बेटी छै तू, बेटी ना रैई, बेटी मेरी बलवान

 

बेटी छै तू…बेटी ना रैई…अपणी लड़ै…लड़दी रैई।
वचन दे आज,,,ज्वान तू व्हेली… अपणा सगोर सी बणी ठणी रैली।
छन कुछ मनस्वाग,,,,मनख्यो खै जांदा….अगाड़ी पिछाड़ी कै नी ऐलांदा।
अपणु हक न ख्वे,,,भौ कखी मु न र्वे,,,,बाबू च प्यारु,,,प्यारी च त्वेकु ब्वे।
बेटी छै तू…………………………..
ज्वान व्हेकी तू,,,,,निठुर न व्हे,,,,,अपणु मान कखी मु ना ख्वे।
भै की भेंटुली,,,जिया मा की लाडी,,,,व्हेली बाबू की बाली लाटी।
आवाज उठै वख,,,,,दबली भी जख,,,,,,आंख्यों अंसुधार बगै ना जख तख।
बेटी छै तू………………….
आज व्होणू गौं गुठ्यार,,,,चौक तिबारी,,बाठा सुनकार।
दगड़ा जाणी छन,,,भै बैणौं की याद,,,,मां की अंग्वाली,,,बाबा कु दुलार।
सैसर जैली,,,,ढंग से रैई,,,ब्वे बाबू कू,,, मान ना ख्वेयी।
व्हेली जब पीड़ा,,,, सतौलू जू क्वोई,,,,,,,चुप सी कैं कुणेठी पर सौंणी ना रैई।
बेटी छै तू………………………
मांगेलु दहेज,,,,मांगेली भीख,,,,दुनिया तै दे,,,,ये जुर्म की सीख।
दुनिया समाज मा,,,हैंसी खेली रैई,,,,अपणु परिचय,,,,,सुभौ से देयी।
उठै दे तलवार,,,उठै दी लाठी,,,,,राक्षसरुपी शीशू तै काटी।
बेटी छै तू……………
स्वरचित लेखन-लक्ष्मण सिंह बर्तवाल
ग्राम पल्यापटाला लोस्तु टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड

 -प्रदीप कुमार श्रीनगर गढ़वाल।