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“रणनीतिक और व्यापारिक दृष्टि से यह परियोजना उत्तराखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगी”

संवाददाता, 

बनबसा (उत्तराखंड): उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में बन रहे फोरलेन मार्ग का स्थलीय निरीक्षण किया। यह मार्ग भारत की सीमा से सटे नेपाल के सूखा बंदरगाह (ड्रायपोर्ट) को जोड़ने के उद्देश्य से तैयार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने निर्माण की प्रगति, गुणवत्ता और निर्धारित समयसीमा पर विशेष जोर देते हुए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मार्ग न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आवागमन को गति देगा, बल्कि रणनीतिक, व्यापारिक और सामरिक दृष्टिकोण से भी यह परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मार्च 2023 में शुरू हुआ निर्माण, अब 2027 तक पूरा होने की उम्मीद

यह 3.06 किलोमीटर लंबा फोरलेन मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा निर्मित किया जा रहा है। परियोजना के लिए 7.28 हेक्टेयर भूमि NHAI को हस्तांतरित की जा चुकी है। प्रारंभ में इस परियोजना की लागत ₹177 करोड़ निर्धारित की गई थी, लेकिन भौगोलिक एवं तकनीकी चुनौतियों के कारण इसमें ₹80 करोड़ की वृद्धि संभव है, जिससे अनुमानित कुल लागत ₹250 करोड़ तक पहुंच सकती है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण परियोजना की समयसीमा 2024 से बढ़ाकर अब 2027 कर दी गई है।

फ्लाईओवर, बड़े और छोटे पुलों से होगा आवागमन सुगम

इस फोरलेन मार्ग के तहत एक फ्लाईओवर, एक बड़ा पुल और दो छोटे पुलों का निर्माण प्रस्तावित है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा सकेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा, “उत्तराखंड सीमावर्ती राज्य है और भारत-नेपाल के बीच व्यापारिक एवं कूटनीतिक संबंधों में इस मार्ग की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। हम चाहते हैं कि यह परियोजना गुणवत्ता और पारदर्शिता के साथ निर्धारित समय से पूर्व पूरी हो।”

बनबसा बनेगा व्यापारिक केंद्र

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि निर्माण कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही या देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में बनबसा को एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है।

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