प्रदीप कुमार
ऊखीमठ/श्रीनगर गढ़वाल। पर्यटक गांव सारी से भगवती नन्दा भावुक क्षणों व महिलाओं के पौराणिक जागरो तथा सैकड़ों भक्तों की जयकारों के साथ विदा होकर अपने तपस्थली मक्कूमठ में पहुंच कर जगत कल्याण के लिए तपस्यारत हो गयी है। भगवती नन्दा के आगमन से तुंगनाथ घाटी के विभिन्न गांवों का वातावरण कई दिनों तक भक्तिमय बना रहा तथा ग्रामीण भगवती नन्दा की असीम भक्ति में डूबे रहें। भगवती नन्दा के आगमन पर ग्रामीणों द्वारा अनेक प्रकार के धार्मिक आयोजन किये गए जिसमें सभी गांवों में बगडवाल नृत्य मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहा। रविवार को सारी गांव से भगवती नन्दा के विदा होते समय महिलाओं की आंखें छलक उठी तथा ग्रामीणों ने भगवती नन्दा को विदा होते समय कई स्थानीय व्यंजन भेंट कर मनौती मांगी। भगवती नन्दा की विदा होते समय महिलाये दूर खेत – खलिहानों तक भगवती नन्दा की राह निहार कर अगले वर्ष पुनः आगमन की कामना करती रही। जानकारी देते हुए ईको पर्यटन विकास समिति के अध्यक्ष मनोज नेगी ने बताया कि भगवती नन्दा के प्रति वर्ष शारदीय नवरात्रों के अष्टमी से क्षेत्र भ्रमण की परम्परा युगों पूर्व की है तथा भगवती नन्दा प्रति वर्ष काण्डा, हूण्डू , उषाडा़, दैडा़, व सारी गाँवों का भ्रमण कर ग्रामीणों को आशीर्वाद देती है तथा भगवती नन्दा के आगमन से ग्रामीणों में भारी उत्साह बना रहता है। वन पंचायत सरपंच मुरली सिंह नेगी ने बताया कि भगवती नन्दा के आगमन पर विभिन्न गांवों के ग्रामीणों द्वारा अनेक धार्मिक आयोजन का आयोजन किया जाता है तथा पौराणिक जागरो के माध्यम से भगवती नन्दा की महिमा का गुणगान किया जाता है। प्रधान उषाडा़ कुवर सिंह बजवाल ने बताया कि भगवती नन्दा के आगमन से सभी गांवों का वातावरण भक्तिमय बना रहता है तथा ग्रामीणों में भगवती नन्दा के प्रति अगाध श्रद्धा बनी रहती है। देवरिया ताल पर्यटन समिति अध्यक्ष दिलवर सिंह नेगी ने बताया कि भगवती नन्दा के विदाई का समय बड़ा भावुक होता है। इस आयोजन में प्रधान दैडा़ योगेन्द्र नेगी ने बताया कि भगवती नन्दा के आगमन से ग्रामीणों में प्यार, प्रेम व सौहार्द बना रहता है। साभार-वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण सिंह नेगी।