गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल
श्रीनगर गढ़वाल :- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड में शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू।
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने समूह ‘क’, ‘ख’ और ‘ग’ के तहत रजिस्ट्रार, डिप्टी रजिस्ट्रार, मेडिकल अफसर, असिस्टेंट लाइब्रेरियन, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर, सुपरिन्टेन्डेन्ट, टेक्निकल असिस्टेंट, तकनीशियन, जूनियर असिस्टेंट, ऑफिस अटेंडेंट के रिक्त पदों को भरने के लिए विगत वर्ष अगस्त माह में विज्ञापन जारी किया था। एनआईटी प्रशासन के मुताबिक कुल कुल २९ पदों के सापेक्ष लगभग १३०० लोगो ने आवेदन किया था जिसमे प्रारंभिक जाँच के बाद करीब ११६५ आवेदन को चयन प्रक्रिया के अगले चरण के लिए उपयुक्त पाया गया।
निदेशक प्रोफेसर अवस्थी ने बताया कि भारत सरकार के निर्देशानुसार समूह ‘ख’ और समूह ‘ग’ के पदों के लिए साक्षात्कार समाप्त कर दिया गया है और अभ्यर्थियों का चयन लिखित परीक्षा एवं स्किल टेस्ट के आधार पर किया जाना है। जबकि समूह ‘क’ के लिए लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार दोनों का प्रावधान रखा गया है। उन्होंने बताया कि सभी पदों पर नियुक्तियों के लिए १७ मार्च से १९ मार्च के बीच अलग अलग लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया। इसके लिए संस्थान के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग को परीक्षा केंद्र बनाया गया था।
पारदर्शी, निष्पक्ष और पूर्णरूपेण नक़ल विहीन परीक्षा:
परीक्षा सम्बन्धी जानकारी देते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि वर्तमान समय में सरकारी नौकरी के लिए लिखित परीक्षा आयोजित कराना एक चुनौती पूर्ण काम है। इसीलिए इस परीक्षा को पूर्णरूपेण पारदर्शी, निष्पक्ष, जवाबदेह, कदाचारमुक्त एवं सौहार्दपूर्ण तरीके से कराना उनकी पहली प्राथमिकता थी। सभी परीक्षा कक्षों में सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की गयी थी। परीक्षा केन्द्र में ड्यूटी पर नियुक्त कक्ष निरीक्षकों समेत किसी को भी मोबाइल के साथ प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों द्वारा मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रानिक गैजेट्स के प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगाया गया था और परीक्षा में अभ्यर्थी को भरे हुए फार्म की कापी, कोई भी फोटोयुक्त पहचान पत्र और पेन के अलावा कुछ भी अंदर ले जाने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने ने आगे कहा कि सुरक्षा कि दृष्टि से पुलिस बल की भी नियुक्ति की गयी थी साथ ही प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए एनआईटी सिक्किम के निदेशक को प्रेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था और संपूर्ण परीक्षा का आयोजन उन्ही की निगरानी में किया गया है।
विशेष रिक्रूटिंग सॉफ्टवेयर द्वारा परीक्षा का आयोजन:
प्रोफेसर अवस्थी ने बताया की परीक्षा को सुचारु रूप से आयोजित करने के लिए काफी पहले से तैयारियां शुरू कर दी गयी थी और ऑफलाइन परीक्षा के बाद कॉपी चेकिंग में लगने वाले समय और मानव श्रम को ध्यान में रखते हुए एक विशेष सॉफ्टवेयर लिखित परीक्षा कराने की योजना बनायीं गयी थी। उन्होंने कहा की इस कार्य की जिम्मेदारी संस्थान के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग को दी गयी थी। यह सॉफ्टवेयर फ़रवरी माह के मध्य तक तैयार हो गया था और परीक्षण भी किया जा चुका था । कई परीक्षणों के बाद इस सॉफ्टवेयर को पूर्णरूप से विश्वसनीय पाया गया और सभी कंप्यूटर बेस परीक्षाओं का आयोजन इसी सॉफ्टवेयर पर किया गया था।
प्रोफेसर अवस्थी ने सॉफ्टवेयर कि विषेशताओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये काफी उपयोगी सॉफ्टवेयर है। अब सुदूर पहाड़ी क्षेत्रो के छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से होने वाली परीक्षा देने के लिए देहरादून, दिल्ली या अन्य शहरो में नहीं जाना पड़ेगा और वे नेट,गेट,जेईई,नीट, सीयूइटी आदि परीक्षाओ के लिए एन आई टी उत्तराखंड को परीक्षा केंद्र के रूप में चयन करके सुगमता से परीक्षा दे सकते है।
परीक्षा परिणामो का जिक्र करते हुए प्रोफेसर अवस्थी, जो सिलेक्शन समिति के चेयरमैन भी है, ने बताया कि जिन पदों के सापेक्ष योग्य उम्मीदवार मिल गए थे उनका चयन कर लिया गया है और बी ओ जी की संस्तुति के बाद परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। कुछ पद के सापेक्ष किसी भी उम्मीदवार द्वारा लिखित परीक्षा या स्किल टेस्ट क्वालीफाई नहीं कर पाने के कारण चयन नहीं किया जा सका है और ऐसे पदों के लिए दुबारा से आवेदन आमंत्रित किये जाएंगे।
एक घंटे परीक्षा का समय –
परीक्षा कार्यक्रम का विवरण देते हुए नोडल अफसर रिक्रूटमेंट, डॉ हरिहरन मुथुसामी ने बताया कि नियुक्ति के लिए अलग अलग पद के लिए प्रत्येक दिन सुबह नौ से दस बजे, ग्यारह से बारह बजे और अपराह्न में एक से दो बजे तक तीन पालियो में लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया। जिन पदों के सापेक्ष अभ्यर्थियों कि संख्या बीस से अधिक थी उसके लिए कंप्यूटर बेस परीक्षा का आयोजन किया गया और अन्य के लिए ओएमआर शीट बेस परीक्षा थी। प्रश्नपत्र में कुल ६० प्रश्न थे, प्रत्येक सही उत्तर के लिए एक अंक निर्धारित थे वही प्रत्येक गलत उत्तर के एक चौथाई अंक काटने का प्रावधान था।