“हर असफलता के बाद और कोशिश करो और आगे बढ़ो -प्रोफेसर अवस्थी

पॉलिटेक्निक परिसर स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित ओरिएंटेशन प्रोग्राम के दौरान बीटेक और एम टेक पाठ्यक्रम में नवागंतुक छात्रों को संबोधित करते हुए एनआईटी के निर्देशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी, निदेशक एनआई टी उत्तराखंड ने संस्थान के पॉलिटेक्निक परिसर स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित ओरिएंटेशन प्रोग्राम के दौरान कही जिसमे वे बीटेक और एम टेक पाठ्यक्रम में शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में प्रवेश लेने वाले नवागंतुक छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे।
प्रोफेसर अवस्थी ने सभी नए प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया और उन्हें एनआईटी उत्तराखंड से अपने जीवन की एक नई यात्रा शुरू करने के लिए बधाई दिया। पौराणिक कथाओं और विभिन्न समाजिक उदाहरणों के माध्यम से छात्रों को जीवन के फलसफे से अवगत कराते हुए उन्होंने कहा ” आपके ज्ञान, नवप्रवर्तन और रचनात्मकता की इस यात्रा मेंआपके शिक्षक आपको समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किये गए पाठ्यक्रम की अवधारणाओं और तरीकों के बारे में बहुत सी बातें सिखाएंगे। और जब आपके पास अपनी बौद्धिक और रचनात्मक प्रतिभा प्रदर्शित करने के अपार अवसर होंगे उस स्थिति में मैं आपसे आग्रह करूंगा कि एक पेड़ की भांति आप अपनी जड़ों से जुड़े रहे। राष्ट्र के युवा निर्माता के रूप में, आपको अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत, सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और समाज की आवश्यकताएं को जानना चाहिए तभी आप अपने समाज और राष्ट्र के लिए योगदान कर पाएंगे।”


प्रोफेसर अवस्थी ने आगे कहा “शैक्षणिक ज्ञान के साथ साथ, आज इस अवसर पर मैं आपका ध्यान आपके चरित्र और व्यक्तित्व विकास की ओर भी आकर्षित करना चाहता हूं। मुझे स्वामी विवेकानंद जी कि एक बात याद आती है। उन्होंने कहा है “आसमान से बारिश की बूंद अगर हाथ में पकड़ ली जाए, तो यह पीने के लिए काफी शुद्ध होती है।” यदि यही बूँद नाली में गिर जाए तो इसकी कीमत इतनी कम हो जाती है कि इसका उपयोग पैर धोने के लिए भी नहीं किया जा सकता। यदि यह गर्म सतह पर गिर जाए तो नष्ट हो जाती है। यदि यह कमल के पत्ते पर गिरती है तो मोती की तरह चमकती है और, यदि यह सीप पर पड़ती है, तो मोती बन जाती है। बूंद एक ही है, लेकिन उसका अस्तित्व और मूल्य इस बात पर निर्भर करता है कि वह किसके साथ जुड़ती है।” आपको भी ये बात हमेशा याद रहनी चाहिए कि हमेशा ऐसे लोगों के साथ जुड़ें जो अच्छे हो, सकारात्मक हों ।
प्रोफेसर अवस्थी ने छात्रों को एक कहानी सुनाई। उन्होंने कहा जीवन का मूल्य जानने के लिए एक आदमी संत के पास गया और पूछा, “जीवन का क्या मूल्य है?” संत ने उसे एक पत्थर दिया और कहा, “इस पत्थर का मूल्य पता करो, लेकिन इसे बेचना नहीं”। वह आदमी पत्थर को एक संतरा बेचने वाले के पास ले गया और उससे पूछा, “इसकी कीमत क्या होगी?” विक्रेता ने उस चमकीले पत्थर को देखा और कहा, “आप 12 संतरे ले सकते हैं और मुझे पत्थर दे सकते हैं।” उस आदमी ने माफी मांगी और आगे बढ़ गया। फिर वह एक आभूषण की दुकान में गया और पत्थर की कीमत पूछी। जौहरी ने लेंस से पत्थर को देखा और कहा, “मैं तुम्हें इस पत्थर के लिए 50 लाख दूंगा।” जब उस आदमी ने मना किया तो जौहरी ने कहा, “ठीक है, 2 करोड़ ले लो, लेकिन मुझे पत्थर दो।” आदमी ने समझाया कि वह पत्थर नहीं बेच सकता। फिर उस आदमी ने एक कीमती पत्थर की दुकान देखी और विक्रेता से पत्थर की कीमत पूछी। विक्रेता ने पूछा, “आप यह अमूल्य रूबी कहाँ से लाए हैं? अगर मैं पूरी दुनिया को बेच भी दूं, तो भी मैं इस अमूल्य पत्थर को नहीं खरीद पाऊंगा। स्तब्ध और उलझन में, वह आदमी संत के पास लौटा और सारा हाल संत को सुनाया और पूछा “अब मुझे बताओ कि जीवन का मूल्य क्या है? संत ने कहा, ” संतरे का विक्रेता, सब्जी विक्रेता, जौहरी और कीमती पत्थर विक्रेता से मिले जवाब हमारे जीवन के मूल्य को समझाते हैं।
प्रोफेसर अवस्थी ने कहा “प्रिय छात्रों आप एक अनमोल पत्थर हो सकते हैं, यहां तक कि अमूल्य भी, लेकिन लोग आपका आंकलन अपनी वित्तीय स्थिति, जानकारी के स्तर,आप में उनके विश्वास के आधार पर करेंगे। लेकिन आपको निश्चित रूप से कोई ऐसा व्यक्ति मिलेगा जो आपके वास्तविक मूल्य को समझेगा। आप अद्वितीय हैं और कोई भी आपकी जगह नहीं ले सकता है। आप हमेशा स्वयं पर विश्वास रखें, अपनी क़ाबलियत को सामने लाएं,अपना मूल्य पहचानें और हमेशा अपनी योग्यताओं में विस्तार करते रहें।
प्रोफेसर अवस्थी ने कहा “प्रिय विद्यार्थियों, जैसा कि आप जानते हैं कि राष्ट्र अपनी भूली हुई सांस्कृतिक पहचान और गौरव को पुनः स्थापित करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। इसी सन्दर्भ में संस्थान में समय समय पर योग,ध्यान, खेल और अन्य साहसिक गतिविधियों से सम्बंधित कार्यक्रम आयोजित किये जाते है जो भगवत गीता के कालजयी मार्गदर्शक सिद्धांतो से लेकर पतंजलि के योग सूत्र के पीछे के दर्शन और तकनीकों को स्पष्ट करते हैं। मैं आग्रह करूंगा कि आप सब अपने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए इन कार्यक्रमों में पूरी तन्मयता से प्रतिभाग करे साथ ही भारतीय संस्कृति,जो कि विभिन्न परंपराओं,भाषाओं,धर्मों, त्योहारों,कला रूपों और प्रथाओं का समृद्ध मिश्रण है, उसके मूल्य को पहचाने और उन्हें संजोने में अपना योगदान दें।
सम्बोधन के अंत में प्रोफेसर अवस्थी ने हरिबंश राय बच्चन की कविता “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती।” का उदाहरण देते हुए सभी छात्रों से कहा “हर असफलता के बाद और कोशिस करो और आगे बढ़ो। युवा इंजीनियरिंग स्नातक के रूप में आपको बहुत कुछ सीखना है, अच्छी आदतें और मूल्यों को अपनाना है, अपनी क्षमता का सर्वोत्तम हासिल करना है।”
कार्यक्रम के अंत में डीन अकादमिक द्वारा सभी छात्रों को संस्थान कि शैक्षणिक अध्यादेश एवं नियमावली का विस्तृत विवरण दिया गया। इसके अलावा विभागाध्यक्षों द्वारा छात्रों का विभागीय भ्रमण कराया गया और अन्य संकाय सदस्यों से परिचय करवाया गया।