विश्व ग्लूकोमा दिवस पर मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के नेत्र रोग विभाग की ओर से हुआ कार्यक्रम का आयोजन*

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के नेत्र विभाग की ओर से विश्व ग्लूकोमा सप्ताह के तहत जन जागरुकता रैली निकालने के साथ ही नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया। इस अवसर पर कहा गया कि सजगता और देखभाल से लोग अपनी आंखों को ग्लूकोमा के नुकसान से बचा सकते हैं। यदि समय पर इस पर ध्यान नहीं दिया जाए, तो इसकी वजह से आंखों की रोशनी जा सकती है।
बुधवार को श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग की ओर से ग्लूकोमा के प्रति जनता को जागरुक करने के लिए रैली निकाली गई। कॉलेज से शुरू हुई रैली का समापन बेस अस्पताल परिसर में हुआ। तत्पश्चात एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक का मंचन कर ग्लूकोमा के कारण, बचाव और इलाज के बारे में बताया।
इस मौके पर डॉ.सुरेंद्र सिंह ने ग्लूकोमा जागरुकता सप्ताह और इसके महत्व के बारे में बताया। जबकि नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अच्युत नारायण पांडे ने ग्लूकोमा के उपचार एवं बचाव पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ग्लूकोमा को काला मोतिया भी कहा जाता है। इसमें ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचता है। यह आंख के पीछे स्थित होती है। यह दबाव से क्षतिग्रस्त हो जाती है। जिससे अंधापन हो सकता है। उन्होंने कहा कि ग्लूकोमा ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन समय पर निदान होने से इसको नियंत्रित किया जा सकता है। ग्लूकोमा से बचाव के लिए आंखों की नियमित स्क्रीनिंग जरुरी है। यदि कोई व्यक्ति 40 साल से ऊपर का है, तो उसे समय-समय पर आंखों का परीक्षण कराना चाहिए। यह वंशानुगत भी हो सकता है। डॉ. पांडे ने यह भी सलाह दी कि आंख में किसी समस्या होने पर मेडिकल स्टोर में जाकर अपनी मर्जी से आई ड्रॉप न खरीदें। बल्कि नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाए। क्योंकि गलत दवा से ग्लूकोमा आंखों को और नुकसान पहुंच सकता है।
इस अवसर पर डॉ.जानकी,डॉ.विवेक द्विवेदी सहित नेत्र रोग विभाग के पीजी डॉ.जिज्ञासा,डॉ.अंकिता,डॉ.अजलि,डॉ.योगिता,डॉ.रंग,कम्युनिटी विभाग के पीजी छात्र और एमएसडब्लू अरुण बडोनी आदि मौजूद रहे।