गबर सिंह भंडारी
श्रीनगर गढ़वाल – आजादी का अमृत महोत्सव आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत घोषित ‘पंच प्रण’ के संकल्प कि सिद्धि के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड की आंतरिक शिकायत समिति द्वारा शनिवार को संस्थान के प्रशासनिक भवन के सभागार में महिलाओं के लिए कानूनी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी मुख्य अतिथि और आयुष नेगी, अधिवक्ता सर्वोच्च न्यायालय बतौर विशिष्ट अतिथि और विशेषज्ञ वक्ता के रूप में मौजूद थे।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा “महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए कानूनी जागरूकता अनिवार्य है।”
अपने सम्बोधन में संघ लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा २०२३ में महिला अभ्यर्थियों की सफलता का उदहारण देते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा “यद्यपि महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से मुकाबला तो कर रही है, लेकिन अब तक उनको बराबरी का हक नहीं मिल सका है।” उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत ने समाज में मौजूद लैंगिक अंतर को भरने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, फिर भी शीर्ष स्तर पर महिलाओ की भागीदारी पुरुषो की अपेक्षा अत्यंत कम है। ‘वह एक महिला है, वह काम नहीं कर पाएगी’ की धारणा के आधार पर हमेश महिलाओ को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। हम सबको इस धारणा को बदलना होगा और दृढ इच्छाशक्ति दिखाते हुए सभी क्षेत्रो में चाहे प्रशासनिक क्षेत्र हो, राजनैतिक क्षेत्र या फिर सामाजिक क्षेत्र हो, महिलाओ को शीर्ष स्तर पर समान नेतृत्व का अवसर देना चाहिए।
आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत घोषित ‘पंच प्रण’ का जिक्र करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा घोषित पांच संकल्पों में से महिलाओं का सशक्तिकरण एक प्रमुख संकल्प है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा सभी क्षेत्रो में महिलाओ को समान अवसर देकर उनको आर्थिक, सामाजिक और मानसकि रूप से सशक्त किया जा रहा है। प्रोफेसर अवस्थी सैन्य क्षेत्रो में महिलाओ कि भागीदारी का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी के नेतृत्व में शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) प्राप्त महिला अधिकारियों को भारतीय सेना के सभी दस प्रभागों में स्थायी कमीशन प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पहली बार 2015 महिलाओं को लड़ाकू पायलट के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया गया। और 2018 में अवनि चतुर्वेदी ने अकेले मिग 21 विमान उड़ाकर यह साबित कर दिया कि महिलाये किसी भी तरह अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम सक्षम नहीं हैं।
प्रोफेसर अवस्थी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा “यदि महिलाये पायलट, सैनिक, राज नेता, अंतरिक्ष यात्री, प्रशासनिक या अन्य किसी भी भूमिका को निभाने में सक्षम है, तो वह समानता की अधिकारिणी भी है।”
आयुष नेगी ने समारोह को सम्बोधित करते हुए महिलाओं से संबंधित विभिन्न कानूनों के तहत महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों और और अन्य अधिकारों के बारे विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया की विरासत कानूनों में बदलाव के कारण महिलाओं को पुरुषों के बराबर पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया है और उन्हें समान अवसर की गारंटी भी है। नेगी ने इस अवसर पर श्रोताओ को विशाखा गाइडलाइंस की आवश्यकता, आस्तित्व और प्रभावशीलता का उल्लेख करते हुए कार्य स्थल पर नारी गरिमा हनन जैसी घटनाओ की रोकथाम के लिए तीन प्रमुख कारको : प्रिवेंशन , प्रोहिबिशन एंड रेडड्रेसल को अपनाने का सुझाव दिया।
डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी, प्रभारी कुलसचिव और डॉ जाग्रति सहरिया, समन्वयक आंतरिक शिकायत समिति ने भी समारोह को सम्बोधित किया और एनआईटी, उत्तराखंड में महिला कर्मचारियों की स्थित का जिक्र करते हुएकहा कि संस्थान लैंगिक समानता की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा और संस्थान में महिला-पुरुष कर्मचारियों को समान रूप से प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया जा रहा है।