गबर सिंह भंडारी
श्रीनगर गढ़वाल। पुरुषोत्तम मास जिसे अधिकमास तथा मलमास के नाम से भी जाना जाता है वर्ष 2023 में इसकी शुरुआत 18 जुलाई से है जिसकी अवधि 16 अगस्त तक रहेगी अधिक मास जिसे श्री हरि विष्णु ने पुरुषोत्तम मास का नाम दिया यह महीना जप तप साधना के लिए विशेष फलदाई माना जाता है हरि और हर अर्थात विष्णु एवं शिव की उपासना इस महीने में अन्य महीनों के अपेक्षा करोड़ गुना ज्यादा मंगलकारी एवं लाभकारी मानी जाती है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने इसी महीने में भगवान शिव की कठोर साधना की थी एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा से वरदान प्राप्त कर दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने संपूर्ण जगत में हाहाकार मचा दिया था क्योंकि उसे यह वरदान मिल चुका था कि उसकी मृत्यु न दिन में होगी ना रात में होगी ना धरती पाताल और आकाश में होगी उसने यह वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसकी मृत्यु चैत्र से लेकर फागुन तक के बारह महीनों में भी नहीं होगी न वह शस्त्र से मरेगा ना किसी अस्त्र से मरेगा ऐसे में सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर संपूर्ण जगत को उसके अत्याचारों से मुक्त कर धर्म की स्थापना की और हिरण्यकश्यप के पुत्र भक्त प्रह्लाद द्वारा संपूर्ण ब्रह्मांड में ओम नमो भगवते वासुदेवाय का प्रचार प्रसार कर सबके हृदय में भक्ति का बीज रोपित किया गया जानकार लोग बताते हैं कि नारद पुराण में पुरुषोत्तम मास की महिमा का बहुत ही सुंदर वर्णन है पुरुषोत्तम मास के प्रथम वक्ता श्री हरि विष्णु है जबकि प्रथम श्रोता होने का सौभाग्य उनके अनन्य भक्त देव ऋषि नारद को है पुरुषोत्तम मास की महिमा का वर्णन ग्रन्थों में इस प्रकार से देखने को मिलता है कि इस महीने में भक्ति का दान करना और हरि नाम संकीर्तन करने के साथ ही पंचाक्षर महामंत्र ऊं नमो भगवते वासुदेवाय तथा हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे इस महामंत्र का जप करना भी बहुत फलदाई माना जाता है।लेखक-अखिलेश चन्द्र चमोला श्रीनगर गढवाल।