पंतनगर। अग्रणी कृषि विज्ञान कंपनी, एफएमसी इंडिया ने आज गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी (जीबी पंत विश्वविद्यालय) के साथ सहयोग की घोषणा की है। इस सहयोग के तहत मधुमक्खी पालन द्वारा ग्रामीण महिलाओं में उद्यमिता का विकास किया जाएगा तथा उन्हें अपना जीवन स्तर सुधारने व अपने परिवार के लिए सतत आय का सृजन करने में मदद की जाएगी।
मधुशक्ति (मधु यानि शहर और शक्ति यानि महिलाओं की ऊर्जा) नामक यह परियोजना भारत में सतत विकास का एक अभिनव प्रयास है। यह परियोजना उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में हिमायल पर्वत श्रृंखला की तराई के क्षेत्रों में तीन सालों तक चलेगी, जहां पर शहद का उत्पादन करने के लिए उपयोगी औषधियां और वनस्पतियां भरपूर मात्रा में हैं। उत्तराखंड की लगभग 53 फीसदी आबादी पहाड़ी इलाकों में रहती है, जिनमें से 60 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं।
एफएमसी इंडिया के प्रेसिडेंट, रवि अन्नावरापु ने कहा, ‘‘मधुशक्ति परियोजना द्वारा हम ग्रामीण परिवारों के जीवन में परिवर्तन लाना और महिलाओं को कृषि क्षेत्र में सतत व्यवसाय के अवसर प्रदान करना चाहते हैं। भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा करते हुए सुरक्षित रूप से खाद्य आपूर्ति बनाए रखने वाले किसानों का सहयोग करने की हमारी प्रतिबद्धता सतत कृषि पर केंद्रित है। इस परियोजना की सफलता से न केवल भारत में महिला किसानों को मधुमक्खी पालन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने का प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि गहन कृषि के तहत परागण करने वाले कीटों की सुरक्षा करने की वैश्विक समस्या का समाधान भी होगा।
इस परियोजना का अनावरण जी. बी. पंत विश्वविद्यालय में कुलपति, डॉ. ए. के. शुक्ला; एफएमसी इंडिया के प्रेसिडेंट, रवि अन्नावरापु ; विश्वविद्यालय में डायरेक्टर, रिसर्च, डॉ. अजीत नैन; एफएमसी में सार्वजनिक एवं औद्योगिक मामलों के लिए डायरेक्टर, राजू कपूर, और एफएमसी की स्टुअर्डशिप लीड फॉर एशिया पैसिफिक एस्ले एनजी की मौजूदगी में किया गया।
इस परियोजना के तहत, सितारगंज, कोटाबाग, अल्मोड़ा और रानीखेत से ग्रामीण महिलाओं को चुनकर उन्हें मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन किसानों द्वारा मधुमक्खी के छत्तों से एकत्रित किए गए शहद को विश्वविद्यालय के ‘हनी बी रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर’ (एचबीआरटीसी) द्वारा खरीद लिया जाएगा और इसकी राशि एक रिवॉल्विंग फंड द्वारा दी जाएगी, जो मधुमक्खी के छत्तों से प्राप्त उत्पाद और किसानों का भुगतान करने के लिए स्थापित किया गया है। इस परियोजना में परागण करने वाले कीटों के व्यवहार का बारीक अध्ययन कर वैज्ञानिक जानकारी एकत्रित की जाएगी, जिससे देश में मधुमक्खी पालन करने वाले किसान लाभान्वित हो सकेंगे।
मधुशक्ति परियोजना की सफलता का उद्देश्य देश में महिला किसानों को मधुमक्खी पालन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने का प्रोत्साहन देना है। उत्तराखंड में परागण करने वाले कीटों की आबादी बढ़ने से परागण की दर और जैव विविधता में वृद्धि होगी, जिससे कृषि की उत्पादकता बढ़ेगी। इस परियोजना के अन्य उद्देश्यों में उत्तम एग्रोनोमिक विधियों को बढ़ावा दिया जाना शामिल है, ताकि मधुमक्खियों को सुरक्षित रखते हुए कीटनाशकों का सुरक्षित व विवेकपूर्ण उपयोग हो।
जीबी पंत विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. ए. के. शुक्ला ने कहा, ‘‘मधुमक्खी पालन राज्य की महिलाओं के लिए व्यवसाय का सर्वाधिक सतत अवसर प्रदान करता है, जिसके द्वारा वो कम से कम निवेश करके अतिरिक्त आय एवं अन्य कई लाभ अर्जित कर सकती हैं। राज्य की समृद्ध जैवविविधता द्वारा मधुमक्खियों को विकास करने, विस्तृत किस्म के शहद का निर्माण करने, और प्राकृतिक परिवेश को संतुलित रखने में मदद मिलेगी। इस परियोजना से न केवल पर्यावरण, अपितु किसानों को भी व्यापक लाभ मिलेगा।