देहरादून! राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने राजभवन में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवनवृत्त पर प्रकाशित पुस्तक ‘‘सर्वस्वदानी जननायक गुरु गोबिंद सिंह’’ का विमोचन किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि यह एक अद्भुत संयोग है कि बैसाखी के शुभ अवसर पर हम इस पुस्तक का विमोचन कर रहे है। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी प्रतिभा और दूरदर्शिता से समाज को नई दिशा प्रदान की और मानवीय हितों का संरक्षण किया। गुरु गोबिंद सिंह जी का व्यक्तित्व सूर्य के प्रकाश की तरह है जिन्होंने अपने व्यक्तित्व से सदियों से मुरझाए, निराश, हताश, लाखों करोड़ों लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाई थी।
राज्यपाल ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध निर्भय होकर सामना किया और समाज को एक नई दिशा प्रदान की है। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने राष्ट्र, धर्म और अपनी संस्कृति के लिए अद्वितीय बलिदानी परंपरा का उदाहरण प्रस्तुत किया है जिसके समानान्तर कोई अन्य उदाहरण नहीं है। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपना समस्त परिवार का बलिदान किया। राज्यपाल ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने सदा प्रेम, सदाचार और भाईचारे का संदेश दिया। वह एक महान समाज सुधारक थे जिन्होंने अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध डटकर सामना किया।
राज्यपाल ने कहा कि ऐसे महान समाज सुधारक के जीवनवृत्त पर एक पुस्तक का लेखन बेहद प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से प्रत्येक मानवता तक यह गुरु गोबिंद सिंह जी के संदेश पहुंचे यही हमारा प्रयास होना चाहिए। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में स्थापित श्री गुरु गोबिंद सिंह शोध पीठ द्वारा किए गए शोध को पुस्तक का रूप देने के लिए बधाई दी। उन्होंने कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय, डॉ. दिनेशचंद्र शास्त्री और इस पुस्तक के लेखक, डॉ. अजय परमार, समन्वयक श्री गुरु गोबिंद सिंह शोध पीठ संस्कृत विश्वविद्यालय को इस संकलन के लिए साधुवाद दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पुस्तक श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा सिखाए गए मार्ग को अपनाने और समाज को एक नई दिशा देने का काम करेगी।
पुस्तक विमोचन के अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंडया और हेमकुंट साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा ने अपने विचार रखे और श्री गुरु गोबिंद सिंह को मानवता के लिए एक समरसता का सूत्रधार बताया। उन्होंने ऐसे महापुरुषों की जीवनी को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने का आह्वान किया। कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय डॉ. दिनेशचंद्र शास्त्री ने उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद किया। इस पुस्तक के लेखक, डॉ. अजय परमार ने पुस्तक के बारे में जानकारी दी और इसके विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला।