” बहुत दिनों के बाद ” कविता संग्रह
-कोयल कूकी डाल पर
जंगल हुआ आबाद
इतना सुंदर ख्वाब हुआ
बहुत दिनों के बाद।
कलरव कर पंछी बोलें
मृग भरे कुलांचे
मौसम हुआ संगीतमय
नदियाँ करें निनाद।
इतना सुंदर ख्वाब हुआ
बहुत दिनों के बाद।
कोई भूखा नहीं मरा
मिला तन भर परिधान
बंधुआ कोई रहा नहीं
सभी हुए आज़ाद।
इतना सुंदर ख्वाब हुआ
बहुत दिनों के बाद।
दुनिया इतनी है हसीं
जितना सोचा कम
ग़म इसमें रहे नहीं
निर्वेद चिंता न लाद।
इतना सुंदर ख्वाब हुआ
बहुत दिनों के बाद।
वृद्ध मारे किलकारियां
बच्चे बने सहारे
कितने अच्छे परिवार हुए
देखो घर घर आज।
इतना सुंदर ख्वाब हुआ
बहुत दिनों के बाद।नरी लाल निर्वेद
श्रीनगर गढ़वाल।
गबर सिंह भंडारी श्रीनगर गढ़वाल