पंचकर्म चिकित्सा के द्वारा शरीर का शोधन हो जाने से शरीर का व्याधिक्ष्मत्व बढ़ता है- कुलपति प्रोफेसर सुनील कुमार जोशी

हरिद्वार, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के गुरुकुल परिसर के पंचकर्म विभाग द्वारा तीन दिवसीय (18,19,20 मई 2023) पंचकर्म अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन आज उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील कुमार जोशी जी की अध्यक्षता में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ जे एन नौटियाल एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर अनूप कुमार गक्खर उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का प्रारंभ भगवान धनवंतरि के समक्ष दीप प्रज्वलन धन्वंतरि वंदना एवं कुल गीत के साथ हुआ। कुलपति प्रोफेसर जोशी जी ने पंचकर्म को आयुर्वेद की विशिष्ट प्रभावी विधा बताया एवं अनेक कष्ट साध्य एवं जीर्ण व्याधियों में पंचकर्म की उपयोगिता को बताया। उन्होंने कहा कि पंचकर्म चिकित्सा के द्वारा शरीर का शोधन हो जाने से शरीर का व्याधिक्ष्मत्व बढ़ता है। ऋतु के अनुसार किया गया पंचकर्म रोगों की रोकथाम में सहायक है। भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ जे एन नौटियाल ने उत्तराखंड में पंचकर्म चिकित्सा के संबंध में किए जा रहे हैं प्रयासों की चर्चा की। कुलसचिव प्रोफेसर अनूप गक्खड़ ने बताया कि चरक संहिता एवं अन्य आयुर्वेद के ग्रंथों में पंचकर्म चिकित्सा को प्रधानता दी गई है यह इसकी उपयोगिता एवं प्रभाव का परिचायक है। चरक संहिता में 2 स्थान कल्प एवं सिद्धि में विशेष रूप से पंचकर्म का ही विवेचन किया गया है।परिसर निदेशक प्रोफेसर पंकज शर्मा ने विश्वविद्यालय में की जा रही पंचकर्म चिकित्सा व्यवस्था की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पंचकर्म के प्रयोगों को अधिक प्रभावी एवं सुविधाजनक बनाने के लिए अनुसंधान की आवश्यकता है।

गुरुकुल के पंचकर्म विभागाध्यक्ष प्रोफेसर उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पंचकर्म सेमिनार में कुल 11 वैज्ञानिक सत्र रहेंगे जिसमें लगभग 30 अतिथि वक्ता अपने अनुभव एवं ज्ञान को साझा करेंगे। देश भर से आए 200 प्रतिभागी इसका लाभ उठाएंगे। इस त्रिदिवसीय सेमिनार में कुल 119 शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन आयुर्वेद को स्वास्थ्य के संरक्षण एवं स्वास्थ्य उन्नयन एवं चिकित्सा में इसकी उपयोगिता को देखते हुए आयुर्वेद को बढ़ावा दे रहा है।

प्रथम वैज्ञानिक सत्र की अध्यक्षता हिसार के आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य एवं पंचकर्म विभाग अध्यक्ष प्रोफ़ेसर के आर प्रसाद ने की। सह अध्यक्षता डॉ प्रवेश कुमार एवं प्रोफेसर रीना दीक्षित ने की। अतिथि वक्ता के रूप में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली के प्रोफेसर संतोष भट्टड ने वर्तमान में पंचकर्म में किए जा रहे अनुसंधान एवं नवीन प्रयोगों की जानकारी दी। इस सत्र में कुल 12 शोध पत्रों का वाचन हुआ।

द्वितीय वैज्ञानिक सत्र की अध्यक्षता रस शास्त्र विभाग की प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ मीना आहूजा ने की। सह अध्यक्षता स्वस्थवृत्त विभाग के डॉ एस पी सिंह ने की। इस सत्र में अतिथि व्याख्यान राजकीय आयुर्वेद कॉलेज नारनौल के डॉ उमेश सहगल ने अग्निकर्म की विधियों एवं प्रमाणिकता को विस्तृत रूप में प्रस्तुत किया। इस सत्र में रस शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजीव कुरेले ने पंचकर्म में उपयोगी तेल एवं घी के निर्माण की विधि का बहुत ही सरल एवं रोचक तरीके से वर्णन किया एवं अपने क्लीनिक के लिए किस प्रकार छोटे स्तर पर इन औषधियों का निर्माण किया जा सकता है यह प्रस्तुत किया। इस सत्र में 8 शोध पत्रों का वाचन किया गया।

तृतीय वैज्ञानिक सत्र की अध्यक्षता कौमारभृत्य विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डा गिर्राज प्रसाद गर्ग ने की सह अध्यक्षता शरीर रचना विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आर के गौतम ने की। इस सत्र में अतिथि वक्ता के रूप में मदन मोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद कॉलेज उदयपुर के पंचकर्म विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ श्रीराम शर्मा ने लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स में पंचकर्म की उपयोगिता के बारे में चर्चा की। इस सत्र में 11 शोध पत्रों का वाचन हुआ।
पंचकर्म की इस संगोष्ठी में कल दिनांक 19 मई 2023 को पांच वैज्ञानिक सत्र चलेंगे प्रथम वैज्ञानिक सत्र प्रातः 9:00 प्रारंभ होगा।