राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड को शिक्षा जगत में नयी पहचान मिली

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड के निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने संकाय सदस्यों को प्रोजेक्ट लिखने और पेटेंट दाखिल करने के लिए सदैव प्रोत्साहित किया है, जिसके परिणामस्वरूप संस्थान को न केवल प्रोजेक्ट अनुदान मिलने में वृद्धि हुई है, बल्कि शिक्षा जगत में एनआईटी, उत्तराखंड को नयी पहचान भी मिली है।
इसी क्रम में भौतिकी विभाग में सहायक प्रोफेसर पद पर कार्यरत डॉ. जागृति सहारिया को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से 22.16 लाख रुपये के कुल परिव्यय के साथ “ऊर्जा रूपांतरण और भंडारण में लागू नवीन सामग्रियों की संरचनात्मक, इलेक्ट्रॉनिक और गति घनत्व जांच” शीर्षक पर एक शोध परियोजना अनुदान प्राप्त हुआ है।
प्रोफेसर अवस्थी ने प्रोजेक्ट अनुदान मिलने पर प्रसन्नता जाहिर की और डॉ सहरिया को बधाई देते हुए कहा ” राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 भी उच्च शिक्षा में अनुसंधान और नवाचार कि संस्कृति का समर्थन करती है। इस अनुदान से अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा एवं संस्थान में शोध का माहौल बनेगा।
प्रोफेसर अवस्थी ने आगे कहा ” हम तेजी से बदलती जलवायु और बढ़ती वैश्विक आबादी की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ऊर्जा रूपांतरण और भंडारण के लिए अधिक कुशल, और टिकाऊ सामग्री विकसित करके, हम जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में काफी हद तक कमी ला सकते है। उन्होंने आगे कहा ” इस शोध के नतीजों में हमारी दुनिया की बेहतरी के लिए स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर कदम बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की क्षमता है”।
प्रोफेसर अवस्थी ने संकाय सदस्यों को शिक्षक दिवस कि बधाई देते हुए कहा ” शिक्षक समाज के बौद्धिक जीवन को विकसित करने में अपना प्रेरक योगदान देते हैं। आप सभी को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं और बधाइयाँ।” उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय होने से शैक्षणिक संस्थानों पर रचनात्मकता और नैतिक प्रथाओं के प्रवर्तक के रूप में काम करने कि बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने संकाय सदस्यों से कहा कि हमे एक ऐसा प्रतिमान बनाने कि जरूरत है जो शिक्षण प्रथाओं को सक्षम करने की बेहतर संभावना प्रदान करता है और जो 21वीं सदी की दुनिया के लिए उपयुक्त रचनात्मक अभिव्यक्ति, नैतिक अभ्यास और सामाजिक प्रक्रियाओं में भागीदारी के लिए छात्रों की क्षमता को उजागर और बढ़ा सकता हो।
प्रोफेसर अवस्थी ने छात्रों, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई देते हुए कहा कि “ भगवान श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र से हम सब बहुत कुछ सीख सकते हैं। कृष्‍ण-सुदामा का सम्बन्ध हमें मित्रता और उदारता कि भवन को प्रबल बनाने के साथ, छोटा बड़ा, ऊंच-नीच ,अमीरी-गरीबी जैसी संकीर्ण सोच से मुक्त होने का सन्देश देता है।
उन्होंने संस्थान के छात्रों और कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी को मद्भागवत गीता अवश्य पढ़नी चाहिए। इससे हमें कर्म प्रधानता की महत्ता का पता चलता है। उन्होंने आगे कहा की किसी व्यक्ति का आंकलन, मूल्याङ्कन और भविष्य का निर्धारण उसके कर्म के आधार पर होता है अतः हमें अपने जीवन में सदैव अच्छे कर्म और उच्च मानवीय मूल्यों का समावेश करना चाहिए।
डॉ सहरिया ने परियोजन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस परियोजना का लक्ष्य ऊर्जा रूपांतरण और भंडारण अनुप्रयोगों के लिए बेहतर गुणों वाली नवीन सामग्रियों की जांच और विकास करना है। ये सामग्रियां संभावित रूप से हमारे ऊर्जा के दोहन और भंडारण के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं, जिससे अधिक कुशल और पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों का निर्माण किया जा सकेगा।
संस्थान के प्रभारी कुलसचिव डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी ने डॉ सहरिया को बधाई दी और प्रोफेसर अवस्थी की सराहना करते हुए कहा कि निदेशक ने संस्थान में शिक्षण के साथ-साथ अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र और अनुसंधान संस्कृति विकसित करने पर सदैव जोर दिया है। उन्होंने संस्थान में शोध कार्यो को गति और नयी दिशा प्रदान की है। उनके मार्गदर्शन में विगत वर्ष संस्थान को लगभग 2 करोड़ रूपये का प्रोजेक्ट अनुदान,1 करोड़ रूपये का कन्सल्टेन्सी प्रोजेक्ट और दो पेटेंट प्रदान किये गए थे।