आत्मिक मंत्र ॐ–एम.एस.रावत

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल।ॐ शब्द नही स्वासों,मन,बुद्धि मस्तिष्क,और पूरे हृदय शरीर को जीवन दायक मंत्र है,ॐ मन पर नियंत्रण करके शब्दों का उच्चारण करने की क्रिया को मंत्र कहते हैं,मंत्र विज्ञान का सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे तन मन पर पड़ता है,मंत्र का जाप मानसिक क्रिया है,कहा जाता है कि जैसा रहेगा मन वैसा बनेगा तन,यानी यदि हम मानसिक रूप से स्वस्थ हैं तो हमारा शरीर भी स्वस्थ रहेगा,ॐ शब्द स्वस्थ्य को निरोग रखने का एक मंत्र है,जिसे सभी प्राणी मात्र को जाप करना आवश्यक है,ॐ तीन अक्षरों से बना है अ,ऊ और म,से निर्मित यह शब्द सर्व शक्तिमान है,जीवन जीने की शक्ति और संसार की चुनौती का सामना करने का साहस देने वाले ॐ के उच्चारण करने मात्र से विभिन्न प्रकार की समस्याओं व व्याधियों का नाश हो जाता है,ॐ सृष्टि के आरंभ में एक ध्वनि गूंजी ॐ और पूरे ब्रह्मांड में उसकी गूंज फेल गई पुराणों में येसी कथा मिलती है कि इसी शब्द से भगवान शिव,विष्णु, ब्रह्मा,प्रकट हुए,इसलिए ॐ को सभी मंत्रों का बीजमंत्र और ध्वनियों एवं शब्दों की जननी कहा जाता है,इस मंत्र के विषय में कहा जाता है कि ॐ के निरंतर उच्चारण मात्र से शरीर में मौजूद आत्मा जागृत हो जाती है, सारे रोग एवं तनाव से मुक्ति मिल जाती है,इस लिए धर्म गुरु ॐ का जप करने की सलाह देते हैं,जबकि वास्तुविदों का मानना है कि ॐ के प्रयोग से घर में मौजूद वास्तु दोषों को भी दूर किया जा सकता है,ॐ मंत्र को ब्रह्मांड का स्वरूप माना जाता है,धार्मिक दृष्टि से मना जाता है कि ॐ मे त्रिदेबों का वास होता है,इसलिए सभी मंत्रों से पहले ॐ का उच्चारण किया जाता है,”जैसे ”
ॐ नमो भगवते वासुदेव,ॐ नम: शिवाय,आध्यात्मिक दृष्टि से यह माना जाता है कि नियमित ॐ मंत्र का जप किया जाय तो व्यक्ति का तन मन शुद्ध रहता है और मानसिक शांति मिलती है। ॐ मंत्र के जप से मनुष्य ईश्वर के करीब पहुंचता है और मुक्ति पाने का अधिकारी बन जाता है,ॐ इस बात पर एक मत है कि ॐ ईश्वर का मुख्य नाम है,योगदर्शन में स्पष्ट है कि यह ॐ शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है,अ+उ+म.प्रत्येक अक्षर ईश्वर के अलग अलग नामों को अपने में समेटे हुए हैं,जैसे “अ” से व्यापक सर्वदेशीय,उपासना करने योग्य है,”उ ” से बुद्धिमान,सूक्ष्म,सब अच्छाइयों का मूल नियम करने वाला है,”म”से अनंत,अमर, ज्ञानवान,और पालन करने वाला है,ये तो बहुत कम उदाहरण हैं जो ॐ के प्रतिक अक्षर से समझे जा सकते हैं,वास्तव में अनंत ईश्वर के अंगिनित नाम केवल इसी ओम शब्द में ही आ सकते हैं,और किसी में नहीं,अनेक बार या बारंबार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव मुक्त हो जाता है,अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नही।
यह शरीर विषैले तत्वों को दूर करता है,अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है। ॐ हृदय और खून के प्रवाह को संतुलित रखता है,इससे पाचन शक्ति तेज होती है,ॐ शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार हो जाता है,नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है,रात को सोते हुए नीद आने तक मन ही मन ॐ शब्द का स्मरण करते रहने से अनेक फायदे होते हैं,जो स्वयं ही धीरे धीरे महसूस होता रहता है। कुछ विशेष प्राणायाम के साथ ॐ उच्चारण करने से फेफड़ों में मजबूती आती है। ( ॐ के उच्चारण की विधि )
प्रात: उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण,पद्मासन,अर्धप्दमासन,सुखासन,ब्रजासन,में बैठकर ॐ का उच्चारण 5-7-10-21,अपने समयनुसार कर सकते हैं,ॐ जोर से बोल सकते हैं,धीरे धीरे भी बोल सकते हैं, यथा शक्ति ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।
(ॐ जाप करने के लाभ)
ॐ जप करने से तन और मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है,दिल की धड़कन और रक्त चाप व्यवस्थित होता है,इससे मानसिक बीमारियां दूर होती हैं,काम करने की शक्ति बढ़ जाती है,इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनो ही लाभांवित होते हैं,ॐ के उच्चारण मात्र से पवित्रता का बोध भी हो जाता है,जोकि हमेशा रखना ही चाहिए।
शरीर में आवेगों का उतार-चढ़ाव प्रिय या अप्रिय शब्दों की ध्वनि से श्रोताओं,वक्ताओं दोनो में हर्ष,विषाद,क्रोध,घृणा,भय,तथा कामेच्छा के अवेगों को महशुस करते हैं,अप्रिय शब्दों से निकलने वाली ध्वनि से मस्तिष्क में उत्पन्न काम,क्रोध,मोह,भयलोभ,आदि की भावना से दिलकी धड़कने तेज हो जाती हैं,जिससे रक्त में ‘tonksik’ पदार्थ पैदा होता है,इसी तरह प्रेम से और प्यार से शब्दों की ध्वनि,मस्तिस्क,हृदय और रक्त पर अमृत की तरह रसायन की वर्षा करती है,कम से कम 108 बार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव रहित हो जाता है,कुछ ही दिनों पश्चात शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होने लगता है,ॐ का उच्चारण करने से प्रस्थतियों का पूर्वानुमान होने लगता है,ॐ का उच्चारण करने से आपके व्यवहार में शालीनता आयेगी जिससे आपके शत्रु भी मित्र बन जाते हैं,ॐ का उच्चारण करने से आपके मन में निराशा के भाव उत्पन्न नही होते हैं,ॐ के जप करने से आत्महत्या जैसी सोच भी मन मे नही आती जीन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता या जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर है,उन्हे यदि नियमित ॐ का उच्चारण कराया जय तो उनकी स्मरण शक्ति मजबूत और शक्तिशाली बनेगी और पढ़ाई में मन भी खूब अच्छी तरह लगेगा।
बस इतना सा करना कहना है,ॐ ही जीवन हमारा ॐ प्राण धार है,ॐ ही करता विधाता ॐ ही पालन हार है,ॐ ही दुःख का विनाशक ॐ सर्वानंद है,ॐ सबका पूज्य है,हम ॐ का पूजन करे,ॐ के ही ध्यान से हम शुद्ध अपना मन करे,ॐ जपने से ही अंत में मोक्ष तक पहुंचा जायेगा।