमने तो पॉली हाउस लगने में लगभग 6000 रूपये ठेकोदार के कहने पर खर्च किये उसके बावजूद भी वो ढंग से नहीं बना गये।
दिनेश रावत पौड़ी-
सजगता के लिए धन्यवाद। मानकों पर ध्यान न देकर कार्य हो रहे हैं। काश्तकारों को मानक छुपा कर उसी से अंग्रेजी के फार्म मैं गुणवत्ता व NOC ली जा रही है।रहने, खाने, रोडी, सीमेन्ट लेता आदि की ब्यवस्था भी काश्तकारों को करनी पड़ता है। दोषी प्रथम दृष्ट्या बिभाग व बाद में ठेकेदार।
मिन्टू बंगारी पौड़ी-
हमारे दो पाली हाउस लगे है यह पाली हाउस भी मापदंड के अनुरूप नहीं बने हैं ना टंकी, ना डबल डोर, ना डिरिप और तो और फ्रेम में दो डंडे भी कम है साल भर से ढुलाई के पैसे भी नहीं मिले।
सूरज रावत पौड़ी-
सही बात है हमने भी लगवाया पास पोली हाउस खड़ा कर के चले गए दरवाजा भी एक ही लगा रखा है ड्रिप भी नही लगाए।
दिनेश जोशी रुद्रप्रयाग-
सब जानते है उधान विभाग के अधिकारी मालामाल होते हैं भ्रष्टाचार कर, कम्पनी से 60% कमीशन खाते हैं एक बार सीबीआई जांच हो तो इन भ्रटाचार मै लिप्त अधिकारी और दवाई कम्पनियों को आजीवन जेल रहना पडेगा,
संजय बुढाकोटी ऋषिकेश – जब सीधा 20 से 25% कमीशन विभाग निर्माण एजेंसी से ले लेगा तो निर्माण एजेंसी क्या खाक सही मानकों से निर्माण करेगी।
चन्दन दानू रानीखेत-
मानक के अनुसार पोली हाउस नहीं लगाए जा रहे हैं अनियमितता बरती जा रही है किसानों को गुमराह किया जा रहा है।
उमेद सिंह बिष्ट , रौड धार टेहरी-
उद्यान विभाग द्वारा मैंने दो पोलीहाउस लगाए जिसमें हमने 24380 रू जमा किए इसकी फिटिंग सिमेंट रौढी लेबर खर्चा सब पोलीहाउस बनाने वाली कंपनी का था लेकिन सबकुछ हमने दिया और हमें कम्पनी के द्वारा एक भी रुपया नहीं दिया गया जबकि सरकार इनको खाने से लेकर सिमेंट रौढी रेत का पैसा देती है या इनकी जुम्मेदारी है।
सब ठग बैठें हैं न तो हमें रेत रौढी सिमेंट का पेमेंट दिया गया जो लेबर ने खाना खाया होटल में उसका पेमेंट भी हमनें दिया ऊपर से क्वालिटी भी ठीक नहीं है।
रावत कौशल गैरसैंण चमोली।
उद्घान विभाग के अधिकारी सपलायरों के लिए काम करते हैं कृषकों पर पैमेंट के लिये बडा दबाव बनाते हैं बिना मैटिरियल की गुणवत्ता जाँचे, हमारे यहाँ पॉलिहाउस लगाने में ऐसा ही हुआ एक बार को ADO सपलायर के ओफिस पहुँच गया बोला मेरा 5% बनता है उस समय हमारे यहाँ 1200 वर्गमीटर पाॉलीहाउस लगाये गये थे सपलायर बढिया आदमी था उसने सही काम किया था, मना कर दिया नहीं दूँगा cho ने उसका बिल रोक दिया कई दिन बाद उसका पैसा मिला, सपलायर बोला जब तक ये सीएचओ यहाँ रहेगा चमोली मैं काम नहीं करूंगा।
योजना में जबतक मानकों के अनुसार पौलीहाउसों का निर्माण नहीं किया जायेगा तथा चयनित कृषकों को कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि विश्वविद्यालय से सही प्रशिक्षित नहीं किया जाता गरीब कृषकों की आय बढ़ेगी व वे रोजगार युवाओं को स्वरोजगार मिलेगा , सोचना वेमानी है।
अन्य राज्यों हिमांचल प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की तरह पौलीहाउस निर्माण एजेंसियों के चयन में कृषकों को छूट मिलनी चाहिए क्योंकि उद्यान विभाग द्वारा इम्पेनल्मेंट /फर्मों के सूचि बद्ध करने के नाम पर ही खेल होता है।
पाली हाउसों के निर्माण में हुई कमियों के पिछले अनुभवों से सबक लेकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है तभी किसानों को योजना का समुचित लाभ मिल पायेगा।