प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। जिला प्रशासन गढ़वाल की पहल पर मध्य हिमालय के पारंपरिक यात्रा पथ ( प्रथम भाग) ऋषिकेश से देवप्रयाग के संबंध में जानकारी जुटाने व जानकारियों को साझा करने के लिए पर्यटन विभाग व एचएनबी के एआईएचसी व पुरातत्व अनुभाग के संयुक्त तत्वाधान में हेमवंती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय चौरास के एक्टिविटी सेंटर में जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ०आशीष चौहान की अध्यक्षता में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।
जिलाधिकारी ने सेमिनार में उपस्थित यूनिवर्सिटी के छात्रों को इस पारंपरिक पथ की यात्रा करने से साक्ष्य व जानकारियां जुटाना को कहा है। उन्होंने पारंपरिक यात्रा पथ के संबंध में और अधिक जानकारियां जुटाने के लिए विभिन्न सम्राटों और आक्रान्ताओ की कर वसूल करने की प्रणाली, एन्त्रोपॉलोजीकल, बरसात में रिवर पास का तरीका, आर्कियोलॉजिकल, लोक संस्कृतियों, व्यापारिक दृष्टिकोण से सोचने की आवश्यकता है। जिलाधिकारी ने कहा कि इस यात्रा पथ को समझे जाने की आवश्यकता है। इस हेतु युवाओं को बहुत मेहनत किये जाने की आवश्यता है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा पथ को इकोनॉमी से जोड़ने के बाद यह मार्ग विश्व पटल पर उभरकर सामने आएगा। इस अवसर पर सिंगल यूज प्लास्टिक से श्रीनगर को मुक्त करने के लिए नगर आयुक्त श्रीनगर द्वारा तैयार किए गए जूठ के थैलों का भी सेमिनार में आए छात्रों में वितरण किया गया। कहा कि इस यात्रा मार्ग के ऐतिहासिक महत्व को समझे जाने के साथ-साथ और अधिक साक्ष्य जुटाने की आवश्यकता है।
पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर आर०सी० भट्ट ने कहा कि यात्रा पथ पर चट्टियों का निर्माण और उसकी देखरेख के लिए चट्टी चौधरियों को चुनना एक महत्वपूर्ण विषय था। कहा कि मैदानी इलाकों से आने वाले यात्रियों के साथ बीमारियों के आने का खतरा बना रहता था। पहाड़ के लोगो को इन बीमारियों से दूर रखने के लिए चट्टियों के निर्माण और उसमें चट्टी चौधरियों की नियुक्ति की जाती थी।
कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों द्वारा तीर्थ यात्रा के पारंपरिक मार्ग को लेकर सेमिनार में उपस्थित छात्रों को विस्तृत जानकारी दी गई।
कार्यक्रम में डॉ लोकेश ओहरी फाउंडर इनाच, प्रोफेसर राजपाल सिंह नेगी, उपजिलाधिकारी श्रीनगर नूपूर वर्मा, जिला पर्यटन विकास अधिकारी प्रकाश खत्री, बीडीओ यमकेश्वर दृष्टि आनंद, सहित यूनिवर्सिटी के छात्र उपस्थित थे।