भारतीय किसान संघ उत्तराखंड ने जीएम फसलों के खिलाफ ज्ञापन सौंपा
सुकर्मपाल सिंह राणा
कोटद्वार, 19 नवम्बर 2024– भारतीय किसान संघ उत्तराखंड ने जीएम (जैनेटिकली मोडीफाइड) फसलों के मुद्दे पर गढ़वाल सांसद माननीय अनिल बलूनी जी के प्रतिनिधि और राज्य गौ सेवा आयोग उत्तराखंड के सदस्य श्री धर्मवीर सिंह गोसाई को कोटद्वार स्थित पटेल मार्ग कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में संगठन ने जीएम फसलों के बगैर वैज्ञानिक परीक्षण, चर्चा और परीक्षण के बाज़ार में प्रवेश को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की।
ज्ञापन में भारतीय किसान संघ ने बगैर सलाह के 2002 में बीटी कपास की शुरूआत का विरोध करते हुए कहा कि यह फसल न केवल किसानों के लिए असफल रही, बल्कि यह भी साबित हुआ कि यह फसल पिंक बॉलवॉर्म जैसे कीटों को रोकने में भी विफल रही। इसके बाद बीजी-1 और बीजी-2 जैसी जीएम किस्मों की भी असफलता के मामले सामने आए। इस प्रकार की फसलें किसानों के लिए भारी नुकसान का कारण बनीं, जिसके चलते किसानों को आत्महत्या तक करने पर मजबूर होना पड़ा।
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि हाल ही में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 23 जुलाई 2024 को एक विभाजित निर्णय में केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह चार माह के भीतर जीएम फसलों पर राष्ट्रीय नीति तैयार करे और सभी हितधारकों से वार्ता करे। इस निर्णय के बाद से जीएम पक्षधर और सरकार दोनों में कोई सक्रियता दिखाई नहीं दी है, जो कि एक बड़ा सवाल उठाता है।
भारतीय किसान संघ ने यह भी कहा कि बीटी कपास जैसे असफल और बिना वैज्ञानिक परीक्षण के उत्पादों को बाज़ार में लाना किसानों के साथ भयंकर शोषण है। संगठन ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत में जीएम फसलों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और इस मुद्दे पर अगर सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो भारतीय किसान संघ इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन करेगा।
इसके अलावा, संगठन ने यह भी उल्लेख किया कि 21 अगस्त 2020 को एफएसएसएआई (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) द्वारा जारी किए गए एक नोटिफिकेशन में यह स्पष्ट किया गया था कि विदेशों से आयात होने वाले खाद्यान्न और खाद्य उत्पादन को ‘नॉन जीएम’ प्रमाणपत्र के साथ आना अनिवार्य है, लेकिन इसके बावजूद भारतीय बाजार में जीएम तेलों का आयात हो रहा है।
संगठन ने इस ज्ञापन के माध्यम से सरकार से आग्रह किया कि देशहित, जैव विविधता, पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के हित में जीएम फसलों की अनुमति नहीं दी जाए। भारतीय किसान संघ ने यह भी चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस मुद्दे पर उचित कार्रवाई नहीं की, तो संगठन इस मुद्दे पर जन जागरूकता और आंदोलन को और तेज करेगा।
ज्ञापन सौंपने के मौके पर भारतीय किसान संघ के कई प्रमुख सदस्य उपस्थित थे, जिनमें सरदार परमजीत सिंह, राजकुमार सिंह, रामेश्वर प्रसाद मदन जी, जदली और संगठन मंत्री उत्तराखंड सुकर्म पाल राणा समेत कई कार्यकर्ता शामिल थे।