श्रीनगर में होगा प्रदेश में मूल्य निष्ठा सेवाओं द्वारा स्वर्णिम समाज की स्थापना अभियान का शुभारंभ पहली बार पहुंची संयुक्त मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारीज बीके संतोष

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विवि श्रीनगर के तत्वावधान में रविवार को श्रीनगर में पूरे प्रदेश के लिए मूल्य निष्ठा सेवाओं द्वारा स्वर्णिम समाज की पुर्नस्थापना अभियान का शुभारंभ होगा। जिसमें विवि की संयुक्त मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारीज बीके संतोष पहली बार श्रीनगर में पहुंचकर उक्त कार्यक्रम का श्रीगणेश करेगी। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रदेश के पूर्व सीएम एवं सांसद गढ़वाल तीरथ सिंह रावत उद्घाटन करेगे। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत करेगे।
देवभूमि उत्तराखंड में पहली बार माउंट आबू से पहुंची विवि की मुख्य प्रशासिका एवं अध्यक्षा समाज सेवा प्रभाग ब्रह्माकुमारीज बीके संतोष दीदी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि समाज में सुधार लाने तथा एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव की श्रद्धा लाने के लिए विवि की ओर से पूरे देश-प्रदेश में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। कहा कि ऐसे जागरूकता कार्यक्रम करने के बाद ही समाज में सुधार होगा। कहा कि हरके मनुष्य के अंदर पहले खुद के सुधार की आवश्यकता है, जिसके बाद समाज में सुधार होगा। कहा कि मन भटकता है इसके लिए राजयोग के जरिए अच्छे विचारों का कनेक्शन ईश्वरी विवि जोड़ने का कार्य कर रहा है। कहा कि अच्छे विचार आने के बाद ही संसार में सुख-शांति की अनुभूति प्राप्त होगी। बीके संतोष दीदी ने कहा कि यह अभियान श्रीनगर के साथ ही रूद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, गैरसैण, चौखटिया, जोशीमठ, गोपेश्वर, चम्बा, टिहरी, चिन्यानीसौड़, बडकोट, परोला और उत्तरकाशी में भी आयोजित होगा। रविवार को श्रीनगर में आयोजित कार्यक्रम में राजयोगी राधेश्याम, ऊषा बहन, प्रो. ईवी स्वामीनाथन, प्रो.ईवी गिरीश भाई, प्रेम बहन,अवतार भाई, वीरेन्द्र, वसुधा, राधेश्याम के साथ ही श्रीनगर क्षेत्र के राष्ट्रीय कवि नीरज नैथानी, स्वच्छता के प्रहरी डॉ. बीपी नैथानी, पंतजलि से लक्ष्मी पंवार शाह, पर्यवारणविद देव राघवेन्द्र बद्री, व्यापारी समाज से वासुदेव कंडारी, धनेश उनियाल, गौ सेवा से अनुज जोशी, स्वास्थ्य सेवा से डॉ.के.के. गुप्ता आदि मौजूद रहेगे। इस मौके पर विवि के निदेशक बीके मेहर चंद, बीके नीलम, बीके नीलम, नीतेश, मनमोहन सिंह आदि मौजूद थे। .