बेस अस्पताल में डेंगू होने से शॉक में आए बच्चे का किया सफल इलाज बच्चे के दिमाग में भी सूजन (एडिमा बीमारी) आ गया था

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। इन दिनों डेंगू प्रकोप के कारण बच्चे दिमाग संबंधी रोग एवं शॉक होने जैसी समस्या भी बढ़ रही है। श्रीनगर क्षेत्र में एक बच्चे को डेंगू होने पर वह शॉक में आने से बीपी कट्रोल नहीं हो पा रहा था, जबकि उसके दिमाग संबंधी (एडिमा बीमारी) रोग होने से दिमाग में भी सूजन आ गया था। जिससे बच्चा तरह-तरह की बातें करने लग गया था, किंतु बेस चिकित्सालय के बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. व्यास कुमार राठौर ने बच्चे का सही समय पर इलाज कर शॉक और दिमागी सूजन से बाहर निकाला और स्वस्थ होने के बाद बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
बेस चिकित्सालय के बाल रोग विभाग में डेंगू होने वाले बच्चों के लिए अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। जहां डेंगू से पीड़ित बच्चों को रखकर उनका इलाज किया जा रहा है। अभी तक के सीजन में 12 से अधिक बच्चों का इलाज बाल रोग विभाग कर चुका है। बाल रोग विभाग में इन दिनों 6 बच्चे डेंगू होने पर भर्ती है। जिसमें श्रीनगर, कीर्तिनगर, पोखरी, खिर्सू क्षेत्र से बच्चे पहुंचे है। जिनका इलाज डॉक्टरों की टीम द्वारा किया जा रहा है। बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. व्यास कुमार राठौर ने बताया कि दस दिन पहले श्रीनगर क्षेत्र का 10 साल का एक बच्चा डेंगू होने पर भर्ती किया गया। डेंगू के कारण बच्चे के दिमाग में सूजन होने के साथ शॉक में आने से बीपी कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। परिजनों द्वारा सही समय पर अस्पताल में लाने में पर बच्चे का त्वरित इलाज किया गया। लगभग दस दिनों तक चले इलाज के बाद बच्चा स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉ. व्यास के साथ डॉ. अशोक एवं डॉ. अंकिता गिरी ने इलाज में सहयोग दिया। वहीं अस्पताल के एमएस डॉ. रविन्द्र बिष्ट ने बाल रोग विभाग में बने डेंगू आईसोलेशन वार्ड का नोडल अधिकारी डॉ. तृप्ति श्रीवास्वत को नामित करते हुए वार्ड में तमाम व्यवस्थाएं बेहतर रखने तथा प्रतिदिन की रिपोर्ट देने का आदेश जारी किया है।
”डेंगू के सीजन में बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है, बच्चे अगर बाहर खिलने जाते है तो बच्चे ने पर्याप्त रूप से कपड़े पहने हो। बच्चों के खान-पान का विशेष ध्यान रखे, विशेषकर तरल पदार्थ ज्यादा खिलाये, डिहाइड्रेशन की समस्या ना हो समय-समय पर बच्चों को पानी पिलाए। सोते समय पर बच्चों के लिए मच्छरदानी का प्रयोग और मॉस्किटो रेपेलेंट का इस्तेमाल करे। बुखार आने पर डॉक्टर की सलाह जरूर ले।– डॉ. व्यास कुमार राठौर, एचओडी बाल रोग विभाग।”
दूसरी तरफ बेस अस्पताल में 25 मरीज डेंगू के भर्ती
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के बेस चिकित्सालय में डेंगू के वर्तमान समय पर 25 मरीज भर्ती हैं।
जिनके इलाज के लिए मेडिसिन विभाग की टीम जुटी हुई है जबकि लैब विभाग भी मरीज की समय पर ब्लड टेस्ट रिपोर्ट दे रहा है।
मेडिसिन विभाग के डेंगू नोडल इंचार्ज डॉ.योगेश कुमार यादव व विभागीय संकाय सदस्य एवं सीनियर रेजीडेंट चिकित्सक से लेकर नर्सिंग स्टाफ मरीजों को बेहतर चिकित्सा देने के लिए तत्पर है।
अस्पताल के एम.एस.डॉ.रविंद्र सिंह बिष्ट एवं अपार चिकित्सा अधीक्षक डॉ.सुरिंद्र सिंह ने बताया कि डेंगू के 95 टेस्ट किए गये
जिसमें 16 पॉजिटिव पाए गए वर्तमान में डेंगू वार्ड में 25 मरीज भर्ती हैं जिसमें 6 बच्चे शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि मरीजों को बेहतर इलाज मिले इसके लिए अस्पताल प्रशासन से लेकर डॉक्टरों की टीम जुटी हुई है।