इमरजेंसी विभाग में वरिष्ठ चिकित्सकों की स्वास्थ्य सेवाओं में विशेष उपस्थिति जरूरी- डॉ. पंत

 

चिकित्सा शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. एम.के पंत ने ली बैठक

मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी को दिये आवश्यक दिशा-निर्देश

गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल

श्रीनगर गढ़वाल :- राजकीय मेडिकल कॉलेज में पहुंचे चिकित्सा शिक्षा विभाग के संयुक्त मा. चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी के निर्देश पर संयुक्त निदेशक डॉ. एम.के पंत ने मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों एवं डॉक्टरों के साथ बैठक ली। बैठक में संयुक्त निदेशक डॉ. पंत ने डॉक्टरों को बेस चिकित्सालय में चिकित्सा सेवा को बेहतर बनाने में जोर दिया गया। साथ ही निर्देश दिये कि चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सकों को आकस्मिक विभाग की सेवाओं में विशेष ध्यान व उपस्थिति देने की जरूरत है। मरीजों को बिना ठोस कारण के रेफर भी ना किया जाए।
विदित है कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज का बेस चिकित्सालय चारधाम यात्रियों के साथ साथ रुद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी, टिहरी जिले के 22 लाख से अधिक आबादी को स्वास्थ्य सेवा देने का मुख्य केन्द्र है। संयुक्त निदेशक डॉ. पंत ने कहा कि बेस चिकित्सालय में व्यवस्थाएं हमेशा चुस्त दुरुस्त रखने के लिए मुख्यमंत्री एवं चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री के निर्देश पर समस्त सुविधाओं से लैस किया है। यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर, मानव संसाधन व मशीनों की समस्त व्यवस्थायें की गई है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की पहल पर पर्वतीय क्षेत्र में स्थित मेडिकल कॉलेज के संकाय सदस्यों को 50 प्रतिशत अतिरिक्त भत्ता मेडिकल टीचर डेफिसियेन्सी स्कीम के तहत व्यवस्था करवाई है तथा और भी सुविधाओं के प्रयास लगातार जारी है। मा. मंत्री जी के सबल प्रयासों से संविदा से नियमित संकाय सदस्यों का पहले प्रथम चरण में प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर नियमित किये गये और दूसरे चरण में अब 171 नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर चयनित किये गये। अब तृतीय चरण में पुनः नियमित प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर चयन की प्रक्रिया गतिमान है। उत्तराखंड के प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में इस तरह नियमित संकाय सदस्यों की कमी न होने, इसका स्वास्थ्य मंत्री सतत ध्यान रखे हैं। डॉ. पंत ने कहा कि तमाम संसाधनों एवं फैकल्टी को बेहतर सुविधाओं को देखते हुए अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले, ऐसी अपेक्षा अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों से की जाती है। अस्पताल के ओपीडी, वार्ड के साथ ही अस्पताल के सबसे महत्वपूर्ण इमरजेंसी विभाग में आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले इसके लिए वरिष्ठ डॉक्टरों को विशेष ध्यान व उपस्थिति देने की जरूरत है। कहा कि बिना ठोस कारण के मरीजों को रिफर ना किया जाए। मरीजों के इलाज व छात्रों की पढ़ाई में किसी भी तरह की लापरवाही ना हो। इस पर विशेष ध्यान रहे। यहां पर पीजी छात्रों के आने पर और अधिक अनुशासन के साथ साथ नियमित रूप से सेमिनार, जर्नल क्लब, सीएमई, कान्फ्रेंस, ट्रेनिंग करने तथा विभागाध्यक्षों को नियमित मॉनिटरिंग व सुपरविजन करने के निर्देश दिये। अन्त में संयुक्त निदेशक व प्राचार्य ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री का उतराखंड के समस्त राजकीय मेडिकल कॉलेजो को सशक्त करने पर आभार व धन्यवाद व्यक्त किया । बैठक में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत, एमएस डॉ. रविन्द्र बिष्ट, डॉ. व्यास राठौर, डॉ. अजेय विक्रम, डॉ. केएस बुटोला, डॉ. डीके टम्टा, डॉ. विनीता रावत, डा. गजाला रिजवी, डा. किगशुक लाहौन,डा. अनिल द्विवेदी, डा. ललित पाठक सहित समस्त फैकल्टी मेम्बर मौजूद थे।