प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्वर्ण जयंती पर प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रति कुलपति आर.सी.भट्ट द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ।
कार्यक्रम के संचालक प्रो.सेमवाल द्वारा – कार्यक्रम में आए सभी अथितियों व छात्र छात्राओं को संविधान की प्रस्तावना का वाचन कर शपथ दिलाई साथ ही कार्यक्रम के उद्देश्यों का वर्णन करते हुए संविधान निर्माताओं के दृष्टिकोण एवं संविधान की मंशा और पर वर्णन करते हुए स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण से पूर्व 1909 के मार्ले मिंटो अधिनियम , 1919 के चेम्सफोर्ड मोटेस्क्यू अधिनियम, 1929 का लाहौर अधिवेशन ,1931 में पिछड़ों के अधिकारों के पूना समझौते एवं 1935 के अधिनियम के प्रावधानों सहित क्रिप्स मिशन, , संविधान निर्माण के पूर्व किए गए विभिन्न प्रयासों के इतिहास का वर्णन एवं 9 दिसंबर 1946 संविधान सभा के गठन, उसकी विभिन्न समितियों एवं उनके कार्यों सहित 26 नवंबर 1949 को संविधान के लागू होने तक संविधान सभा से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी देते हुए संविधान के विभिन्न अनुच्छेदो 1, अनुच्छेद 105, अनुच्छेद 395 का वर्णन के साथ ही संविधान की मूल संरचना संबंधी केशवानंद भारती केस में स्वतंत्र न्यायपालिका भूमिका का वर्णन किया । प्रो.सेमवाल द्वारा संविधान निर्माण के साथ ही उसके लागू होने के बाद वर्तमान समय तक विभिन्न परिस्थितियों में संविधान की जीवंतता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की ।
इसी क्रम में प्रति कुलपति आर सी भट्ट द्वारा भारत में व्याप्त एकता में अनेकता,संविधान की सफलता के कारणों, उसके लचीलेपन, विभिन्न परिस्थितियों में हुए संसोधनों एवं अधिकारों पर चर्चा की। उनके द्वारा बताया गया कि किस प्रकार की किस प्रकार समान परिस्थितियों के बावजूद भी भारतीय संविधान एक सफल संविधान है और पाकिस्तान एक असफल राज्य के रूप में स्थापित हुई है। संविधान दिवस मनाने के उद्देश्यों का उल्लेख किया जिसमे प्रथम वह लोग हैं जिनके अथक प्रयास से संविधान का प्रारूप तैयार हुआ तथा दूसरा संविधान द्वारा नागरिकों को प्राप्त अधिकार एवम कर्तव्यों का उत्कृष्ट समायोजन ।
इसी क्रम में प्रोफेसर महावीर सिंह नेगी द्वारा बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 125 वी वर्षगांठ पर संविधान दिवस मनाने की घोषणा 2015 में की गई। एवं राष्ट्र की एकता बनाए रखने में संविधान की महत्वपूर्ण भूमिका बताई। उन्होंने भारतीय संविधान की विशेषताओं पर जोर देते हुए परिस्थितियों के अनुसार संविधान में परिवर्तन किए जा सकते हैं , तथा देश के विकाश के मार्ग में संविधान का अग्रणी योगदान है ।
इसके उपरांत प्रो.राकेश नेगी द्वारा संविधान संबंधी प्रश्नों पर प्रतियोगिता का आयोजन किया अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने भी चित्रों और विडियोज संकेतों में छिपे संवैधानिक मूल्यों का को जानने की प्रतियोगिता आयोजित की जिसमें सभी छात्र छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया और पुरस्कार जीते।
अंजीम प्रेमजी फाउंडेशन के जगमोहन कठैत जी ने युवाओं में संविधान के मूल्यों एवं उत्तराखंड में व्याप्त संवैधानिक मूल्यों पर चर्चा कर हुए विभिन्न शहरों में युवाओं द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक, पर्यावरणीय कार्यक्रमों के संवैधानिक पहलुओं को बताते हुए इन मूल्यों को जीवन में अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
अंत में प्रदीप अंथवाल ने वोट ऑफ थैंक्स के साथ कार्यक्रम का समापन किया।
कार्यक्रम में मुख्य नियंता .बी.पी. नैथानी, प्रोफेसर जे.पी.मेहता,डा नरेश कुमार,प्रोफेसर इंदु खंडूरी, डॉक्टर कविता भट्ट , राजेंद्र प्रसाद आदि गणमान्य के स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्र, शोध छात्र सम्मलित हुए।
छात्रों ने पोस्टर प्रदर्शनी की सराहना की।