प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा “एकता या विविधता,’राष्ट्रीय एकता’ का अर्थ और सार” विषय पर एकदिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा का संचालन शोध छात्र अमित लखेड़ा द्वारा किया गया, जिसमें उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान के पक्षों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। इसके अतिरिक्त उन्होंने एकता के निर्माण के लिए पटेल के पदचिन्हों पर चलने की सलाह दी।
विभागाध्यक्ष प्रो एम.एम.सेमवाल ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल का व्यक्तित्व आधुनिक भारत का राष्ट्रवादी चेहरा है जब हम भारत की बात करते हैं तो इतिहास का अध्ययन पटेल के बिना अधूरा है। उन्होंने कहा कि एकता को जानना है तो पटेल के व्यक्तित्व में जानना आवश्यक है, किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता है और सरदार पटेल देश की एकता की सूत्रधार थे उनकी दूरदर्शिता के लिए हम उन्हें नमन करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि विविधता अखंडता तथा एकता केवल शब्द मात्र नहीं इसमें भारत देश का आधार निहित है, राष्ट्र के प्रति पटेल के समर्पण को सदैव याद किया जाना चाहिए ।
इस अवसर पर मानविकी एवम सामाजिक विज्ञान की संकायाध्यक्ष प्रोफेसर हिमांशु बौड़ाई ने विविधता के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा कि विभिन्न प्रकार के लोगों का एक साथ रहना ही विविधता है। भारत के संदर्भ में विविधता देश की सुंदरता को बढ़ाती है। प्रोफेसर बौड़ाई ने राष्ट्रीय एकता पर बात करते हुए यह कहा कि एक राष्ट्र व्यक्ति की भावना से जुड़ा होता है जबकि राज्य एक तकनीकी शब्दावली है भावनात्मक स्तर पर कैसे आप विविधता को स्वीकारते हैं यही राष्ट्रीय एकता की भावना है।
इसके पश्चात डॉ.राकेश नेगी द्वारा भावनात्मक एवम मानवता के पक्षों को राष्ट्रीय एकता से जोड़ने की बात की। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है तथा भारतीय संविधान द्वारा भारत की विविधता को ध्यान में रखकर धर्मनिरपेक्षता को अपनाया गया था। किंतु फिर भी भारतीय समाज में जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव देखने को मिलता है यदि हम इन सभी रेखाओं को त्याग दें तो हम एकता को प्राप्त कर सकते हैं।
इसी श्रृखंला में डॉक्टर आशीष बहुगुणा ने एकता और अखण्डता के इतिहास पर जोर देते हुए कहा कि वर्तमान में भारतीय एकता और अखण्डता के समक्ष आतंकवद, अलगाववाद ,नक्सलवाद जैसे समस्याओं को खत्म करके भारतीय एकता को मजबूत करना होगा।
इसी परिचर्चा मे आगे स्नातकोत्तर के छात्र शरद यादव ने एकता को भारतीय ताकत के रूप में समझाया एवं उनके द्वारा सरदार पटेल द्वारा राष्ट्रीय योगदान विषय पर भी प्रकाश डाला गया। इसके पश्चात छात्र सुमित सेमवाल ने कहा कि भारत के दर्शन में ही विविधता में एकता है। छात्र मोहमद शाहिद ने एकता को अपनी देश की उपलब्धता बताया। उसके पश्चात छात्र आदर्श चौरसीया द्वारा दो बिन्दुओ पर अपना मंतव्य रखा जिसमें कि पहला था कि भारत को कैसे अधिक एकत्रित किया जाए एवं दूसरा था कि स्वंतत्रता के पश्चात भारत की एकता के सम्मुख प्रमुख चुनौतियाँ क्या थी। छात्र निहाल भारती ने विविधता को भारत की आत्मा की संज्ञा दी। छात्र मिलाप द्वारा एकता व अखण्डता विषय पर अपने विचारों को प्रस्तुत किया गया।
बेस्ट स्पीकर के रूप में समित सेमवाल को पुरुस्कृत किया गया।
कार्यक्रम में डॉ सुभाष लाल,डॉ.हेमलता वर्मा शोध छात्र अरविंद रावत, देवेंद्र सिंह, सागर जोशी, विदुषी डोभाल, सीता रमोला, सतीश कुमार और काजल गौतम कै अलावा स्नातक स्नातकोत्तर एवं शोध छात्र उपस्थित थे।