भागवत कथा के श्रवन मात्र से ही होता है सभी दुखों का नाश और होता है मनुष्य जीवन का उद्धार,आचार्य द्वारिका प्रसाद शास्त्री

रुड़की।हर मिलाप धर्मशाला,साकेत में चल रही भागवत कथा में कथा व्यास आचार्य द्वारिका प्रसाद शास्त्री जी ने कहा की भागवत का मतलब है,भक्ति,ज्ञान,वैराग्य,जिसके द्वारा संपूर्ण संसार का उद्धार होता है।मनुष्य जीवन का उद्धार होता है और परम तत्व परमात्मा को भागवत कथा के माध्यम से हम प्राप्त कर सकते हैं,जिससे हमारा उद्धार हो जाता है।कुंती माता ने द्रौपदी जी ने प्रहलाद जी ने भगवान की भक्ति के द्वारा भगवान को प्राप्त किया और अपना उद्धार किया।कलयुग में भगवान की भक्ति ही श्रेष्ठ है।भक्ति के द्वारा परमात्मा प्रसन्न होते हैं।शबरी मैया ने अपने झूठे बेर भगवान को खिला दिए।भगवान श्री राम ने भी झूठे बेर खाए।भगवान भक्तों के बस में होते हैं तथा भक्ति के द्वारा भगवान प्रसन्न होते हैं।भक्ति की बहुत बड़ी महिमा है।कलयुग के मनुष्यों को निरंतर भक्ति करनी चाहिए।भक्ति के द्वारा अपना उद्धार करना चाहिए।काम,क्रोध,लोभ,मोह छोड़कर भगवान की शरणागति लेनी चाहिए।मुख्य यजमान आचार्य रमेश सेमवाल जी महाराज व आचार्य रजनीश शास्त्री जी ने सभी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि पूजा-माता जी के लिए यह भागवत कथा की जा रही है।सबको अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए।पित्रों की पूजा से पितृ प्रसन्न होते हैं।कथा में सुलक्षणा सेमवाल,कामेश्वरी सेमवाल,हिरदेश्वरी नौटियाल,मनोरमा भट्ट, अदिति सेमवाल,अभिषेक सेमवाल,चित्रा गोयल,भारत राम सेमवाल,राधा भटनागर,राधा भंडारी, दिनेश सेमवाल,कमलनयन सेमवाल,पूर्णानंद जी,नरेश शास्त्री,राजीव शास्त्री,संजीव शास्त्री आदि उपस्थित रहे,अंत में सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया।