खुदेड़ दिन–दलीप सिंह बिष्ट
बौड़ी-बौडीक ऐगी, बसन्त का दिना।
डाळी-डाळियों यख, फूल-खिल्यां।।
बेटी-ब्वारी मैत जाली, ह्यूंद का दिनूमा।
ब्वे-बाबा भेंटि आली, गौं गळा बिटीना।।
घूघती प्यारी तू, मेरा मैत्वाड़ा जा दूं।
ब्वे-बाबा की राजी खुशी, पूछीक आ दूं।।
बुरांस फूल्यूं होलू, मेरा मैतका डांडा मा।
काफूळ पकी जाला, चैत बैसाख मैना मा।।
डाळयों-डाळयों फूल-फूल्यां, पाखा हर्यां ह्वेगी।
खुदेड़ दिनूमा, मैत्वाड़ा की याद ऐगी।।
बेटी-ब्वारी मैत जाली, ह्यूंदका दिनोंमा
ब्वे-बाबा भेंटी आली, खुदेड़ महीनों मा।।
फ्यूली फूलीगी होली, मेरा मैत का वणमा
मैतवाळी मैत जाली, खुद मिटौण गौंमा।।
फुल्लारी फूलू लीक, डेळयों-डेळयों जाली।
देखीक तौं बेटी-ब्वारियों, मैत की याद आली।।
जौंका होला मैती, सी भेंटीक आली
र्निमैत्या बणू-बणू, यकूली रोली।।
लय्या फुली, पय्या फुली, डाळयों-डाळयों मा।
ऋतु बसंत बौड़ी ऐगी, डांडी-काठियों मा।।
-दलीप सिंह बिष्ट
प्रदीप कुमार श्रीनगर गढ़वाल