कमलेश्वर महादेव मंदिर श्रीनगर में 15 फरवरी को घृत कमल अनुष्ठान

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड की प्रसिद्ध आध्यात्मिक सांस्कृतिक नगरी श्रीनगर श्रीक्षेत्र के पौराणिक सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में 15 फरवरी को घृत कमल अनुष्ठान किया जाएगा। हर वर्ष माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी को कमलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है
कमलेश्वर महादेव के महंत आशुतोष जी महाराज भगवान कमलेश्वर महादेव की पूजा के पश्चात भगवान को 101 कमल पुष्प अर्पित किए जाएंगे साथ ही 52 प्रकार के व्यंजन व 56 भोग लगाएं जायेंगे। इसके अलावा शिवलिंग को 51 किलो घी का लेप लगाया जाएगा जिसमें वर्तमान महंत दिगंबर अवस्था में भगवान शिव के मंदिर की लौट परिक्रमा कर अनुष्ठान पूरा करेंगे।
इस अनुष्ठान को देखने के लिए दूर दराज से लोग पहुंचते हैं और भगवान कमलेश्वर महादेव के दर पर माथा टेकते हैं।
कमलेश्वर महादेव के महंत आशुतोष जी महाराज ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार ताड़कासुर दैत्य ने भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि उसकी मृत्यु शिव के पुत्र के हाथों ही होगी। ताड़कासुर जानता था कि भगवान शिव माता रानी राजा दक्ष की पुत्री की मृत्यु के बाद दूसरा विवाह नहीं करेंगे और साधना में ली हो जाएंगे। ऐसे में उनके पुत्र के जन्म की कोई संभावना नहीं है। वह अमर रहे के घमंड में डूबे ताड़कासुर ने अपने अत्याचारों से पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मचा दिया। उसने समस्त संसार में अपना आधिपत्य जमा लिया। ताड़कासुर के अत्याचार से पीड़ित सभी देवता भगवती एवं करते हैं जिस पर भगवती हिमालय पुत्री उमा नंदा के रूप में जन्म लेती है। लेकिन शिव ध्यान अवस्था में लीन थे। कामदेव उनकी साधना भंग कर देते हैं तत्पश्चात सभी देवता शिव को विभव के लिए मनाते हैं।
महंत आशुतोष जी महाराज ने कहा कि कमलेश्वर महादेव मंदिर में ही भगवान शिव को ताड़कासुर के अत्याचारों के बारे में बताया गया।