राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड(एन.आई.टी) के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह शामिल हुए साथ ही मां धारी देवी के दर्शन कर पूजा अर्चना की

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड ने अपना भव्य चतुर्थ दीक्षांत समारोह शनिवार, 04 नवंबर 2023 को आयोजित किया गया जिसके मुख्य जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में राज्य के महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने सबसे प्रथम धारी देवी मंदिर में पूजा अर्चना की उसके बाद एनआईटी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए और प्रख्यात शिक्षाविद एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के एमेरिटस प्रोफेसर चंद्रशेखर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इसके अलावा डॉ. पमिता अवस्थी, प्रोफेसर एनआईटी हमीरपुर, सीनेट और अकादमिक जगत, उद्योग और सरकार के अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस दीक्षांत समारोह में कुल 116 छात्रों को उपाधियाँ प्रदान की गयी जिसमे 90 बी टेक, 13 एमटेक और 12 पीएचडी के छात्र शामिल है। बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र रोहित सिंह नेगी को सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल करने पर निदेशक पदक से सम्मानित किया गया। इसके साथ साथ बीटेक प्रोग्राम के 05 छात्रों एवं एमटेक प्रोग्राम के 04 छात्रों को सम्बंधित विभाग में सर्वाधिक सीजीपीए अर्जित करने के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। इस वर्ष पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत एक छात्र को डिप्लोमा की डिग्री दी गयी ।
समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्या अतिथि महामहिम राज्यपाल ने कहा कि इस अवसर पर डिग्री एवं मेडल लेने आए विद्यार्थियों में एक अलग ही उत्साह दिखा जोकि बहुत ही अहम है। उन्होंने उपाधिधारकों के माता-पिता और गुरूजनों को बधाई दी और सन्देश दिया कि सफलता के शिखर को छूने के बाद भी उन्हें अपने माता-पिता, गुरूजन एवं साथियों को भूलना नहीं चाहिए। उन्होंने उन्होंने विद्यार्थियों से कहा दीक्षांत समारोह एक महोत्सव की तरह होता है। इस महोत्सव में आप सपने देखिए और संकल्प लिजिए कि आपको राष्ट्र में तकनिकी क्रांति लानी है। उन्होंने छात्रों से कहा कि टेक्नोक्रेट के रूप में,आपके पास ‘टेक्नोलॉजी लीडर’ बनने की क्षमता है। अपने तकनीकी कौशल को मूर्त रूप दें, प्रतिस्पर्धी बनें ताकि आप हमेशा दुनिया का नेतृत्व कर सकें। यदि आप पूरी जिम्मेदारी से योगदान करे तो हमें विकसित राष्ट्र और विष्वगुरू होने से कोई रोक नहीं सकता।
उन्होंने कहा कि हम स्वतंत्रता के 77वें वर्ष में हैं। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जब पूरे देश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया हमें स्वतंत्रता हासिल करने में अपने पूर्वजों के बलिदान और कड़ी मेहनत को याद रखना चाहिए। आजादी का अमृत महोत्सव, तिरंगा यात्रा और मेरी मट्टी मेरा देश मनाने में समर्पण और उत्साह के लिए मैं एसएनआईटी उत्तराखंड की सराहना करता हूं। अनगिनत बलिदानों के साथ यह स्वतंत्रता कड़ी मेहनत से अर्जित की गई है, और अब यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने राष्ट्र की प्रगति की दिशा में काम करें, इसे अगले दशक में नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। प्रधानमंत्री मोदी ने हमारे लिए एक दूरदर्शी लक्ष्य निर्धारित किया है: 2047 तक भारत को एक विकसित देश में बदलना। आइए हम दृढ़ संकल्प और समर्पण के साथ इस जिम्मेदारी को गले लगाएं।
दीक्षांत समारोह की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच एक शानदार शैक्षणिक जुलूस के साथ हुई। पारम्परिक रूप से दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने स्वागत भाषण और संस्थान के रिपोर्ट की प्रस्तुति की। प्रो.अवस्थी ने मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल, विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर चंद्रशेखर, एवं समारोह में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों, छात्रों, उनके परिवार और दोस्तों और समारोह में उपस्थित सभी व्यक्तियों का स्वागत किया और सभी डिग्री प्राप्तकर्ताओं को, उनके परिवार और दोस्तों के साथ, करियर में एक मील का पत्थर हासिल करने के लिए बधाई दी।
प्रो.अवस्थी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा “मैं प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री के निरंतर और मजबूत समर्थन तथा मार्गदर्शन के लिए आभारी हूँ, जिसने एन आई टी, उत्तराखंड को असाधारण हासिल करने में मदद की है। मैं उनके प्रगतिशील नेतृत्व तहत काम करके स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूँ।”
मुझे आपको यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि हमारे संकाय सदस्यों को प्रतिष्ठित अनुसंधान संगठनों से परियोजनाएं प्राप्त हुई हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग के डॉ.नितांशु चौहान, डॉ.सरिता यादव, विवेक कुमार और डॉ.हरिहरन मुथुसामी को अन्य 4 प्रतिष्ठित संस्थानों अर्थात् आईआईटी रुड़की, एनआईटी गोवा, एनआईटी दिल्ली और आईआईआईटी
संस्थान की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने संस्थान की हालिया उपलब्धियों की झलक पेश की। प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि विगत वर्ष एन आई टी उत्तराखंड, आईआईटी रुड़की, एनआईटी गोवा, एनआईटी दिल्ली और आईआईआईटी बैंगलोर को एमईआईटीवाई 411.44 लाख रुपये की परियोजना प्राप्त हुई है। एमईआईटीवाई से 84.70 लाख रुपये की एक अन्य परियोजना इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग से डॉ.हरिहरन मुथुसामी, डॉ.टी.एस.अरोड़ा, डॉ.नितांशु चौहान और विवेक कुमार और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग से हिमेश कुमार को प्रदान की गई है। सिविल इंजीनियरिंग विभाग से डॉ. स्मिता कलोनी और डॉ. शशांक भात्रा को एसईआरबी-डीएसटी से 40.80 लाख रुपये का शोध अनुदान मिला है। भौतिकी विभाग की डॉ.जागृति सहरिया को सीएसआईआर, नई दिल्ली से 22.16 लाख रुपये का अनुदान मिला। इन परियोजनाओं के अलावा, संस्थान में 204.16 लाख रुपये की छह (6) और परियोजनाएं चल रही हैं। संकाय सदस्यों को दायर किए गए 5 में से 3 डिजाइन प्रमाण पत्र प्रदान किए गए हैं, 4 पेटेंट दिए गए हैं, 2 पेटेंट प्रकाशित किए गए हैं और 2 और पेटेंट दायर किए गए हैं। वर्तमान में, सिविल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभागों में 8.16 लाख रुपये के मूल्य की 8 परामर्श परियोजनाएं चल रही है।
सुमाड़ी में स्थायी परिसर का निर्माण के बारे में प्रोफेसर अवस्थी ने कहा की मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि पिछले 14 वर्षों में पहली बार एनआईटी उत्तराखंड के स्थायी परिसर के निर्माण में सभी बाधाओं को दूर कर दिया गया है। सुमाड़ी परिसर में निर्माण कार्य की निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली है। परिसर का पहला चरण 60 एकड़ की भूमि पर 1260 छात्रों को समायोजित करने के लिए निर्माण कार्य किया जाएगा, जिसकी अनुमानित लागत 650.85 करोड़ रुपये है। उन्होंने शिक्षा मंत्री,भारत सरकार और सचिव, उच्च शिक्षा, भारत सरकार को 20% का अतिरिक्त अनुदान प्रदान करने के लिए आभार प्रकट किया।
इस मौके पर डॉ.पवन कुमार राकेश, डॉ.कमल कुमार और डॉ.पंकज पाल को बेस्ट फकललती अवार्ड-2023 से सम्मानित किया गया।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर चंद्रशेखर ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, नवप्रवर्तकों और आविष्कारकों के रूप में, आप भविष्य के वास्तुकार होंगे। संस्थान में आपके द्वारा प्राप्त ज्ञान और कौशल के साथ, आप हमें अभूतपूर्व तकनीकी विकास के युग में ले जाने के लिए तैयार हैं। आप कल के उद्योगों को आकार देने,अत्याधुनिक समाधान बनाने और मानव ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाने में सक्षम होंगे। आपके पास जो शक्ति है वह बहुत अधिक है,और इसलिए उम्मीदें भी हैं।
इसके बाद स्नातकों को डिग्रियां देकर सम्मानित किया गया और सीनेट और निदेशक द्वारा चार्ज किया गया। दीक्षांत समारोह का समापन प्रभारी रजिस्ट्रार डॉ.धर्मेंद्र त्रिपाठी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव और राष्ट्रगान के साथ हुआ।