प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। ऋषिकेश 3 सितंबर/ सनातन धर्म भारत की आत्मा है, उसके बिना भारत की वास्तविक संकल्पना नहीं की जा सकती है ,और उस सनातन धर्म की रक्षा संस्कृत विद्यालयों एवं गुरुकुल पद्धति के विद्यालयों में ही संभव है।
उपरोक्त विचार सहायक निदेशक शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने व्यक्त किए, वह आज नेपाली संस्कृत विद्यालय में संस्कृत सप्ताह के समापन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे ,उन्होंने कहा कि हमारा देश वर्षों तक गुलाम रहा परंतु सनातन धर्म की बदौलत हमारी हैसियत को कोई मिटा नहीं पाया।
सहायक निदेशक ने कहा कि वर्तमान चाहे कुछ भी हो परंतु भविष्य संस्कृत के छात्र-छात्राओं का ही है, क्योंकि देश फिर से अपनी सनातन संस्कृति की तरफ लौट रहा है, और इसके लिए केंद्र एवं राज्य की सरकार निरंतर प्रयासरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुनि की रेती नगर पालिका के अध्यक्ष रोशन रतूड़ी ने कहा कि तमाम मीडिया एवं सोशल मीडिया के माध्यम से पता चलता रहता है ,कि सरकार संस्कृत के उत्थान के लिए बहुत कार्य कर रही है ,और उसमें सहायक निदेशक डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल जैसे अधिकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, उन्होंने संस्कृत सप्ताह के समापन समारोह को अभूतपूर्व बताया।
कार्यक्रम में पहुंचने पर मुख्य अतिथि सहायक निदेशक डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलित कर समापन समारोह का विधिवत शुभारंभ किया, मुनीश्वर वेदांत संस्कृत महाविद्यालय एवं नेपाली संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों द्वारा स्वागत गान एवं सरस्वती वंदना की गई, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहायक निदेशक का कार्यक्रम में पहुंचने पर ऋषिकेश क्षेत्र के समस्त विद्यालयों के प्रधानाचार्य ने नगर पालिका अध्यक्ष रोशन रतूड़ी के नेतृत्व में फूल माला ,अंग वस्त्र और पुष्प गुच्छ लेकर गर्म जोशी से स्वागत किया।
इस अवसर पर प्रबंधकीय संस्कृत शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ जनार्दन,भरत मंदिर संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ सुबोध भट्ट, वेद संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य कृष्ण उनियाल, काली कमली संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर गिरीश पांडे सहित ऋषिकेश क्षेत्र के समस्त विद्यालय एवं महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य, शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहेरहे, संचालन डॉक्टर शांति प्रसाद डंगवाल ने किया।