हरिद्वार- आयुर्वेद विश्वविद्यालय के गुरुकुल परिसर में बीएएमएस 2022 बैच के नव आगंतुक बीएएमएस विद्यार्थियों के ट्रांजिशन करिकुलम के समापन एवं एवं वैद्य रंणजीत राय देसाई व्याख्यानमाला के अंतर्गत एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। प्रातः विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी एवं मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध सर्जन डॉ विनोद गुप्ता, प्रोफेसर एचएम चंदोला, पूर्व डीन जामनगर विश्वविद्यालय एवं पूर्व डायरेक्टर चौधरी ब्रह्म प्रकाश चरक संस्थान, दिल्ली, विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर अनूप गक्खड़, प्रोफेसर पंकज शर्मा कैंपस डायरेक्टर गुरुकुल, प्रोफेसर प्रेमचंद शास्त्री द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित किया गया तथा विश्वविद्यालय गीत एवं धन्वंतरी वंदना के उपरांत आगंतुक अतिथियों का स्वागत सम्मान किया गया , तदोपरांत प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने संस्कृत भाषा में नाट्य मंचन किया।
प्रथम व्याख्यान रस शास्त्र भैषज्य कल्पना एवं फार्मा रिसर्च के एक्सपर्ट डॉ राजीव कुरेले द्वारा स्कोप इन आयुर्वेदिक फार्मेसी विषय पर विस्तार से आयुर्वेदिक फार्मेसी एवं स्टार्टअप के लिए विभिन्न प्रकार की अपॉर्चुनिटी, आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण हेतु फार्मा इंडस्ट्री सेटअप के लिए विभिन्न प्रकार के लीगल टेक्निकल एवं व्यवहारिक पक्षों को वैज्ञानिक एवं रोचक ढंग से प्रदर्शन के माध्यम से छात्रों को बताया। तदोपरांत सहारनपुर से पधारे वरिष्ठ आयुर्वेद सर्जन डॉक्टर विनोद गुप्ता ने ट्रांजिशन शब्द के गूढ़ अर्थों को, शिक्षक की परिभाषा शिक्षण की विभिन्न पद्धतियां पूर्व में एवं वर्तमान में शिक्षण व्यवस्था में हुए ट्रांजिशन के विभिन्न पक्षों को डिटेल से बताया। प्रोफेसर एचएम चंदोला ने गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज की महान परंपराओं एवं विस्तृत इतिहास का आयुर्वेद के नव आगंतुक विद्यार्थियों के साथ शेयर किया है। उन्होंने उपस्थित शिक्षकों को प्रेरित करते हुए शिक्षण व्यवस्था में कैसे गुणवत्ता उत्पन्न की जा सकती है इन विषयों पर विस्तार से बताया। विद्यार्थियों को किस तरह से अध्ययन करना चाहिए, बीएएमएस के छात्रों के सर्वागीण बौद्धिक एवं मानसिक विकास तथा क्रियात्मक चिकित्सा पक्ष को बेहतर बनाने के लिए आयुर्वेद शिक्षण व्यवस्था में गुणवत्ता बढ़ाने हेतु एनसीआईएसम के प्रयासों से अवगत कराया। कुलसचिव प्रोफेसर अनूप गक्खड़ ने कहा की आयुर्वेद आज सर्व मान्य चिकित्सा पद्धति के रूप में विकसित हो रही है। हमारे आयुर्वेद के ग्रेजुएट अपनी प्रैक्टिस में संपूर्ण रूप से आयुर्वेद को को अपनाते हैं तो आयुर्वेद के मौलिक सिद्धांत त्रिदोष पंचमहाभूत, दिनचर्या रितु चर्या, रात्रिचर्या, सदवृत, स्वस्थवृत्त के माध्यम से भारतीय चिकित्सा पद्धति को जन-जन में प्रचारित प्रसारित कर सकते हैं। उन्होंने आयुर्वेद के विकास के लिए मॉडल वैज्ञानिक पद्धतियों के समावेश की आवश्यकता बताई। प्रोफेसर प्रेमचंद शास्त्री जी ने आयुर्वेद के अध्ययन के लिए संस्कृत भाषा के प्रभाव एवं महत्व को बताया , तथा संस्कृत किस प्रकार दैनिक जीवन में प्रयोग की जा सकती है इस विषय पर विस्तार से चर्चा की। प्रोफेसर जी पी गर्ग ने आयुर्वेद के द्वारा किस प्रकार चिकित्सा कार्य में सफलता प्राप्त की जा सकती है इस विषय पर विस्तार से बताया तथा गुरुकुल चिकित्सालय में उपलब्ध फैसिलिटी एवं विशेषताओं के बारे में बताएं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा की करोनाकाल के बाद आयुर्वेद सारी दुनिया ने आयुर्वेद के प्रभाव को तहे दिल से माना है । स्वस्थ रक्षा और रोग निवारण में आयुर्वेद पद्धति से बेहतर कुछ भी विकल्प नहीं है। उन्होंने बढ़ते एंटीबायोटिक एवं रसायनिक खादों के मानव शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों लिए यह चिंता व्यक्त की। तथा बताया कि किस प्रकार मर्म चिकित्सा के माध्यम से विभिन्न प्रकार के एनाल्जेसिक एवं एंटीबायोटिक औषधियों के प्रयोग को व्यापक स्तर पर कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया देश में प्रथम बार उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के प्रयास से एलोपैथिक डॉक्टर को उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा आयुर्वेद विषय पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रथम बैच 3 अप्रैल को मुख्य परिसर में प्रारंभ होगा जिसमें 30 सीनियर एलोपैथिक डॉक्टर प्रतिभाग करेंगे। विश्वविद्यालय द्वारा समग्र रूप से प्रशिक्षण के लिए पाठ्यक्रम भी तैयार किया गया है। धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर पंकज शर्मा कैंपस डायरेक्टर द्वारा किया गया। उन्होंने गुरुकुल केंपस मैं शैक्षिक उन्नयन के लिए किए गए कार्यों के बारे में बताया। तथा आगंतुक अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया तथा बीएमएस छात्रों से कहा कि आयुर्वेद आज के समय में एक कैरियर के लिए बेहतर विकल्प है। आयुर्वेद के द्वारा हम चिकित्सा शिक्षा फार्मास्यूटिक्स, मेडिसिनल प्लांट्स, आयुर्वेदिक रिसर्च इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने की दक्षता प्राप्त कर सकते हैं।कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ0 शीतल वर्मा एवं डा0शिखा पांडे द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में बीएएमएस के 200 विद्यार्थी, वरिष्ठ शिक्षक गण प्रोफेसर दिनेश गोयल, प्रोफेसर अवधेश मिश्रा, डॉ मोहन शर्मा, डॉ विपिन चंद्र पांडे, प्रोफेसर पुनीता पांडे, डॉ वीरेंद्र तम्टा, डा0मयंक भट्टकोटी डा0आरके गौतम, डा0 एसपी सिंह,डा उदय पांडे, डॉ सुनील गुप्ता डॉ पल्लवी, डॉक्टर महेश चंद्र, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हरीश चंद्र गुप्ता , राहुल तिवारी, डॉक्टर दीपशिखा, डॉ प्रियंका, डॉक्टर गरिमा, डॉ अवधेश, डॉ आदेश, डा0हर्षित, पीजी शोधार्थी, कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।